Thursday, January 16, 2025

मस्तानी - भाग 11

 

बदलाव

मस्तानी के माता-पिता कुछ दिनों से अपनी बेटी के व्यवहार में कुछ परिवर्तन महसूस कर रहे थे | हमेशा शांत स्वभाव रहने वाली उनकी लडकी आजकल घर में चलते फिरते कभी-कभी गुनगुनाने लगती है | अगर घर में टेलीविजन पर कोई गाना चल रहा हो और कोई उस पर नाच रहा हो तो उसके पैर क्या पूरा शरीर हरकत में आ जाता है | पिता ने उसकी माँ के सामने जब अपने मन की शंका जाहिर की तो जवाब मिला कि अब हमारी लडकी के हाथ पीले करने का समय आ गया है | इसके लिए लड़का ढूंढना शुरू कर दो |

मस्तानी अपने माता=पिता का वार्तालाप सुनकर सामने आई और निर्भीकता से कहा, “मैनें अपने लिए लड़का ढूंढ लिया है |”

माता – पिता अपनी बेटी की निर्भीकता देखकर दंग रह गए और ठगे से सन्न हो एक दूसरे को देखने लगे | थोड़ी चेतना आने पर माँ ने पूछा, “यह तुम क्या कह रही हो बेटी ?”

बिना किसी झिझक के मस्तानी ने जवाब दिया, “मम्मी जी मैं वही कह रही हूँ जो आपने सुना |”

अपने पति की आँखों में गुस्सा भांप माँ  ने बेटी का बाजू पकड उसे झक्झोड़ा, “तू पागल हो गई है क्या ?” 

‘कल तक तो आप मुझे एक समझदार और गुनवंती बेटी कह रही थी फिर आज अचानक मुझे पागल की उपाधि से क्यों नवाज रही हो’ ?

मम्मी झुंझलाकर बोली, “अरे कुछ तो शर्म कर तेरा बाप खडा है |”

“इसमें शर्म काहे की, आप दोनों भी तो मेरी शादी करना चाहते हैं ?“

“सो तो है |”

“फिर जब मैंने अपनी पसंद का लड़का चुन लिया है तो इसमें हर्ज क्या है | आप दोनों की मेरे लिए लड़का ढूढने की परेशानी भी खत्म “ यह सब कहते हुए मस्तानी को किसी प्रकार की कोई झिझक या शर्म महसूस नहीं हो रही थी जो अमूमन ऐसे संवेदनशील मामलों में एक लडकी महसूस करती है |

माँ का रो-रोकर बुरा हाल था | उसका पूरा शरीर काँप रहा था | उसने सवालों की झड़ी लगा दी |

वह कौन है ?

किसका लड़का है ?

किस जात का है ?

कितना पढ़ा लिखा है ?

क्या करता है ?

कहाँ रहता है ? इत्यादि |

मस्तानी ने सारे प्रश्नों का जवाब एक ही उत्तर में दे दिया | वह पंडित देवी लाल का लड़का देवेन्द्र है, बी.ए. पास, पहाडगंज में रहता है और बड़े –बड़े होटलों में डी.जे. का काम करता है | उसकी सबसे बड़ी खासियत है कि वह एक ‘सेल्फ मेड’ नोजवान व्यक्ति है |

मस्तानी की आँखे लाल अंगारे की तरह चमक रही थी | वह गर्दन ऊंची किए अपने माता-पिता की आँखों में आँखे डाल डटकर सामने खडी थी | उसका यह रूप देखकर माता-पिता असमंजस में थे कि जो लडकी कभी गर्दन उठाकर अपने पिता जी से बात नहीं कर पाती थी वह आज उसके सामने सीना तान ताल ठोक कर अपना पक्ष रख रही थी |

माँ से रहा न गया | उसने गुस्से में बेटी के गाल पर दो थप्पड़ रसीद कर दिए और हाथ पकड़कर खींच कर अन्दर ले गई | खुद रोते हुए मस्तानी को कमरे के अन्दर बंद करके चिल्लाई, आज से जब तक तेरी शादी नहीं हो जाती तू यहीं बंद रहेगी | ऐसा करते हुए माँ-बाप का दिल दुःख रहा था परन्तु लोकलाज की वजह से बेटी पर अंकुश लगाना भी अनिवार्य था |

थोड़े दिनों में ही मस्तानी का व्यवहार कुछ पहले जैसा दिखने लगा | माँ-बाप ने समझा कि उनकी सख्ती रंग ला रही है | वे भी उसके साथ नरमाई से पेश आने लगे | उसके कहने पर उसे एम्.एस.सी की कक्षाओं में उपस्थित होना मंजूर कर लिया गया परन्तु कभी-कभी, यह सुनिश्चित करने के लिए कि उसकी लडकी के कदम फिर तो नहीं बहक रहे हैं, उसकी मम्मी जी उसके साथ कालेज जाती थी |

कभी-कभी के चक्कर में मस्तानी और देवेन्द्र समय निकालकर आपस में मिल ही लेते थे | एक दिन किसी कारण से जब मस्तानी की अचानक कालेज ने जल्दी छुट्टी घोषित कर दी तो देवेन्द्र को मौक़ा मिल गया और वह उसे अपने मम्मी-पापा से मिलवाने तथा दोनों की बात पक्की करवाने के लिए अपने घर ले गया |

 

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