Tuesday, November 12, 2024

मस्तानी - भाग 5

 

आकर्षण

आफिस में पहुँच कर उसका मन किसी काम में नहीं लग रहा था | बार-बार उसकी नजर आफिस के अन्दर आने वाले दरवाजे को नाप रही थी | जल्दी ही उसका इन्तजार पूरा हुआ | उसने लड़के को अन्दर आते हुए देख लिया | परन्तु यह क्या अचानक उसने अपनी गर्दन झुका ली तथा चोर नजरों से लड़के के पद चाप को सुनने लगी | उसका शरीर कांपने लगा, गाल लाल सुर्ख हो गए, जबान जैसे गले में अटक गई और असहज सी हो गई |उसने ऐसा दिखाया जैसे वह उस लडके के आने से अनभिग्य है तथा अपने काम में तल्लीनता से मग्न है |

लड़का धीरे से मस्तानी की मेज के नजद्दीक आकर रूका और बड़े प्यार से बोला, "हैलो ! सुन्दर तस्वीर, कैसी  हो ?|"

लड़के के शब्द कान में पड़ते ही मस्तानी को ऐसा महसूस हुआ जैसे कानों के रास्ते उसके शरीर में अमृत का पदार्पण हो गया हो |थोड़ी देर तक तो वह लड़के को मूक द्रष्टि से निहारती रही फिर अपने को संयत करते हुए मुस्कराकर जवाब दिया, "ठीक हूँ |"

परन्तु साथ ही अपनी जिज्ञासा के चलते उलटा प्रश्न भी दाग दिया, "आप मुझे तस्वीर की उपाधी से क्यों नवाज रहे हैं ?"

लड़का भी हाजिर जवाबी था अत:कहा, "आप अपना काम इस तल्लीनता से करती हो कि दूर से देखने पर एक मूरत सी ही जान पड़ती हो |"

अपने मन की इच्छा को जाग्रत करते हुए मस्तानी ने पूछ ही लिया, "आखिर मैं भी तो जानूं कि वह तस्वीर कैसी है जो आप उसकी इतनी तारीफ़ करते नहीं अघाते हो ?"

लड़का अपने दिल पर हाथ रखकर और एक लंबी आह भरी सांस लेकर बोला, "मत पूछो जो भी उसे देखता है उसकी सुन्दरता का कायल हो जाता है |"

अपना असली उत्तर पाने के लिए मस्तानी टकटकी गाए  उसी की तरफ देख रही थी |लड़का आँखे बंद किए शायद दूसरी दुनिया में पहुँच गया था | अपनी स्थिति से अनभिग्य वह बुदबुदाने लगा, "सुन्दर अति सुन्दर |आप तो दुनिया की उस महान कृति से भी अति सुन्दर दिखाई दे रही हो |"

 

अब मस्तानी की उस लडके से बात करने की झिझक थोड़ी कम हो गयी थी और उसकी इच्छा भी थी कि उस तस्वीर के बारे में जान सके जिसका जिक्र वह लड़का कर रहा था | अत: मस्तानी ने उसकी आँखों में आँखे डालकर पूछा, "आपका नाम क्या है ?"

लड़के ने छोटा सा जवाब दिया, "देवेन्द्र"और बदले में अपनी तस्वीर का नाम जानना चाहा |

'मस्तानी'

"आपका नाम भी आपकी सुन्दरता के अनुरूप ही है" सुनकर मस्तानी आत्म विभोर हो गई |

पहली बार जब मस्तानी ने लड़के की तरफ देखा था तो उसे लड़के की आखों में कुछ कशिश सी महसूस हुई थी परन्तु आज तो उसकी आखों के चार होते ही उसे महसूस होने लगा जैसे वह उसकी और खींची चली जा रही है |

 

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