Monday, May 13, 2024

चन्दगी राम निभिरिया - भाग 11

 

सास की बहू को सीख

चन्दगी राम का भट्टा उसके गाँव डूंडा हेडा से नजफ़गढ़ के रास्ते पर था | भट्टे के लिए कच्ची ईंटें तैयार हो चुकी थी | उन्हें भट्टे में लगाने की तैयारी चल रही थी कि अचानक बारिश शुरू हो गई और रूकने का नाम नहीं लिया | सारी कच्ची ईंटें गल कर बह गई | चन्दगी काम करने वाले मजदूरों को कब तक बैठा कर खिलाता | वे सब चले गए | भगवान इतने पर ही राजी नहीं हुआ | हरियाणा का एक बाँध टूट गया जिससे बिजवासन से लेकर टीकरी बार्डर तक का पूरा इलाका जल मग्न हो गया | चन्दगी का भट्टा ख़ाक में मिल गया | जितना रूपया चन्दगी ने डिपो से नाजायज तरीके से जोखिम उठाकर कमाया था वह एक झटके में चला गया | तभी तो कहते हैं बदी करनी का फल अवश्य मिलता है अर्थात बन्दा जोड़े पली पली ओर राम बढाए कुप्पा |

इन दिनों भारत में रूढीवाद अपनी चरम सीमा पर था | चन्दगी के नुकसान को उसकी हाल ही में हुई शादी से जोड़कर चर्चाएँ गर्म होने लगी | गाँव का पनघट ऐसी चर्चाओं के लिए उपयुक्त स्थान होता था | पनघट पर चार पांच महिलाएं पानी भरते हुए आपस में बातचीत कर रही थी कि उन्हें भतेरी, चन्दगी की बहू के साथ आती दिखाई दी | उन्हें देख कर उनकी बातचीत  का केंद्र उन पर केन्द्रीत हो गया |

इमरती, अरी देखो देखो नानकी कैसी इतराती चली आ रही है |

केला, इतराएगी क्यों नहीं कमाऊ पूत की माँ जो बन गयी है |

रज्जो, माँ की बात छोड़ो उस नवनवेली की बात करो जो उसके पीछे भागी चली आ रही है |

इमरती, उसकी क्या बात करें उसकी तो शक्ल देखना भी अभिशाप होगा |

ऊषा, इमरती तू ऐसा क्यों कह रही है, चन्दगी की बहु भगवानी तो बहुत सुन्दर है |
रज्जो झल्लाकर, अरी सुन्दरता को क्या चाटना है | जिसके घर में पैर पड़ते ही भगवान का कोप झेलना पड़ जाए वह सुन्दरता किस काम की ?

केला, बिलकुल ठीक बात है भगवानी के आते ही भगवान ने चन्दगी का सब कुछ बर्बाद कर दिया है |

नानकी और भगवानी ज्यों ही पनघट के पास पहुँची वहां सन्नाटा छा गया |

नानकी शक की निगाह से देखते हुए, क्यों क्या बात हुई हमारे आते ही तुम्हारी सब की बोलती बंद क्यों हो गई ?

इमरती, ऐसी तो कोई बात नहीं, फिर आप कोई हव्वा तो हो नहीं जो हम डर गए |

उषा, चाची, आपको आते देख बात उठ खडी हुई थी कि बारिश की वजह से चन्दगी का बहुत भारी नुकसान हो गया है |

भतेरी, सो तो है |”

रज्जो, घर में कभी कभी किसी के पैर पड़ने से भी अपशकुन हो जाता है |

इमरती, इतना ही नहीं कभी कभी तो पूरा इलाका ही अभिशप्त हो जाता है |

नानकी ने उनकी बातों का कुछ कूछ मतलब समझ पूछा, तुम सब पहेलियाँ सी क्यों बुझा रही हो साफ़ साफ़ बताओ की कहना क्या चाह रही हो ?

केला, हमें क्या कहना है बस इतना सोच रहे थे कि भगवानी के आते ही भगवान ने अपना प्रकोप दिखा दिया |

भगवानी उनकी बातों का आशय समझ , नाशामझ की तरह भावनाओं में बहकर आखों में आसूँ भर लाई | जिसे देखकर नानकी भड़क उठी, अरी तुम सब कान खोलकर सुनलो  शुक्र करो कि भगवान ने चन्दगी पर ही प्रकोप दिखाया और तुम सब बच गए परन्तु अब अगर मैनें तुम्हारे कच्चे चिट्ठे खोलने शुरू कर दिए तो तुम्हे बचाने वाला कोई नहीं आएगा | इसलिए अपने अपने घर की परवाह करना सिख लो | दूसरे के घर में आग लगाने से तुम्हारा घर भी भस्म होने से नहीं बच पाएगा | समझी ?

पनघट पर जमा सभी औरतें एक साथ, हमारी ऐसी कोई मंशा नहीं थी |

भतेरी, मुझे भी इस पनघट पर आते हुए 20 साल हो गए हैं मैं तुम्हारी हर एक की नस नस से वाकिफ हूँ तथा यह जानती हूँ कि किसकी, कैसी बात का क्या मतलब होता है | यह भी मैं अच्छी तरह जानती हूँ कि तुम्हारी मंशा क्या थी | अत: सलाह नहीं तो चेतावनी समझलो कि आईंदा से, अगर मेरी बहु अकेली भी पनघट पर आए तो उसे किसी प्रकार का कोई ताना न देना | इसी में अपनी भलाई समझना | 

नासमझ भगवानी पानी की टोकनी अपने सिर पर उठाकर जल्दी से घर गयी और रखकर सीधे अपने कमरे में जाकर धम्म से बिस्तर पर गिर कर फफक फफक कर रो उठी | उसकी सास नानकी ने आकर बड़े प्यार से उसके सिर पर हाथ फेरते हुए उसे उठाया और समझाने लगी |  

भगवानी सुन तुझे एक किस्सा सुनाती हूँ जिसे सुनकर तेरी वर्त्तमान की दुविधा ही नहीं, उसे अपनाने से जीवन में तेरे सामने  सामाजिक कोई समस्या आएगी ही नहीं |

ऐसा हुआ कि बरसात हो रही थी | कुछ मेंढक तालाब के किनारे पर एक टीले पर चढने का प्रयास करने लगे परंतु कोई सफल नहीं हो पा रहा था | थक हार कर जब वे एक तरफ बैठ गए तो एक छोटा मेंढक उस टीले पर चढने का प्रयास करने लगा | सभी उसका मजाक उड़ाने लगे तथा जोर जोर से चिल्लाकर उसे हताश करने लगे | परन्तु उस मेढक ने अपना प्रयास नहीं छोड़ा और अंत में उसने विजय पा ली | जानती हो कैसे और क्यों ?

भगवानी अपनी सास के बोल बहुत ध्यान से सुन रही थी परन्तु वह कैसेका उत्तर न दे सकी | वह टुकुर टुकुर अपनी सास का मुंह ताकने लगी | उसकी आँखों में उत्तर जानने की लालसा साफ़ नजर आ रही थी | अत: नानकी ने उसकी लालसा का अंत करते हुए कहा क्योंकि वह छोटा मेंढा बहरा था | उसे किसी की आवाज सुनाई ही नहीं दे रही थी इसलिए हताशा भरी किसी भी अन्य मेढक की आवाज का उस पर कोई असर ही नहीं हुआ | वह तत्परता से अपनी कोशिश करता रहा और सफलता पाई |

मेरा कहने का तात्पर्य है कि तुम भी किसी बाहरी व्यक्ति की अनर्गल बातें ऐसे ही लिया करो जैसे तुम बहरी हो | फिर भी अगर तुम्हारे से कुछ सहा न जाए तो उसे मेरे सामने उढेल देना और निश्चिन्त हो जाना | आगे मैं हूँ न |

नानकी का आश्वासन पाकर भगवानी का रोता हुआ मुरझाया चेहरा सुबह के खिले गुलाब की तरह खिल उठा और वह अपने काम में लग गयी |  

 

 

Wednesday, May 8, 2024

चन्दगी राम निभोरिया - भाग 10

 

आत्म सम्मान

 

नौकरी छोड़ने के बाद चन्दगी ने पहले तो खेती के लिए कुछ जमीन ली | वह मेहनती भी था और उसके शरीर में जान भी थी | वह अपने खेत में जीतोड़ मेहनत करके इतनी पैदावार कर लेता था जिससे उसके परिवार के खाने लायक भरपूर पैदावार हो जाती थी और कुछ बच भी जाती थी जिसे वह मंडी में एक आढ़ती को बेच देता था | बचे पैसों से उसने एक ईंटों का भट्टा लगा लिया |

इस अप्रत्यासित उन्नती से चन्दगी की ख्याती चारों और ऐसे फ़ैल गयी जैसे चमन के फूलों की सुगंध हवा के साथ दूर दूर तक फ़ैल जाती है | चन्दगी जवान था, निरोगी काया थी, बुरी लत कोई नहीं थी, मेहनती था ओर सबसे ऊपर ईमानदार था | इसलिए उसके आर्थिक द्रष्टि से संपन्न रिश्तेदार जो कभी उसके गरीब परिवार को घास तक डालना मुनासिब नहीं समझते थे चन्दगी से रिश्ता जोड़ने की फिराक में लगे दिखाई देने लगे | वह जिस गाँव से निकलता लोग उसकी राह में पलकें बिछाने लगे | ऐसे ही एक दिन जब उसके कुछ गाँव वाले पशु मेले से वापिस आ रहे थे तो वे रास्ते में सुस्ताने के लिए रुके | वहां के वाशिंदों को बातों में जब पता चला कि वे चन्दगी के गाँव से ताल्लुक रखते हैं तो उन्होंने उनकी बहुत आवभगत की तथा उन्हें चन्दगी से रिश्ता जुडवाने की बात कही | चन्दगी शादी लायक तो हो ही चुका था अत: उन्होंने इस बाबत बहोड़ू राम के पास संदेशा भेज दिया | इस तरह चन्दगी भाई गूगन अपने पिता जी के साथ उस गाँव की तरफ रवाना हो गए | गाँव के बाहर पनघट पर बहुत सी औरतें पानी भर रही थी | उनके साथ उनकी शादी लायक जवान लड़कियां भी थी | चन्दगी को देखकर उनमें कानाफूसी शुरू हो गयी |  

शीला आगुन्तकों की तरफ इशारा करके, अरी ओ मूर्ती उन्हें जानती है क्या?

मूर्ती उस तरफ देखकर, हाँ हाँ अब तो इन्हें सभी जानते होंगें |

केला ने हामी भरी, पैसा एक ऐसी चीज है जिसकी ख्याति बहुत जल्दी फैलती है |

अंगूरी ने जोड़ा, कुछ दिनों पहले की तो बात है जब कोई काम देने आता था तो यह बोहड़ू राम  सभी के सामने हाथ जोड़कर खडा रहता था |

ऊषा ने हाँ में हाँ मिलाई, बिलकुल सही कहा बहन, पर अब देखो क्या ठाठ आ गए हैं |

शीला, अब तो इसने अपना जुलाहे का धंधा भी छोड़ दिया है |

केला, छोड़ेगा क्यों नहीं, बेटा जो अच्छी कमाई करने लगा है |

अंगूरी, अब तो इसके रिश्ते भी अच्छे अच्छे आएँगे |

रिश्ते की बात आते ही सभी औरतें जल्दी जल्दी अपने घर जाने की जुगत में लग गई और देखते ही देखते पनघट खाली हो गया | घर जाकर जिनकी लडकियां शादी लायक हो गयी थी उन्होंने घर में सलाह मशवरा करके चन्दगी के पिता जी से उसके रिश्ते की बात करने की ठान ली | शाम को सभी मर्द चौपाल में बैठे थे | चन्दगी भी अपने पिता जी के साथ बैठा था | शादी ब्याह की बात चल गई | उनमें से सात आठ ऐसे थे जो चमकते सितारे चन्दगी को अपनी बेटी देना चाहते थे | एक ने शुरू किया, हाँ भाई बहोड़ू राम जी आपका लड़का चन्दगी तो शादी लायक हो गया है ?

जी देख लो आपके सामने है |

दूसरा, वह तो हम देख ही रहे हैं परन्तु आपकी क्या मर्जी है |

बोहड़ू राम, हर बाप तो चाहेगा कि उसकी संतान की शादी ठीक समय पर हो जाए |

तीसरा, अब तो चन्दगी की उम्र शादी लायक है ?

बाल किशन, मैं तो तैयार हूँ अगर यह (चन्दगी की तरफ देखकर) राजी हो तो |

चन्दगी शरमाकर, पिता जी जैसा आप मुनासिब समझें |

पहला, परन्तु तुम्हें लडकी कैसी चाहिए ?

चन्दगी कुछ सोचकर, यह तो लड़की देखकर ही बता सकता हूँ |

एक बुजूर्ग, परन्तु यहाँ बैठों में से कई के पास लडकियां हैं जो ब्याह लायक हो गयी हैं | 

आखिर में फैसला हुआ कि सभी अपनी लड़कियों को चौपाल पर बुला लें तथा चन्दगी जिस लडकी को पसंद करेगा उससे रिश्ता पक्का कर दिया जाएगा | 

पुराने समय में राजा महाराजा अपनी पुत्रियों की शादी करने के लिए स्वम्बरों का आयोजन किया करते थे जिसमें एक से एक बढ़कर योद्धा, गुणवान, शूरवीर, सम्राट इत्यादि अपनी किस्मत आजमाने आते थे | कभी कभी तो ऐसे आयोजन सशर्त रखे जाते थे और कभी कभी होने वाली वधु को यह छूट दे दी जाती थी कि वह वहां उपस्थित किसी भी व्यक्ति को अपने मन पसंद अनुसार अपना जीवन साथी चुन सकती है | ऐसा मुश्किल से ही देखने को मिलता था कि एक व्यक्ति के सामने लड़कियों का प्रदर्शन करके लड़के से कहा जाता हो कि वह किसी एक का चुनाव करले | चन्दगी के लिए आज उसके आत्म सम्मान की पराकाष्ठा थी क्योंकि उसके सामने आठ लडकियां थी और उनमें से उसे एक को चुनना था | एक एक करके उसने सभी लड़कियों पर गहरी नजर डाली और धीरे से अपने पिताजी से कहा, पिताजी मैं चाहता हूँ कि सभी लड़कियों की चुन्नियाँ थोड़ा ऊपर करवा दी जाएं |

बहोड़ू राम असमंजस से, क्यों क्या बात है ?

चन्दगी बिना किसी झिझक के, मैं उनके वक्ष देखना चाहता हूँ |

बोहड़ू राम, क्या यह वाजिब है ?

मैं चुन्नी हटाने की नहीं कह रहा केवल थोड़ा ऊपर सरकाने की कह रहा हूँ |

बहोड़ू राम अपने बेटे की कामना से अनभिग्य, परन्तु इससे होगा क्या ?

चन्दगी, इससे मुझे अपनी होने वाली संगिनी का चुनाव करने में बहुत सहयोग मिलेगा |

बोहड़ू राम ने अपनी तरफ से चन्दगी की इस बात से असहमती जताते हुए कहा, यह जायज नहीं है |  

बाप बेटे की नोंक झोंक देखकर चौपाल में बैठे लोगों ने पूछा, क्या समस्या है ?

बोहड़ू राम तो चुप रहा परन्तु चन्दगी ने अपने मन की इच्छा जाहिर कर दी | और उसकी बात मान ली गई | चन्दगी ने उस लडकी का चयन कर लिया जिसकी छातियों का उभार सबसे कम था क्योंकि चन्दगी के अनुसार वह लडकी बहुत भाग्यवान होती है, शादी से पहले जिसकी छातियों का उभार कम होता है |   

आज चन्दगी का रोम रोम पुलकित दिखाई देने लगा था | इसलिए नहीं कि उसके रिश्ते की बात चल रही थी बल्कि इस लिए कि आज समाज के लोगों ने उसके पिता जी को उसके पूरे नाम, बोहड़ू राम, वह भी जीलगाकर सम्बोधित किया था | बचपन में उसने महसूस किया था कि आत्मसम्मान एक सफल सुखी जीवन का आधारभूत तत्व है। व्यक्ति आत्मसम्मान के अभाव में सफल तो हो सकता है, बाह्य उपलब्धियों भरा जीवन भी जी सकता है, किंतु वह अंदर से भी सुखी, संतुष्ट और संतृप्त होगा, यह संभव नहीं है। आत्मसम्मान के अभाव में जीवन एक गंभीर अपूर्णता व रिक्तता से भरा रहता है। यह रिक्तता एक गहरी कमी का अहसास देती है और जीवन एक अनजानी- रिक्तता, एक अज्ञात पीड़ा, असुरक्षा और अशांति से बेचैन रहता है। आज उसके मन की सारी रिक्तताएँ भर गयी थी |