Friday, September 29, 2023

उपन्यास - भगवती (7)

 

 

अगले दिन भी प्रत्येक दिनों की तरह

() पिता जी अब हमें लेने देने के लिए जोड़े, साडियां तथा सूट आदि के कपड़े भी तो चाहिएँगे ?

बिलकुल ये सब भी जरूरी हैं |

चांदनी चौक में घंटा घर का जो चौक है वहाँ राकेश एक रिश्तेदार श्याम लाल जी का रेडीमेट गारमेंट का काम है | उनकी अंदर कटरे वालों से, जहां जोड़े वगैरह के कपड़े मिलते हैं, अच्छी जान पहचान है | उससे पूछकर उसकी बताई दुकान से ही खरीदारी कर लेंगे | १०-१२% का फ़ायदा हो जाएगा |

राकेश ने सलाह दी, देख लो अगर बात बनती है तो कोई बुराई नहीं है |

() मनोज:पिता जी बैंड बाजे में क्या क्या करना है ?

बैंड-बाजा तो होना ही है | बाकी आप बच्चों से सलाह करलो कि और क्या करना है | क्योंकि उछल कूद तो उन्हें तथा आप जैसों को ही करनी है |

आपकी और का क्या मतलब है ?

अजी जैसे शहनाई, नपीरी, ढोल, ताशे इत्यादि |

पिता जी शहनाई तो केवल लग्न पर ही ठीक रहेगी | इसके बाद जैसे अचानक मुकेश जी को कुछ याद आया हो वे बोले, और हाँ लग्न का प्रोग्राम भी तो बनाना है ?

हाँ उसके लिए रिंग रोड़ पर शिव मंदिर वाली धर्मशाला बुक करा देंगे |

शायद मुकेश जी अभी लग्न की जगह के बारे में बात करने के मूढ़ में नहीं थे अत:इस बात की तरफ ध्यान न देकर वे बोले, पिता जी, भोगल में श्याम बैंड एक अच्छा बैंड वाला है | वह बनिया है | उसके पास, नपीरी, ताशे, शहनाई, डंडे वाले, लेजियम वाले तथा घोड़ी-बग्गी का भी प्रबंध है |

आप तो जानते हैं कि एक राकेश बैंक के कर्मचारी का भी डूंडाहेड़ा में स्याम बैंड है | वह आश लगाए बैठा है | फिर भी अगर उसके पास सारा इंतजाम न हुआ तो भोगल वाले को ही देख लेंगे |

परन्तु पहले यह तो सोच लो कि करना क्या क्या है |

मैनें पहले ही कह दिया है कि यह काम नौजवानों का है जो कूदते फांदते हैं |

() मनोज:पिता जी शादी के कार्ड नई सडक से खरीद लेंगे |

हाँ शादी वगैरह के कार्डों की वही थोक मंडी है |

वो तो है ही इसके अलावा वहाँ राकेश एक दोस्त का इनका ही थोक का काम है | वहीं से जुगाड़ बिठाएंगे |

मुकेश जी इस छोटे से काम के लिए क्या जुगाड़ बिठाना | कहीं से भी खरीद लेंगे |

क्यों पिता जी आपके इस छोटे से काम में अगर ६००-७०० रूपये का फ़ायदा हो जाए तो क्यों नहीं किया जाए | फिर छपाई भी सस्ते रेट में वहीं हो जाएगी |

आखिर राकेश को अपने हथियार डाल कर यही कहना पड़ा, ठीक है जैसा आप मुनासिब समझो |

शादी के लिए खरीद फरोक्त के सारे कार्यक्रम लगभग इसी प्रकार के वार्तालापों के बीच बने तथा मुकेश जी की देख रेख में पूरे भी हो गए | राकेश शादी की तिथियाँ सुजवा लाया | ६ फरवरी का लग्न तथा १० फरवरी १९९७ की शादी तय कर दी गई |

 

उपरोक्त शादी के कार्ड का मजबून सभी को पसंद आया तथा वह छपाई के लिए भेज दिया गया | जब कार्ड छपकर आए तो राकेश ने बिना उन्हें देखे अपने बच्चों से कह दिया कि उसके द्वारा बनाई गयी मेहमानों की सूची के अनुसार सभी को निमंत्रण कार्ड भेज दें | कुछ ही दिनों में शादी के सारे कार्ड बाँट दिए गए |

शादी के थोड़े दिनों पहले राकेश के भतीजे अनील के एक पैर की हड्डी टूट गई थी | उनका घर गाँव के एक छोर पर था तो राकेश का दूसरे छोर पर था | वह राकेश के घर आने में असमर्थ था अत: सभी का विचार बना कि प्रभात को, बरात ले जाने से पहले जो मंदिर में पूजा कराई जाती है वह अनिल के घर के पास वाले शिव मंदिर में ही कराई जाए जिससे रास्ते में अनील भी अपने मकान की पहली मंजिल से प्रभात को आशीर्वाद दे सके

Tuesday, September 26, 2023

उपन्यास -भगवती (6)

 

प्रभात के रिश्ते के बाद तो मुकेश जी के परिवार का अधिकतर समय ससुराल में ही व्यतीत होने लगा | रोजाना रात के डेढ़ दो बजे तक अगले दिन के कार्यक्रम का प्रोग्राम बनाया जाता | उसी अनुसार अगला सारा दिन बाजार में बितता | इससे सबसे ज्यादा थकावट प्रभात एवं पंकज को होती थी | क्योंकि प्रभात की दिनचर्या तो सुबह छ: बजे दुकान खोलने से होनी ही होनी थी | पंकज को अपनी कम्प्यूटर ट्रेनिंग पर जाने के लिए उठना ही पड़ता था | केवल मुकेश जी सुबह आराम से उठते थे क्योंकि उन्हें अपने स्कूल जाने की कोई जल्दी नहीं होती थी | राकेश का आफिस भी देर से खुलता था | अत: मुकेश जी के सुबह उठने के बाद राकेश तथा उनके बीच कुछ इस तरह की बातें होती थी |

() पिता जी, आपने प्रभा की शादी के लिए कपड़ा कहाँ से खरीदा था ?

चांदनी चौक बाजार के मेन रोड़ पर एक अप्सरा साड़ी सेंटर है, वहीं से |

सारा कपड़ा वहीं से खरीदा था ?

सारे का मतलब है कि साडियां-ब्लाऊज वगैरह सारा वहीं से खरीदा था | बाकी पैंट-कमीज इत्यादि का कहीं और से लिया था |

कपड़ा खरीदने कौन कौन गया था |

अपने घर के ही लोग जाते हैं और कौन जाएगा ?

नहीं, नहीं फिर भी |

मेरे बड़े भाई साहब और भाभी जी साथ गए थे |

आपको अप्सरा के रेट कैसे लगे थे ?

मैनें और जगह मोल भाव नहीं पता किया | परन्तु इतना जरूर रहा कि वहाँ से खरीदा हुआ सारा सामान बहुत उम्दा निकला क्योंकि अभी तक किसी भी वस्तु की कहीं से भी कोई शिकायत नहीं आई |

तो क्या इस बार भी वहीं से खरीदने का इरादा है ?

राकेश तो इसमें कोई बुराई नजर नहीं आ रही |

मुकेश जी इस बार, हंसकर, ऐसे बोले जैसे राकेश को किसी बात की समझ ही नहीं थी | उन्होंने कहा, पिता जी आप भी |

इस बात पर राकेश को मुकेश की तरफ आश्चर्य चकित होकर तो देखना ही था | राकेश को समझ नहीं आया कि उसने ऐसी क्या बात कह दी जो उन्होंने ऐसे शब्द कहे | फिर भी बात को ज्यादा तूल न देकर राकेश ने पूछा, क्यों क्या बात हो गई |

कुछ नहीं | वैसे आप जानते नहीं कि पूरी चांदनी चौक की मार्किट में अप्सरा वाले सबसे महँगा बेचते हैं | पता नहीं आपने कैसे सहन कर लिया |

संतोष चाय के दो कप ट्रे में रखकर अंदर दाखिल होते हुए उनकी बात सुनकर मुकेश जी से बोली, अजी क्या सहन करवा रहे हो ?

मम्मी जी आपको पता है पिता जी ने प्रतिभा की शादी में सारी साडियां जहां से खरीदी थी वह अप्सरा का शोरूम सबसे महँगा सामान बेचता है |

तो आपकी नजर में कोई सस्ता, सुन्दर और टिकाऊ दुकान है क्या ?

मुकेश जी को जैसे अपने मन की सी बात सुनने को मिल गई अत: वे तपाक से बोले, मम्मी जी यही तो मैं पिता जी को इतनी देर से समझाने की कोशिश कर रहा हूँ | चांदनी चौक की परांठे वाली गली में एक सूरज मल-संत राम की फर्म है | मेरी जान पहचान वाला एक व्यक्ति उसमें काम करता है | १५-२०% तो हम अपनी तरफ से कम करा लेंगे बाकी ५-% उससे कहकर कम करा लेंगे |

हाँ में हाँ मिलाते हुए राकेश ने भी कह दिया, ठीक है बाजार जाएंगे तो देख लेंगे | अप्सरा के यहाँ हमने कोई नाल तो गाड़ नहीं रखी जो वहीं से खरीदना जरूरी है | जहां से अच्छा लगेगा वहीं से खरीदेंगे |

अचानक जैसे राकेश को कुछ याद आया | राकेश उठा और मुकेश से कहा, आप शादी के कार्ड का मजबून बना लो तब तक मैं पंडित बुधराम से शादी की तिथियाँ सुजवा लाता हूँ |

() मनोज:पिताजी चीज-बस्त गहने खरीदने के लिए मैंने एक बहुत बढ़िया थोक की दुकान ढूंढ ली है |

कैसे तथा कहाँ ?

मेरी बहन महरौली वाली के लड़के की जब शादी थी तो उनको वहीं से सारे गहने दिलवाए थे |

ठीक है पर यह दुकान है कहाँ ?

मालिक का शोरूम चांदनी चौक की मुख्य सड़क पर स्थित है | आपने हल्दी राम वाले की दुकान तो देखी होगी ? बस उससे तीन चार दुकाने छोड़कर घंटा घर की तरफ है |

संतोष:अगर सामान सही रेट तथा मन पसंद मिलता है तो हमें वहाँ से खरीदने में क्या एतराज हो सकता है | वहीं से ले लेंगे |     

राकेश ने भी अपनी पत्नी की हाँ में हाँ मिलाई, ठीक है वहीं से ले लेंगे |

मुकेश: सबसे बड़ी बात है कि वह हमें ७% स्पेशल छूट देगा जो किसी को नहीं मिलती |

संतोष:गहनों पर ७% तो काफी है |