विद्यालय जीवन
विद्यालय
में शिक्षा जीवन, मानव जीवन की सबसे महत्व पूर्ण अवधि होती है | क्योंकि यह वह समय
होता है जब कोई व्यक्ति जीवन के मूल मूल्यों को सीखता है और चुनौतियों को समझना
शुरू करता है | एक छात्र के रूप में वह सिर्फ अपने अध्ययनं, प्रतियोगताओं, हंसमुख,
एक-दूसरे पर चुटकुले बनाना, मस्ती करना, स्कूल में घूमना, खेल-खेलना और होमवर्क
पूरा करने के बारे में ही चिंतित रहता है |
शिक्षक
छात्रों की सफलता के आधार स्तम्भ होते हैं क्योंकि वे छात्रों को अनुशासन, दयालुता,
उदारता, समय की पाबंदी इत्यादी जो हमारे दिमाग और आत्मा को विकारों से हटाकर हमें
बेहतर व्यक्ति बनाने के लिए प्रोत्साहित करते है | विध्याल्य अर्थात पाठशाला वह
संस्था है जहां बच्चों के शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक, एव शारीरिक गुणों का विकास होता
है |
मस्तानी
बचपन से ही एक खुद्दार किस्म की लडकी थी | अपने स्कूल के समय भी वह अपने पर पूरा भरोसा तथा विशवास रखती थी कि वह अपने
बारे में फैसले खुद कर सकती थी | उसने स्कूल में अपने सहपाठियों से कभी किसी से तू-तू, मैं-मैं तक नहीं की
थी |उसने
अपने स्कूल में नृत्य के आलावा कभी किसी प्रतियोगिता, खेल-कूद, संगीत, कला, इत्यादी में भाग
नहीं लिया फिर भी स्कूल में लगभग प्रत्येक विद्यार्थी उसे जानता था क्योंकि नृत्य कला में सर्व गुण सम्पन्न थी | यही नहीं स्कूल के
प्रत्येक अध्यापक या अध्यापिका के मन में उसके प्रति एक सराहना का भाव देखने को
मिलता था |
मस्तानी
की एक बहन तथा एक भाई भी उसी स्कूल में पढ़ते थे | तीनों की उम्र में दो दो वर्ष का अंतर था | मस्तानी सबसे बड़ी थी | वह अपने दोनों भाई बहनों का बहुत ख्याल रखती थी | दोनों छोटे थोड़े उद्दंड व् शरारती थे परन्तु अपनी बड़ी बहन का वे भी पूरा ख्याल रखते थे | अगर कोई बच्चा मस्तानी के खिलाफ कुछ कह भी देता था तो वे ढाल बनकर मरने
मारने को तैयार हो जाते थे | छोटी बहन तो उस बच्चे को पूरे स्कूल में दौड़ा-दौड़ा कर तब तक पीछा नहीं छोड़ती थी जब तक वह उसकी बहन से माफी नहीं मांग
लेता था |
स्कूल में छोटे
भाई बहन की शिकायतों को भी वह खुद ही सुलझा लिया करती थी | यहाँ तक की उनकी ‘Parent-Teacher
Meeting’ भी खुद ही कर
लेती थी | उसके
माता-पिता को
मुसकिल से ही कभी स्कूल में आना हुआ होगा |हालांकि मस्तानी ने स्कूल में कभी किसी
खेल, सांस्कृतिक या प्रतियोगिता में भाग नहीं लिया फिर भी मस्तानी की निर्भिकता, बुद्धीमता,
एकाग्रता, सटीक
जवाब, तथा
शालीनता के कारण वह स्कूल में एक
चर्चित और सफल विद्ध्यार्थी रही
No comments:
Post a Comment