Tuesday, July 2, 2024

चन्दगी राम निभोरिया - भाग 19

 

तीसरी मौत (क्रमशः)

चन्दगी को एक  पुरानी कहानी याद आ गयी | चार दोस्त थे | तीन तो उनमें एक से बढ़कर एक बुद्धिमान था   परन्तु चौथा पूरा गंवार था | एक बार वे कहीं घूमने जा रहे थे तो रास्ते में एक जंगल पड़ा | एक स्थान पर उन्हें हड्डियों का एक ढेर दिखाई दिया | यह देखकर एक बुद्धिमान ने पूछा, क्या कोइ बता सकता है कि ये किस जानवर की हड्डियां हो सकती हैं ?

सभी आश्चर्य चकित हो उसकी तरफ देखकर बोले, यह कैसे पता कर सकते हैं, यह मुमकिन नहीं है ?

पहला गर्व से ऊंची गर्दन करके बोला, अब देखो मेरा कमाल |

और उसने देखते ही देखते उन हड्डियों को जोड़ दिया | उनके जुड़ने से एक शेर का कंकाल सामने खडा था |

इसे देखकर दूसरे बुद्धिमान को जोश आ गया और बोला, अब देखो मेरा भी करिश्मा, मैं इन हड्डियों के ऊपर असली मांस और खाल चढ़ा देता हूँ जिससे यह असल शेर दिखाई देगा |

और वास्तव में ही वह अपनी विद्या में सफल रहा |

अपने दोस्तों के कारनामें देखककर तीसरा बुद्धिमान चुप न बैठ सका और बोला, सामने खडा शेर लग ततो असल का शेर रहा है परन्तु उसमें जान नहीं है | अब मैं उसमें जान डालकर आप सभी को चकोत कर दूंगा |

अभी तक चौथा दोस्त जो चुपचाप अपने दोस्तों के कारनामें देख रहा था अपने आख़िरी दोस्त की दलील सुनकर चुप न रह सका और चिल्लाया, अरे ऐसा मत करना अन्यथा हमारे में से कोई नहीं बचेगा |

उसकी बात सुनकर उसके तीनों दोस्त, जो हमेशा हर बात में उसका मजाक उड़ाया करते थे, व्यंग करते हुए एक साथ बोले, अबे डरपोक तू हमारे रहते डरता है | भाग यहाँ से और जोर से हँसने लगे |

उस गवांर दोस्त को तो उनकी व्यंगात्मक बातें सुनने की आदत पड़ चुकी थी अत: इससे पहले कि शेर के पुतले में जान डालने से कोई विपदा आए वह नजदीक के एक पेड़ पर चढ़ गया |

तीनों बुद्धिमान दोस्त अपनी शान दिखाने के चक्कर में शेर के ज़िंदा होने पर अपनी सुरक्षा का इंतजाम करना भूल गए और काल का ग्रास बन गए |

अचानक चन्दगी को शाह नवाज की आवाज सुनाई दी, थ्रेशर चलाओ |

चन्दगी ने बिना पीछे देखे अपने दाएं हाथ का अंगूठा ऊपर उठाकर इशारा किया, सब ठीक |

शाह नवाज की आवाज सुनाई दी, हाँ चलाओ |

चन्दगी ने बटन दबाया और थ्रेशर चालू हो गया परन्तु यह क्या कुछ ही पलों में मशीन अपने आप बंद हो गई | चन्दगी ने पीछे मुड़कर देखा शाह नवाज वहां नहीं था | वह झटपट थ्रेशर से नीचे उतरा और पीछे का नजारा देखकर उसके होश उड़ गए | वहां एक ह्रदय विदारक दर्शय था | शाह नवाज थ्रेशर की बेल्ट में फंसा था और उसके प्राण पखेरू उड़ चुके थे | थोड़ी देर पहले जो गबरू जवान उसके साथ था वह मृत्यु को प्राप्त हो चुका था | वहां देखने वाला कोई नहीं था कि शाहनवाज की मौत का क्या कारण रहा होगा | चन्दगी खुद भी एक अच्छी सेहत का मालिक था परन्तु इस हादसे को देखकर वह भी अन्दर तक काँप गया | दूसरे इस बात का भी उसे डर सताने लगा कि न जाने उसके घर वाले यह जानकर उसके साथ कैसा वर्ताव करेंगे | धार्मिक टकराव भी संभव था | खैर जो घट चुका था उसे तो वापिस नहीं लाया जा सकता था यही सोचकर थोड़ा साहस जुटाकर चन्दगी शाह नवाज के घर पहुंचा | उसके घर वालों ने चन्दगी का मुरझाया चेहरा भांपकर तथा शह नवाज को उसके साथ न देखकर शंका से पूछा, नवाज कहाँ रह गया ?

चन्दगी की आवाज उसके गले में ही अटक गयी थी वह कुछ बोल न सका और टुकुर टुकुर उसके घर वालों के चेहरे देखता खडा रहा |

उसकी ऐसी हालत देख किसी अनहोनी घटना होने की शंका से ग्रसित हो शाह नवाज की माँ ने चन्दगी को झकझोरा, बोलते क्यों नहीं क्या बात है ?

अचानक चन्दगी को ख्याल आया कि एक दम असलियत बताने से कोहराम तथा बगावत होने का अंदेशा है अत: कहा, घर के लोग जल्दी से मेरे साथ चलो |

चन्दगी ने अपने घर भी संदेशा पहुंचा दिया कि घर के सभी लोग जल्दी से जल्दी उस जगह खेत में पहुँच जाएं जहां थ्रेशर लगा था | घटना स्थल पर पहुंचकर सभी इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि शाह नवाज की इस दुखद घटना में चन्दगी का कोई कसूर नहीं दिखाई देता | शाह नवाज की अपनी बेपरवाही के कारण उसका बांधा हुआ तेहमद का  कौना थ्रेशर की बेल्ट में आ गया होगा और वह खुद भी उसमें खिंचता चता चला गया होगा | किसी तरह मिल कर शाह नवाज के निष्प्राण शरीर को बाहर निकाला गया | उसे उसके घर लाया गया | सर्व सम्मति से यह फैसला लिया गया कि इस घटना की सूचना पुलिस को नहीं दी जाएगी | शाह नवाज के घर की औरतों ने भी बड़ों की बात मान कर चुप रहने का कड़वा घूँट पी लिया |

चन्दगी और शाह नवाज के आपसी रिश्ते इतने मजबूत थे कि उनके परिवार की छोटी से छोटी समस्या को भी आपस में साझा किया जाता था | दोनों परिवार एक दूसरे के बुरे समय में साथ खड़े दिखाई देते थे | ऐसे में एक व्यक्ति की पीड़ा दोनों परिवारों की पीड़ा बन जाती थी | वे एक जुट होकर मुसीबत से लड़ते थे और उसे भगा कर ही दम लेते थे | रिश्ते निभाना भी समझौतों का दूसरा नाम है | रिश्ते केवल खून के ही नहीं होते भावनात्मक भी होते हैं | कई बार भावनात्मक रिश्ते अटूट बन जाते हैं क्योंकि वहां प्रेम, सामंजस्य, धैर्य, ईमानदारी तथा एक दूसरे के प्रति सद्भावना दिलों में कूट कूट कर भरी होती है | इसी भावनात्मक रिश्तों के कारण आज दो धार्मिक विचारों वाले एक जुट होकर खड़े थे |

अगली सुबह शाह नवाज का दाह संस्कार कर दिया गया और इस मौत के कारण भी चन्दगी पर कोई आंच नहीं आई |     

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