जवानी का एहसास
आज आफिस में गुप्प अन्धेरा था | कल रात से ही बिजली गुल थी तथा जनरेटर खराब हो गया था | मस्तानी ने एक मोमबती जलाई और अपनी मेज पर रख ली | मोमबत्ती इस कदर आड़ में रखी गई थी कि उसकी रोशनी बाहर न फ़ैल कर केवल मस्तानी के मुख मंडल को रोशन कर रही थी | रोशनी ने एक अजीब ही मनमोहक एव लुभावना दृशय पैदा कर दिया था | मस्तानी इससे बेखर अपने काम में तल्लीन थी |
उस दृशय से प्रभावित होकर अचानक एक जवान आगंतुक लड़के ने मस्तानी के पास जाकर प्रश्न किया, “क्या आप कभी जयाचमराजेन्द्र आर्ट गैलरी-जगमोहन पैलेस-मैसूर में
गयी हैं ?”
एक अनजान लड़के की आवाज सुनकर मस्तानी एक दम चौंक गई | उसने मुहं उठाकर देखा तो पाया कि धुन्धुलके में एक नौजवान लड़का सामने खडा मुस्करा रहा था | मस्तानी ने जब प्रशन वाचक दृष्टि उस पर डाली तो वह आश्वश्त होकर मस्तानी की मेज के करीब आकर खडा हो गया और फिर एक बार अपना प्रशन दोहराया, "क्या आप कभी मैसूर जयाचमराजेन्द्र
आर्ट गैलरी-जगमोहन पैलेस-मैसूर में गयी हैं ?”
मस्तानी असमंजस में थी कि यह लड़का मेरे से ऐसा प्रशन क्यों कर रहा है |फिर उसने संयम रखते हुए उलटा प्रशन किया, "क्यों आप मुझ से ऐसा क्यों पूछ रहे हैं ?"
लड़का :- इस अँधेरे में आपके मुख मंडल पर पड़ती मोमबत्ती की रोशनी ने मुझे एक बहुत सुन्दर तस्वीर की याद दिला दी |
मस्तानी :- तो क्या मैं आपको एक तस्वीर दिखाई देती हूँ |और जोर से खिलखिलाकर एक उन्मुक्त हसीं हंस दी |
लड़का :- वह तो तस्वीर थी आप तो उस तस्वीर से कई गुना सुन्दर दिखाई दे रही थी |
लड़के की बात सुनकर मस्तानी को महसूस हुआ कि उसके गाल गर्म तथा उन पर लालिमा उतर आई थी |अचानक उसे अपने शरीर में कुछ हलचल सी महसूस हुई | आज पहली बार किसी ने उसके मुहं पर उसकी सुन्दरता की प्रशंसा की थी | अचानक जब वह अपने विचारों से आजाद हुई तो लड़के को पास खडा देखकर अपनी नजरें बचाते हुए बोली, "जाओ-जाओ मुझे काम करने दो और अपने काम में लग गई |"
आज रात वह ठीक से सो न सकी | उसकी समझ में नहीं आ रहा था कि उसे हो क्या गया था | एक अजीब सी खुमारी उसके शरीर में भर गयी थी | रह-रहकर उसे आज आफिस में उस नौजवान लडके के कहे शब्द बार-बार उसके कानों में गूँज रहे थे 'क्या आप कभी मैसूर जयाचमराजेन्द्र
आर्ट गैलरी-जगमोहन पैलेस-मैसूर में गयी हैं, आप तो उस तस्वीर से कई गुना सुन्दर दिखाई दे रही थी' | उसके मन में पल प्रतिपल उस तस्वीर के बारे में जानने की लालसा हिलोरें मारने लगी थी कि आखिर क्या है उस तस्वीर में जिसकी वह लडका मेरे से तुलना कर रहा था | उसने निर्णय लिया कि अगर वह लड़का मुझे कल दिखाई दिया तो मैं अवश्य उस तस्वीर के बारे में जानना चाहूँगीं परन्तु इस निर्णय ने उसके सारे शरीर में एक अजीब कम्पन और झुरझुरी से भर दिया | शायद यह आपसी आकर्षण का पहला कदम था |
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