Wednesday, June 19, 2024

चन्दगी राम निभोरिया भाग-18

 

तीसरी मौत

वैसे तो धर्म से जुडी कोई भी खबर जवलंत समाचार बन जाती है लेकिन देश में कुछ घटनाएं ऐसी भी हो जाती हैं जो सामाजिक सौहार्द की मिसाल बन जाती है | कई बार देश में जहां भारत माता की जयबोलने के मुद्दे से माहौल खराब करने की कोशिश की जाती है वहीं चंडीगढ़ जैसे शहर में राम नवमी के अवसर पर निकाली जाने वाली शोभा यात्रा में मुस्लिम समुदाय के लोगों द्वारा बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेना सांप्रदायिक सदभावना का एक बिमिसाल उदहारण बन जाता है |

इसी प्रकार राजस्थान के सीकर जिले में मुस्लिम समुदाय द्वारा इस्तेमाल के लिए बंद पड़ी कब्रिस्तान की जमीन को मंदिर बनवाने हेतू हिन्दुओं को दे देना | भीम बाडी मंदिर में मुस्लिम युवा-युवती का बिना किसी भेदभाव के निकाह करा देना | पुरवा का दादा, बलिया-बिहार में भी साम्प्रदायिक सदभाव हमेशा बना रहता है | यहाँ लोग होली, दिवाली तथा ईद आदि एक साथ मिलकर मनाते हैं | यहाँ तक कि शादी ब्याह के मौके, प्राकृतिक आपदा तथा दुःख सुख में एक दूसरे के साथ खड़े नजर आते हैं | बरेली जेल में सजा काट रही महिलाओं में भी प्रेम, सदभाव, और धार्मिक स्वतंत्रता भी देखने को मिली | इस जेल में बंद महिलाओं के धर्म भिन्न, मान्यताएं भिन्न तथा रिवाज भिन्न होते हुए भी बेमिसाल एकता है | वहां सजा काट रही मुस्लिम और ईसाई कैदी भी हिन्दू कैदियों के साथ नवरात्री का त्यौहार मनाती हैं | सभी व्रत रखती हैं तथा पूजन करती हैं | इसके विपरीत हिन्दू महिलाएं भी मुस्लिम कैदियों के साथ रमजान के रोजे रखती हैं | ऐसी ही सदभावना का मंजर एकबार चन्दगी को भी नसीब हुआ था |

अपने भाई गूगन को गाडी का काम सौंपकर चन्दगी ने अपनी खेतीबाडी में मन लगाना शुरू कर दिया था | इसका मतलब यह कतई नहीं था कि उसने गूगन की तरफ से बिलकुल ही आँखें मूँद ली थी | वह उसके धंधे का पूरा हिसाब किताब जांचता रहता था | क्योंकि उसने गाडी कर्ज पर ली थी जो किस्तों में चुकता भी करना था | उसकी जमीन सोना उगल रही थी | फसल बुआई, पकने पर उसकी कटाई-छटांई तथा दाना निकलवाने में बहुत मेहनत के साथ साथ समय की भी बर्बादी होती थी | इसलिए चन्दगी ने एक थ्रेशर ले लिया | चन्दगी ने अपना थ्रेशर को चलाने की विधी भी सीख ली थी अत: अब वह अपनी फसल के साथ साथ दूसरों की फसल की कटाई, छंटाई तथा बालों से दाना निकालने का ठेका भी लेने लगा था | वैसे तो बहुत से व्यक्ति उसके साथ इस काम में सम्मिलित थे परन्तु मुस्लिम समुदाय का एक जवान लड़का शाह नवाज उसका ख़ास सहायक बन गया था | शाह नवाज छ: फुट का, गौरा चिट्टा, सुन्दर गबरू जवान, चन्दगी के थ्रेशर का मैकेनिक था | चन्दगी तथा उसके बीच इतना सामंजस्य था की वे एक दूसरे के पूरक कहलाने लगी थे | उनकी दोस्ती में उनकी अलग अलग जाति किसी प्रकार का रोड़ा नहीं बनती थी | वे एक दूसरे के घर खाना भी खा लेते थे | एक दूसरे के त्यौहारों पर उनके परिवारों का एक साथ मिलकर मनाना ऐसे दर्शाता था जैसे वे एक ही परिवार के सदस्य हैं |           

एक बार चन्दगी अपना थ्रेशर लेकर किसी के काम के लिए जा रहा था | उसका मन था कि वह थ्रेशर को उस खेत  में खडा करके, जहां उसे फसल की कटाई, छंटाई तथा दाना निकालने का काम करना था, पहले किसी मैकेनिक से उसकी सर्विसिंग कराने की सोची थी | चन्दगी का थ्रेशर ले जाने का रास्ता शाह नवाज के घर के सामने से होकर जाता था | उन दिनों पूरे इलाके में मुश्किल से ही दो-चार थ्रेशर थे | वैसे भी वह एक भीमकाय मशीन होती थी और एक स्थान से दूसरे स्थान पर लेजाते वक्त उसके इंजन से बहुत आवाज निकलती थी | जब चन्दगी उसे ले जा रहा था तो शाह नवाज उसकी आवाज सुनकर अपने घर से बाहर निकल आया और उसने चन्दगी को रोककर हाथ के इशारे से पूछा, कहाँ जा रहे हो ?

मशीन के शोर में कुछ सुनाई नहीं दे रहा था अत: चन्दगी ने भी इशारे से समझाना चाहा, आगे के खेत में जा रहा हूँ |      

परन्तु शाह नवाज के पल्ले कुछ न पडा इसलिए उसने मशीन को बंद करके नीचे उतरने का इशारा किया | चन्दगी उसकी बात टाल न सका और मशीन बंद करके जब नीचे उतर आया तो पूछा, कहाँ जा रहे हो ?

थ्रेशर को रतीराम के खेत में खडा करने जा रहा था |

उसका काम कब से शुरू करना है, पूछा शाह नवाज ने ?

वैसे तो आज ही शुरू कर देता परन्तु.........|

चन्दगी की पूरी बात सुने बिना ही शाह नवाज ने पूछा, क्यों क्या बात हो गयी ?

अरे भाई बात कुछ नहीं हुई है बस थ्रेशर थोड़ा तंग कर रहा था अत: सोचा की काम शुरू करने से पहले इसे मैकेनिक को दिखा लूं |

परसों तो यह ठीक काम कर रहा था फिर अचानक क्या हो गया ?

काम तो अब भी ठीक कर रहा है पर सोचा काफी दिनों से सर्विसिंग नहीं कराई है तो.....|

शाह नवाज बीच में टोककर बोला, खैर यह तो होता रहेगा आओ पहले चाय पानी हो जाए |

चन्दगी ने लाख बहाने बनाने चाहे परन्तु शाह नवाज के सामने उसकी एक न चली और उसे चाय पर चर्चा के लिए उसके घर की दुकडिया में जाना ही पड़ा |

चाय की चुस्की लेते हुए शाह नवाज ने जानना चाहा, थ्रेशर में क्या खराबी हो गई है ?

ज्यादा कुछ नहीं बस गेहूं का दाना कभी कभी कट कर निकलता है |

कभी- कभी ही कट कर निकल रहा है न ?

हाँ, लगभग 10 वां हिस्सा |

शाह नवाज ने अपनी शेखी बघारते हुए, भाई जान मुझे थ्रेशर का काम करते हुए सात साल हो गए हैं थोड़ा बहुत तो मैं भी इसके बारे में जान गया हूँ |

तो ?

भाई जान जैसे एक कम्पाऊण्डर डाक्टर की लिखी दवाई देते देते आधा डाक्टर बन जाता है उसी प्रकार मुझे भी समझ लो |

 और शाह नवाज जोर से हंस पडा |

इस पर चन्दगी ने अपना हाथ हिलाकर अपना जूमला कसा, ना भाई ना, ऐसे लोग नीम हकीम खतरे जानकहलाते हैं |

इस बार हँसने की बारी चन्दगी की थी |

शाह नवाज शायद हारना नहीं चाहता था क्योंकि उसमें जवानी का जोश जो भरा था | वह चन्दगी के कंधे पकड़ कर बोला, भाई जान चलो आज मेरा हुनर भी देख ही लो |

चन्दगी ने शाह नवाज को बहुत समझाया कि वह उसके हुनर को बखूबी जानता है फिर भी एक बार थ्रेशर के एक्सपर्ट को दिखाना आवश्यक समझता है | परन्तु शाह नवाज ने उसकी एक न सुनी और जिद पर अड़ गया कि पहले वह ही खराबी को ठीक करने की कोशिश करेगा | जब चन्दगी ने उसके घर वालों से शाह नवाज को समझाने की कही तो उसकी जिद के आगे उनकी भी एक न चली | हारकर चन्दगी को कहना पडा , अच्छा भाई मैं अभी थ्रेशर को कहीं नहीं दिखाऊंगा, पहले आप अपने हुनर को आजमा लेना |      

चन्दगी उसके घर से बाहर आकर थ्रेशर लेकर जाने लगा तो शाह नवाज भी उस पर चढ़ गया | उसे ऐसा करते देख चन्दगी ने पूछा, आप कहाँ जा रहे हो ?

आपके साथ |

क्यों ?

थ्रेशर जो देखना है |

परन्तु अब तो शाम ढलने को है इसलिए कल सुबह ही काम चालू करेंगे |

नहीं भाई जान, कल पर तो काम छोड़ना ही नहीं चाहिए |

मैं काम कल पर नहीं छोड़ रहा मैं आप को बताना चाहता हूँ कि काम कल से ही शुरू करना है |

भाई जान कल काम तब ही तो चालू कर पाओगे जब आपकी मशीन ठीक होगी ?

शाह नवाज इसमें इतनी खराबी नहीं है कि कल काम रूक जाएगा |

कहते हैं विनाश काले विपरीत बुद्धी | यही कारण था कि होनी उसे अपने वश में कर रही थी इसीलिए शाह नवाज का विवेक शायद समाप्त प्राय हो गया था और उसकी समझने की शक्ति निष्क्रिय हो चुकी थी अत: बोला, भाई जान आप तो थोड़ा बहुत लिखे पढ़े भी हो इसलिए इस जुमले को भी जानते होगे कि काल करे  सो आज कर, और आज करे सो अब पल में प्रलय होएगी तो बहुरी करेगा कब’ | चन्दगी , शाह नवाज के घर वालों, उसकी बेगम तथा बच्चों ने शाह नवाज को बहुत समझाने की कोशिश की कि कल सुबह थ्रेशर को जांचना ठीक रहेगा परन्तु वह अपनी जिद से टस से मस न हुआ | आखिर चन्दगी को उसे अपने साथ ले जाना पड़ा |  

शाम का धुंधलका छाने लगा था | आसमान में सूरज के नीचे चले जाने के कारण लालिमा छाने लगी थी | आकाश में पक्षियों के झुंड अपने बसेरों की और जाने शुरू हो गए थे | खेतों के पेड़ों पर बैठे पक्षियों की चहचाहट से ऐसा प्रतीत होने लगा था जैसे वे सारे दिन की अपनी अपनी कथा एक दूसरे से कह रहे हैं | खेत पर आकर चन्दगी ने एक बार फिर कोशिश की कि शाह नवाज किसी तरह सुबह काम करने के लिए राजी हो जाए इसलिए कहा, देखो रात घिरने वाली है, हमें थ्रेशर देखने की कोइ जल्दी भी नहीं है, पेड़ों पर बैठे पक्षियों की चहचाहट भी कमजोर होती जा रही है, इसका मतलब है आराम करने का समय आ गया है |

भाई जान मनुष्यों और पक्षियों में बहुत अंतर है | वे तो रात को काम करने में बेबस हैं परन्तु मनुष्य के पास तो ऐसे साधन उपलब्ध हैं कि वह चौबीस घंटे जब चाहे काम कर सकता है |

वो तो तेरी बात दुरूस्त है परन्तु.......|

अबकी बार शाह नवाज झुंझलाकर बोला, भाई जान पता नहीं आप क्यों बार बार इन्तु परन्तु लगा रहे हो | अगर हम काम शुरू कर देते तो अब तक पता भी चल जाता कि थ्रेशर में क्या खराबी है | अब आगे कुछ नहीं चलो थ्रेशर चालू करते हैं |

मन न होते हुए भी दपील ने थ्रेशर चालू कर दिया | शाह नवाज गेहूं की बालियों से लदी पुलियों को थ्रेशर में धकलने लगा | गेहूं और भूसा अलग अलग होकर निकलने लगा | शाह नवाज ने गेहूओं का एक अन्दला भरा और चन्दगी को दिखाने लाया, भाई जान गेहूं तो निकल रहे है परन्तु कुछ दाने कट रहे है |

चन्दगी ने उसके हाथों में गेहूँ देखकर, मैं तो पहले ही तुम्हारे से कह रहा था कि थ्रेशर सर्विसिंग मांग रहा है |

भाई जान यह कोइ बड़ी खराबी नहीं है इसे तो मैं ही चुटकियों में ठीक कर दूंगा |

चलो अच्छा हुआ तुम्हारी समझ में बीमारी आ गयी अब सुबह जल्दी काम शुरू हो सकेगा, कहता हुआ चन्दगी थ्रेशर से नीचे उतरने लगा |

अरे भाई जान आप ये क्या कर रहे हो ?

क्यों अब पता तो चल ही गया है कि क्या खराबी है | सुबह आकर ठीक करके काम शुरू कर देंगे |

भाई जान काम अधूरा नहीं छोड़ते | इसे ठीक करके चलते हैं जिससे सुबह आते ही किसी झंझट में न पड़ कर काम शुरू कर सकें |

शाह नवाज थ्रेशर को ठीक करने में लग गया | चन्दगी सोच रहा था कि न जाने शाह नवाज को आज किस बात की जिद सवार हो गयी है | शायद वह अपने को ज्यादा कुशल मैकेनिक तथा बुद्धिमान समझने लगा है तभी तो किस्सी की बात नहीं मान रहा | परन्तु वह नहीं जानता कि किसी कार्य को करने में जरूरत से ज्यादा भरोसे के कारण मनुष्य बे-परवाही कर

देता है जिसकी वजह से कभी-कभी उसे भारी खामियाजा भरना पड़ जाता है | शाह नवाज तो पीछे मशीन पर काम करने लगा और वह ख्यालों में खो गया |