Sunday, June 9, 2024

चन्दगी राम निभोरिया - भाग 16

 

हत्या पर पर्दा

 

दिन व्यतीत होने लगे | एक दिन चन्दगी अपने खेत में थकहार कर एक पेड़ की छाया में विश्राम कर रहा था तो एक पुलिस इन्सपेक्टर आया | उसने चन्दगी के पास बैठते ही कहा, मान गये चन्दगी तुम्हारे शातिराना अंदाज को |

चन्दगी उठकर बैठ गया और टुकुर टुकुर इन्सपेक्टर की और देखने लगा | उसका दिल जोर-जोर से धड़कने लगा परन्तु वह बोला नहीं | इन्सपेक्टर ने चन्दगी के चेहरे की गिरती रौनक को भांप कर एक और वार किया, यार तुम्हारी शराफत ने तो पूरे इलाके में झंडे गाड रखे हैं परन्तु तुम्हारे दूसर्रे पहलू को कोई नहीं जानता |

इस बार चन्दगी टूटती आवाज में बोला, ..प क्या कह रहे हैं मेरी तो कुछ समझ नहीं आ रहा है |

बेटा तू तो जानता ही होगा कि पुलिस वाले रस्सी को सांप बनाना अच्छी तरह जानते हैं तथा गड़े मुर्दे उखाड़ना तो उनके पेशे में आता है |

इस बार चन्दगी अन्दर तक काँप गया | उसे ऐसे लगा जैसे इन्सपेक्टर को उस द्वारा की गई हत्याओं का सुराग मिल गया है | फिर भी थोड़ी हिम्मत जुटा कर वह बोला, तो, आप मुझे ये सब क्यों बता रहे हैं ?

इन्सपेक्टर ने सीधा उत्तर दिया, क्योंकि यह तेरे से सम्बन्ध रखता है | ओर अपनी नजरें चन्दगी के चेहरे पर गडा दी |

इन्सपेक्टर के कहने से चन्दगी के चेहरे का रंग एकदम फीका पड़ गया फिर भी उसने साहस जुटाया और पूछा, आप किस के बारे में बात कर रहे हैं ?

तुम्हारे सहायक तथा उस ब्राम्हण व्यक्ति के बारे में जो छ: महीने पहले अचानक गुम हो गये थे |

मेरा उनसे क्या लेना देना |

कुछ तो होगा ही तभी तो उनके कपड़े सूरज कुण्ड की उस झील में मिले हैं जहां तुम अक्सर जाते रहते हो |

वहां तो दुनिया जाती है |

परन्तु तुम तीनों वहां क्या करने गये थे |

अचानक चन्दगी के मुंह से निकला, मैं तो वहां अकेला गया था इसके बाद वे ही मुझे ढूढ़ते हुए वहां गये थे |          

इतना कहने से चन्दगी इंस्पेक्टर के जाल में फंस चुका था | अब उसके पास छुपाने के लिए कुछ भी नहीं रह गया था | वह निढाल अपना माथा पकड कर चुपचाप बैठ गया | थोड़ी देर की चुप्पी के बाद इंस्पेक्टर बोला, बेटा, मैं तुम्हारे दिल का दर्द महसूस कर सकता हूँ क्योंकि मैं भी दलित जाति का हूँ | मुझे भी स्वर्ण जाति के लोंगों के अपने प्रति उनके ज़ुबानी बाणों को सहन करना पड़ता है | कई बार मेरा भी खून खौल उठता है परन्तु अपने परिवार की सलामती के लिए खून का घूँट पीकर रह जाता हूँ | 

चन्दगी ने कांपते लहजे में पूछा, आपके कहने का तात्पर्य क्या है |

तात्पर्य जानना चाहता है तो सुन, तू अपना मन शांत करने को झील के उस पार सुनसान जगह पर बैठा था | तेरे सहायक से जब उसे पता चला तो तुझे सबक सिखाने का अच्छा मौक़ा जान वह तेरे पास आ गया | तेरे सहायक को पता था कि तू कहाँ बैठा होगा इसलिए वह भी साथ आया | वह तेरे से उलझे इससे पहले ही जोश में तुमने उसे ठिकाने लगा दिया और लाश झील में फेंक दी | जब तुम्हें होश आया तो यह जानकर कि तुम्हारी करनी का तो एक राजदार हो गया है तुमने अपने सहायक को भी उसी अंजाम तक पहुंचा दिया | मगर मच्छ आदमी की लाश को तो खा सकते हैं परन्तु उनके कपड़ों को नहीं | 

चन्दगी ने महसूस किया कि इंस्पेक्टर को पूरे प्रकरण का पता चल गया है अत: आश्चर्य से पूछा, परन्तु आप को यह सब कुछ पता कैसे चला ?

इंस्पेक्टर अपने चेहरे पर विजय मुस्कान लाकर बोला, बेटा मैंने आपको पहले ही बताया था कि हमारा पेशा ही गड़े मुर्दे उखाड़ना है |

चन्दगी के मुंह का पानी सूख गया और उसके मुंह से केवल इतना ही निकला, अब ?

अब क्या, अब तो उखड़े मुर्दे को फिर से दबाना पडेगा और तुम इतना तो जानते ही होगे कि मुर्दे को दफनाने में कुछ खर्चा तो होता ही है |

चन्दगी का शरीर अन्दर से कम्पायमान होकर पसीने पसीने हो रहा था | उसने इंस्पेक्टर की बात तो सुनी परन्तु उसका जवाब देने में वह अपने को असमर्थ पा रहा था अत; वह केवल किंकर्तव्यमूढ़ उसकी और देखता ही रह गया | इस पर इंस्पेक्टर फिर बोला, देखो चन्दगी इस घटना क्रम को अब हम दो ही जानते हैं , एक मैं और एक तुम | अगर मैंने राज खोल दिया तो तुम्हारा जेल जाना निश्चित है इसके साथ ही तुम्हारे घर वाले भी खींचे फिरेंगे परन्तु अगर इससे बचना चाहते हो तथा हमेशा के लिए इसे एक राज ही रखना चाहते हो तो तुम्हे खर्चा उठाना होगा | अब यह तुम्हारे ऊपर है कि तुम क्या पसंद करते हो |

अपनी जान संकट में समझ चन्दगी धीरे से मिमियाया, कितना लगेगा ?

ज्यादा नहीं केवल एक लाख में काम चल जाएगा |      

चन्दगी ने सुनिश्चित करना चाहा, आगे तो कुछ लफडा नहीं रह जाएगा ?

इंस्पेक्टर ने विशवास दिलाया कि रहेगा तो तब जब कुछ सबूत रह जाएगा | गुमशुदा की फाईल तो बंद हो चुकी है | इंस्पेक्टर ने थैले में से प्राप्त कपडे निकाले और चन्दगी से कहा कि केवल यही निशानी बची है इन्हें भी यहीं मेरे सामने जला दो |  

चन्दगी जो अब तक निढाल बैठा था उसके शरीर में अचानक जान आती दिखाई दी | वह जल्दी से उठा | खेत से तुड़े का ढेर उठा लाया उसमे आग लगाई और इन्स्पेटर द्वारा लाए कपड़ों को उसमें झोंक दिया | अब चन्दगी वास्तव में ही आश्वस्त हो गया था कि वह हमेशा के लिए इस अभियोग से निजात पा गया है | उसने इंस्पेक्टर से हाथ जोड़कर कहा कि वह एक लाख रूपया उसको पहुंचा देगा | 

 

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