Tuesday, May 21, 2024

चन्दगी राम निभोरिया - भाग 12

 

उन्नति का जज्बा

 

चन्दगी ने भट्टे के नुकसान का श्रेय भगवान को नहीं दिया | इस आपदा से व्याकुल होने की बजाय उसने सोचा कि मैनें जो गलत तरीके के कमाया था वही तो उसने वापिस लिया है | यही मन में संतोष करके वह आगे के बारे में सोचने लगा | उसने सोचा जीवन में ऊंच-नीच तो लगी रहती है | परन्तु मुझे गेंद की तरह बनना है जो नीचे गिरने के बाद भी उछल कर ऊपर आ जाती है | और यह तो मानी हुई बात है कि जैसे हिरन अपने आप बैठे हुए शेर के मुंह में नहीं चला आता, उसके लिए शेर को मेहनत करनी पड़ती है उसी प्रकार काम उद्धम से ही सिद्ध होते हैं बैठे बैठे हवाई किले बनाने से नहीं |

इस दौरान भगवान ने भी शायद अंदाजा लगा लिया था कि चन्दगी ने कमाई के लिए चाहे अनैतिक रास्ता अपनाया था परन्तु उसकी नियत बुरी नहीं थी | तभी तो उससे सब कुछ छीन लेने से पहले चन्दगी का समाज में रसूख बना दिया था | जिस आढ़ती के यहाँ वह अपनी फसल बेचता था उसकी नज़रों में चन्दगी एक बहुत ईमानदार तथा अपने दिए वचन पर अडिग रहने वाला इंसान था |     

एक व्यक्ति के लिए यह जरूरी है कि वह अपने मन में आत्म सम्मान के जज्बे को विकसित करे | यदि व्यक्ति अपने व्यक्तित्व के बारे में सकारात्मक विचार रखता है तो इससे उसके आत्म सम्मान में बढ़ोतरी होती है | आत्म सम्मान का यह जज्बा आपको अपने कार्यक्षेत्र में ही नहीं अपितु जीवन में उन्नति के पथ पर आगे बढ़ने में सहायक होता है |    

प्राकृतिक आपदा में चन्दगी ने अपना सब कुछ खो दिया था परन्तु इस हृदय विदारक घड़ी में भी उसने अपना धैर्य बरकरार रखा |  

 

भारत मे अशिक्षा एक समस्या है जो इससे जटिल आयामों के साथ जुड़ी हुई है। भारत में अशिक्षा उन विभिन्न असमानताओं के आयामों में से एक है जो देश में अस्तित्व में है। यहाँ लिंग असमानता, आय असमानता, राज्य असंतुलन, जाति असंतुलन और तकनीकी बाधाएं है जो देश में साक्षरता की दर को निर्धारित करती है। भारत के पास सबसे बड़ी निरक्षर आबादी है। 2011 की जनगणना के अनुसार पुरुषों की साक्षरता 82.14% और 65.46% महिलाओं की साक्षरता है। कम महिला साक्षरता भी लिखने और पढ़ने की गतिविधियों के लिये महिलाओं के पुरुषों पर निर्भर रहने के लिये जिम्मेदार है। इस प्रकार इसने एक दुष्चक्र का रुप ले लिया है।

फिर ये कोई नयी अवधारणा नहीं है कि धनवानों के पास गरीबों से बेहतर शैक्षिक सुविधाएं है। निर्धन व्यक्ति कुशलता और ज्ञान की कमी के कारण अपने परिवार का भरण पोषण करने के लिये स्वंय को अकुशल मजदूर के कार्यों में शामिल रखते हैं। इस प्रकार उनका ध्यान शिक्षा प्राप्त करने के स्थान पर आय अर्जित करने पर केन्द्रित हो जाता है जिससे कि वो समाज में जीवित रहने के लिये सक्षम हो सके। निराशाजनक साक्षरता दर के मुख्य कारणों में से एक यह अपर्याप्त स्कूलों की सुविधा है।

अच्छी शिक्षा जीवन में बहुत से उद्देश्यों को प्रदान करती है जैसे; व्यक्तिगत उन्नति को बढ़ावा, सामाजिक स्तर में बढ़ावा, सामाजिक स्वास्थ में सुधार, आर्थिक प्रगति, राष्ट्र की सफलता, जीवन में लक्ष्यों को निर्धारित करना, हमें सामाजिक मुद्दों के बारे में जागरुक करना और पर्यावरणीय समस्याओं को सुलझाने के लिए हल प्रदान करना और अन्य सामाजिक मुद्दें आदि। दूरस्थ शिक्षा प्रणाली के प्रयोग के कारण, आजकल शिक्षा प्रणाली बहुत साधारण और आसान हो गयी है। आधुनिक शिक्षा प्रणाली,अशिक्षा और समानता के मुद्दें को विभिन्न जाति, धर्म व जनजाति के बीच से पूरी तरह से हटाने में सक्षम है।

शिक्षा लोगों के मस्तिष्क को बड़े स्तर पर विकसित करती है और समाज में लोगों के बीच सभी भेदभावों को हटाने में मदद करती है। यह हमें अच्छा अध्ययन कर्ता बनने में मदद करती है और जीवन के हर पहलु को समझने के लिए सूझ-बूझ को विकसित करती है। यह सभी मानव अधिकारों, सामाजिक अधिकारों, देश के प्रति कर्तव्यों और दायित्वों को समझने में मदद करती है।

घर में शिक्षा प्राप्त करने का पहला स्थान है और सभी के जीवन में अभिभावक पहले शिक्षक होते हैं। हम अपने बचपन में, शिक्षा का पहला पाठ अपने घर विशेषरुप से माँ से से प्राप्त करते हैं। हमारे माता-पिता जीवन में शिक्षा के महत्व को बताते हैं।  

चन्दगी राम भी अपने बच्चों को सफलता की ओर जाते हुए देखना चाहते थे , जो केवल अच्छी और उचित शिक्षा के माध्यम से ही संभव है।

 

चन्दगी राम को पढने लिखने की बहुत रूची थी परन्तु लाख कोशीशों के बाद भी वह पढ़ न सका था | बचपन से ही उसके सामने गरीबी मुंह बाए खडी रही | पैसों के अभाव के कारण वह पढ़ न सका था | उसने जान लिया था कि अनपढ़ जीवन एक अभिशाप है क्योंकि अपनी सी..डी की पहली नौकरी में ही इसके कारण उसकी उन्नति कायम न रह सकी थी | परन्तु उसने अपना एक ध्येय बना लिया था कि वह अपने बच्चों को उच्च शिक्षा दिलाएगा |

महज सत्रह वर्ष की आयु में चन्दगी की शादी हो गई थी | इसके बाद 10 वर्षों में ही उसकी चार संतानें हो गई थी | हालांकि एक बार उसकी आर्थिक स्थिति संभल गई थी परन्तु ईंटों के भट्ठे पर आई प्राक्रतिक आपदा के कारण उसे बहुत नुकसान हुआ जिससे वह बच्चो के स्कूल की फीस भी न भर सका था | चन्दगी राम के पास अनुशासन था, बलिष्ट शरीर के साथ-साथ परिश्रमी था, बुद्धिमानी थी परन्तु उसके पास शिक्षा नहीं थी | अपनी बुद्धिमता से उसने प्रकृति का रहस्य जान लिया था कि किसी भी क्षेत्र में सफलता पाने का मूल मन्त्र है हर परिस्थिति में आगे बढ़ते रहना | जैसे नदी का पानी बहता रहता है तो साफ़-स्वच्छ रहता है अन्यथा ठहरा हुआ पानी सड़ जाता है | यही नहीं चाँद, सितारे, पृथ्वी, और ग्रह इत्यादि हमेशा चलते ही रहते हैं | अर्थात जो गिरकर भी आगे बढ़ने का साहस बटोर लेते हैं वे ही अपनी मंजिल तक पहुँच पाते हैं | अपने धैर्य को कायम रखते हुए चन्दगी राम ने हार नहीं मानी और एक माल ढ़ोने वाले ठेले को खरीद कर अपने भाई गूगन के साथ मिलकर काम करना शुरू कर दिया था |

एक बार चन्दगी, घर से दूर, अपने भाई के साथ बदरपुर ईलाके में व्यस्त होने के कारण कुछ दिनों के लिए अपने घर की सुध न ले सका था | स्कूल में फीस न भर पाने के कारण उसके बड़े लड़के रमेश को स्कूल से नाम काटने की चेतावनी मिल गई थी | भगवानी बहुत चिंतित थी | जब उसे कोई चारा नजर न आया तो उसने अपने लड़के रमेश को, जो उस समय महज 10 साल का रहा होगा, बदरपुर भेजने की ठान ली | उसने अपने जान पहचान के एक ड्राईवर से उसे बस अड्डे से बदरपुर की बस में बैठाने को कह कर उसके साथ भेज दिया | रमेश बदरपुर तो पहुँच गया परन्तु वह बहुत डरा हुआ था | बदरपुर पहुँच कर जब उसने अपने पिता को सामने नहीं पाया तो रोते-रोते चलना शुरू कर दिया | अचानक चन्दगी की निगाह जब उस रोते हुए बालक पर पड़ी तो वह उसे देखकर हक्का-बक्का रह गया | चन्दगी ने उसे सांत्वना देकर चुप कराया और आने का मकसद जान बहुत पश्चाताप किया | उसी समय वह रमेश को लेकर वापिस गाँव आया और बच्चों की फीस भरने के साथ साथ घर खर्च के लिए भगवानी को भी कुछ रकम दी | हालांकि उन दिनों चन्दगी राम की आर्थिक स्थिति कुछ नाजुक ही थी परन्तु इसके बाद उसने कभी इस बारे में कोताही नहीं बरती तथा अपनी आर्थिक स्थिति को अपने बच्चों की शिक्षा में आड़े नहीं आने दिया |

भगवान के साथ-साथ भगवानी ने भी चन्दगी राम का पूरा साथ दिया | वह दिन दूनी और रात चौगुनी तरक्की करने लगा | वह इतना सक्षम हो गया कि उसका बड़ा लडका पढ़ लिखकर सरकारी बड़े ओहदे पर नियुक्त हो गया | दूसरे लड़के भी अपनी मेहनत और शिक्षा अनुसार काम पर लग गए | समय के साथ चन्दगी राम के लड़कों व एक लडकी की शादी भी अच्छे घरानों में हो गई | इस प्रकार उसका पूरा परिवार एक सुखद जीवन व्यतीत करने लगा | अर्थात बच्चे हुए सयाने दिलद्दर हुए पुरानेकी कहावत चरितार्थ हो गई |    

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