मस्तानी
पहला:- क्या मस्त लडकी है |
दूसरा:- सुन्दर भी है |
तीसरा:- गौरा चिट्टा रंग |
चौथा:- इस पर इसकी ड्रैस कितनी फब रही है |
पांचवा:- इसकी लम्बी चोटी वाली काली टोपी तो गजब ही ढाह रही है |
छटा: इसकी मतवाली – मस्तानी चाल तो दिल को छू रही है |
इसी तरह न जाने कितनी ही बातें उस लडकी के बारे में बनाई जा रही थी तथा वहां उपस्थित प्रत्येक सज्जन उसे पल भर के लिए अपने पास बैठाने को लालायित दिखाई दे रहा था | वह थी कि अपने में मस्त उस छोटे से बागीचे में एक छोर से दूसरे छोर तक, अपने आसपास के वातावरण से अनभिज्ञ, घंटों कभी चहल कदमी करती, कभी दौडती, कभी हंसते हुए उछल कूद करती रहती थी | थकावट तो जैसे वह जानती ही नहीं थी कि कैसी होती है | अमूमन सुबह दस बजे से ग्यारह बजे तक वह इस पार्क में रहती थी और इस दौरान वहां आए हुए लोगों की नजरें उस पर ही टिकी रहती थी | उसकी
लम्बी काली चोटी देखकर वहां आए हुए और बच्चे जो कुछ-कुछ जानते थे, उसे
चिढाने के अंदाज में उस पर कई तरह की फब्तियां कसते थे मसलन ‘लम्बी चोटी वाली
मियाँ जी की साली’ इत्यादि
परन्तु उनकी फबतियों के मायनों से अनभिज्ञ वह बेफिक्र अपनी मस्ती में ही डूबी रहती
थी | हालांकि
उसके हावभाव यह दर्शाते थे कि वह जानती थी कि वहां के बच्चे उसी पर फब्तियां कस
रहे हैं परन्तु उनके शब्दों का क्या मतलब है वह नहीं जानती थी फिर भी प्रतिकिर्या
के रूप में वह मुस्करा भर देती थी | |
यह नई दिल्ली म्युन्सिपलिटी का एक छोटा सा बागीचा था जो एक मैटरनिटी होम (प्रसूति गृह) से लगा हुआ था तथा वहां भर्ती हुए अपने मरीजों को देखने आए लोगों के बैठने के काम आता था | यह लडकी अपने नाना-नानी जी के साथ आती थी | क्योंकि उसकी माँ इसी प्रसूति गृह में दाखिल थी तथा अपने दूसरे बच्चे को जन्म देने वाली थी | अभी यह 'मस्तानी' महज तीन वर्ष की थी अत: उसकी मम्मी जी के प्रसूति गृह में होने के कारण उसको सम्भालने का दायित्व उसकी नानी जी पर आ गया था |
लोगों के पूछने पर उसकी नानी जी ने बताया कि इतनी छोटी उम्र होने के बावजूद वह मेरे पास रहते हुए अपनी मम्मी की बहुत कम याद करती है | इस लडकी में
और भी बहुत सी खासियत हैं मसलन अगर यह सो
रही है और किसी कारण से इसे जगाना पड़ता है तो यह उठकर ऐसे बैठ जाती है जैसे सोई ही
नहीं थी | यह किसी प्रकार की कोइ जिद नहीं करती | जो खाने को
दो खुशी-खुशी खा लेती है | नहाना –धोना बड़े चाव तथा बिना किसी हुज्जत के निपटा
लेती है | इसे रोते तो मैनें कभी देखा ही नहीं |
उस पार्क में आने वाला
हर इंसान भी यही कहता था कि उन्होंने भी महसूस किया है कि आप इसका बहुत ख्याल रखती
हो | इसकी हर
जरूरत का सामान पहले से ही तैयार रखती हो | इसके शरीर पर पहनावे में क्या फबता है
इसकी समझ भी आपको अच्छी तरह है | इस तरह मस्तानी की
अठखेलियों की वजह से उस पार्क में नानी जी भी सुर्ख़ियों में आ गई थी |
हर व्यक्ति का नाम तथा व्यक्तित्व् अलग अलग होता है | इसी प्रकार
उनमें गुण भी अलग पाए जाते हैं | जब भी कोइ बच्चा पैदा होता है तो सबसे पहले उसका नाम संस्करण किया जाता है | नाम का प्रभाव
मनुष्य के जीवन पर बहुत असर डालता है क्योंकि उससे व्यक्ति के स्वभाव के बारे में
बहुत कुछ पता चल जाता है | | मस्तमौला तरह के किस्म के व्यक्ति अपनी जिन्दगी को
खुलकर और अपने हिसाब से जीना पसंद करते
हैं | इन लोगों को कंजूसी पसंद नहीं होती | ये महंगी वस्तुएं तथा कपडे खरीदने के
शौक़ीन पाए जाते हैं | ये लोग मजाकिया स्वभाव के साथ साथ सामने वाले को जल्दी ही
प्रभावित करने में दक्ष होते हैं | ये कर्मठ, मेहनती, घूमने-फिरने के शौक़ीन तथा
जिन्दगी का पूरा आनंद उठाते हैं |
उसके नाम से अनजान तथा उसके हावभाव भांपकर कि वह मस्तमौला की तरह अपनी ही धुन में खोई रहती थी, उसे किसी से कोइ
मतलब नहीं था, वह किसी को परेशान नहीं करती थी न ही उससे कोइ परेशान था तथा वह
मस्त खेलती ही रहती थी इसलिए लोगों ने उस
चुलबुली लडकी को मस्तानी कह कर बुलाना आरम्भ कर दिया था |