Tuesday, June 4, 2024

चन्दगी राम निभोरिया - भाग 15

 

आत्म सम्मान

उन दिनों स्वर्ण जाति के लोग दलित समाज के लोंगो को हींन दृष्टि से देखते थे | चन्दगी की उन्नति बहुत से लोंगो की आँख का काँटा बन गयी | जिनके सामने चन्दगी का बाप हाथ जोड़कर खडा ही रहता था और बिना कहे बैठने की हिम्मत नहीं करता था वही चन्दगी आज उनसे पहले बैठने की हिमाकत करने लगा था | यह बहुतों को गंवारा न था | एक दिन चन्दगी उनकी गली से गुजर रहा था तो उसने अपनी नजर ऊपर उठा ली | सामने उसकी उम्र से बड़ा ब्राम्हण का एक लड़का छज्जे पर खडा था | वह चन्दगी की उठी नज़रों को देखकर वहीं से जोर से चिल्लाया, नजरें नीची कर के चल तूझे पता नहीं तू कहाँ से गुजर रहा है |

चन्दगी ठिठक कर खड़ा हो गया | पैसे की कीमत तथा रूतबे का अंदाजा तो वह पहले ही महसूस कर चुका था जब उसने डिपो में रहकर कमाया था | उसके कारण ही उसे आत्म सम्मान का आभाष भी हुआ था | आज एक बार फिर उसके आत्म सम्मान को चुनौती मिल रही है जिसको वह किसी हालत में खो नहीं सकता | यही सोचकर चन्दगी ने भी ऊंची आवाज में कहा, मैं जानता हूँ कि मैं कहाँ से गूजर रहा हूँ और मुझे तुम्हारे जैसे व्यक्ति से कुछ नहीं सिखना |

वह व्यक्ति ऊपर से ही चिल्लाया, तेरी ये हिम्मत और मजाल कि मेरे सामने......|

उसका वाक्य पूरा होने से पहले ही चन्दगी जोर से बोला, तूने अभी मेरी हिम्मत देखी ही कहाँ है |

ठीक है किसी दिन मौक़ा पड़ने पर मैं तेरी इस हिमाकत का तूझे मजा जरूर चखाऊंगा |

जब मर्जी आ जाना मैं तैयार हूँ ,कहकर चन्दगी ने अपनी राह पकड़ी |

कुछ दिनों बाद हरियाणा के सूरज कुण्ड का जीर्णोद्वार का काम चल रहा था | उस ब्राम्हण की गाडी वहां माल ढोने में लगी हुई थी | चन्दगी भी वहां काम का जायजा लेने पहूँच गया | चन्दगी को देखकर बाँध पर खड़े उस व्यक्ति ने हीनता भरे शब्दों में का, यहाँ भी आ गया चमट्टे |

उसकी बात सुनकर चन्दगी का खून खौल उठा | वह बैचेन हो गया | चन्दगी ने अपने सहायक से कहा कि वह पहाडी के उस पार एकांत में झील के किनारे जाकर बैठेगा जिससे उसका मन कुछ शांत हो सके और वह घर चला जाए | चन्दगी के सहायक को अकेला जाता देख उस ब्राम्हण व्यक्ति ने पूछा, तेरा उस्ताद कहाँ गया ?

आपके चमट्टा कहने से वह बहुत विचलित हो गया था अत: एकांत में बैठकर मन की शान्ति पाना चाहता है |

चल मुझे बता वह कहाँ बैठा है मैं उसे सदा के लिए शान्ति प्रदान कर देता हूँ |

मालिक उसे माफ़ कर दो वह जवानी के जोश में न जाने क्यों आपसे उलझ गया |

चल-चल मुझे उसके होश ही तो ठन्डे करने हैं |

सहायक की विनती उस ब्राम्हण व्यक्ति के सामने कुछ न कर सकी और वह उसे लेकर चन्दगी के पास पहुँच गया | चन्दगी विचार मग्न मुद्रा में बैठा था | वह सोच रहा था कि क्या दलित लोगों का कोई आत्म सम्मान नहीं होता | ये स्वर्ण जाति के लोग दलितों को अपने पैरों की जूती क्यों समझते हैं |  हमें इंसान क्यों नहीं समझते और अपनी मर्जी के मुताबिक़ जीने का हक़ हम से क्यों छिनते हैं | मैं हर मायने में समर्थ हूँ | मैं अपने आत्म सम्मान को बरकरार रखने के  लिए कुछ भी करने को तैयार हूँ | रोष में उसकी मुट्ठी बंध गयी और चेहरे ने विकराल रूप धारण कर लिया | उसने मन ही मन प्रण लिया कि वह किसी भी स्वर्ण जाति के व्यक्ति के आगे नहीं झुकेगा | इतने में उसके पास पहुंचकर उस ब्राम्हण व्यक्ति ने कहा, डरपोक यहाँ बैठा है मुंह छिपाकर ?

चन्दगी उठते हुए, मैं डरपोक नहीं हूँ | डरपोक होगा तेरा बाप |

खबरदार मेरे बाप तक न जा, वरना |

जाऊँगा, वरना तू क्या कर लेगा ?

अच्छा, बताता हूँ तूझे, कहकर वह व्यक्ति चन्दगी की और बढ़ा |

चन्दगी ने आव देखा न ताव अपनी जेब से पिस्तौल निकालकर दो गोलियां उसके सीने से पार कर दी | इसके बाद ऐसा लगा जैसे चन्दगी के दिल से सारा बोझ उतर गया | उसके माथे की सारी झुर्रियां जो चिंताओं के कारण उभर आई थी नदारद हो गयी तथा माथा सपाट हो गया |   

उसने अपने सहायक की सहायता से उस व्यक्ति का पार्थव शरीर झील में फेंक दिया | अचानक झील में उथल पुथल शुरू हो गयी | लाल रंग का गुब्बार सा उठा और इसकी धारा दूर तक बनती चली गयी | झील में बसे घडियालों ने उस व्यक्ति का नामों निशाँ मिटा दिया था | थोड़ी देर तो चन्दगी शकुन से उस झील के पानी को निहारता रहा फिर अचानक एक बार दोबारा उसके चेहरे पर किसी प्रकार की शंका की लकीरें उभर आई | उसने अपने सहायक की तरफ देखा और दो गोली उसके सीने में दाग दी | उस ब्रम्हाण व्यक्ति की तरह अपने सहायक को उस अंजाम तक पहुंचाने के बाद उसने पिस्तौल को भी झील के हवाले कर दिया और वह संतुष्ट होकर अपने घर को चल दिया | 

जब दोनों व्यक्ति घर नहीं पहुंचे तो पुलिस रिपोर्ट कराई गई | चन्दगी ने इस घटना को इतनी खूब सूरती से अंजाम दिया था कि किसी को कानों कान खबर नहीं हुई थी | वैसे मौहल्ले पडौस वाले यह सोच भी नहीं सकते थे कि चन्दगी ऐसा काम भी कर सकता है | थोड़े दिनों की गहमा  गहमी के बाद जब कुछ पता न चला तो पुलिस ने फाईल बंद कर दी | चन्दगी को बहुत बड़ी राहत मिल गई |

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