चन्दगी
राम निभोरिया
(एक आत्म कथा)
चरण
सिहँ गुप्ता (लेखक)
मेरा
जन्म 02 मार्च 1946 को नारायणा गाँव में हुआ था | मेरी प्रारम्भिक शिक्षा, पाँचवी तक, गाँव
के ही सरकारी मिडिल स्कूल में हुई | इसके बाद इंडियन एग्रीक्ल्चर रिसर्च इंस्टीच्युट पूसा के स्कूल से हायर सैकेंडरी करके, सन 1963 में, मैं भारतीय वायु सेना में भर्ती हो गया | वायु सेना की सोलह साल की नौकरी के दौरान मैनें जोधपुर विशव विधालय से स्नातकोत्तर की डिग्री हासिल की तथा वायु सेना से डिप्लोमा इन इलैक्ट्रोनिक्स का हकदार भी बना |
मार्च
1980
में भारतीय वायु सेना की नौकरी छोड़कर मैनें भारतीय स्टेट बैंक में नौकरी कर ली | बैंक की नौकरी में रहते हुए सन 2000 में जब वहाँ हिन्दी प्रतियोगिता हुई तो मेरे द्वारा लिखित संस्मरण ‘मैं उन्हें कुछ कह न सका’ की प्रविष्ठी को प्रथम स्थान प्राप्त हुआ | यहीं
से मेरे अन्दर कहानियाँ लिखने की जागृति पैदा हुई तथा फिर लगातार छः वर्षों तक, जब
सन 2006 में मैं बैंक से रिटायर हो गया, मेरी
कहानियों की प्रविष्ठियों को हिन्दी दिवस प्रतियोगिताओं में प्रथम पुरस्कार ही मिलता रहा |
मैनें
अधिकतर उन्हीं विषयों पर कहानियाँ / उपन्यास लिखे हैं जो घटनाएँ, जाने
अनजाने में, मेरे
मन को छू गई हैं तथा जिन्होने मुझे कुछ सोचने पर मजबूर कर दिया है | इसी भावना से प्रेरित होकर मैंने यह ‘चन्दगी राम निभोरिया (एक आत्म कथा)’ लिखने का प्रयत्न किया है | आशा है मैं इनके जीवन के हर पहलूओं को उजागर
करने में समर्थ हो पाया हूँ |
धन्यवाद
|
सम्पर्क:
डब्लू.जैड.-653, नारायणा गाँव
नई
देहली-110028
फोन:9313984463
Email: csgupta1946@gmail.com
सृजन
ज्यादातर लोग अपने जीवन में बदलाव लाना चाहते
हैं | जो अपने मौजूदा जीवन से परेशान हैं वे तो उसे
बदलना चाहते ही हैं, लेकिन
जिनका जीवन बेहतर है वे भी उसे और बेहतर बनाना चाहते हैं | लेकिन ज्यादातर लोग, असुविधा होने की हिचक, अनिश्चितता, अपनी
क्षमताओं को दूसरों से कम आंकना तथा विफलता की आशंकाओं के कारण, बदलाव के बारे में केवल सोचते ही रह जाते हैं
और अपनी सोच को कार्य रूप में परिवर्तित नहीं कर पाते | असल में बदलाव की प्रेरणा हमें अपने अन्दर से
ही लेनी पड़ती है | हमारा
अन्तर्मन ही हमें इसके लिए प्रेरित कर सकता है | इसके बिना हम अपनी मौजूदा स्थिति के दायरे से
एक कदम भी आगे नहीं बढ़ सकते | कई बार शारिरीक समर्थता होते हुए भी आर्थिक तथा सामाजिक विषमताएं
व्यक्ति को आगे बढ़ने से रोकती हैं | परन्तु जो अपने मन में द्दड निश्चय करके अपने कदम बदलाव की ओर बढ़ा
लेता है वही विजयी होता है | स्वामी विवेका नन्द की सीख “जीवन में एक ही लक्ष्य बनाओ और दिन रात उसी
लक्ष्य के बारे में सोचो | स्वपन में भी तुम्हें वही लक्ष्य दिखाई देना
चाहिए | फिर जुट जाओ उस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए | धुन सवार हो जानी चाहिए आपको फिर सफलता आपके
कदम चूमेगी” से प्रेरित होकर हरियाणा के गाँव डूंडा हेडा के एक गरीब परिवार से
सम्बन्ध रखने वाले अनपढ़ निवासी चन्दगी राम ने अपने जीवन को संतुष्ट, सम्मानजनक एवेम खुशहाल बना लिया |
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