समझाने की कोशिश (23)
इस बीच नाना जी ने संपर्क
साधे रखने के लिहाज से मदन को थोड़े थोड़े अंतराल में उनके वाट्स एप पर प्रेरणादायक
लेख लिखने के साथ फोन करना भी न छोड़ा | सबसे पहले नाना जी ने मदन के वाट्स एप पर एक
उपन्यास ‘आत्म तृप्ति’ का वह अंश भेजा जो सिखाता था कि पति-पत्नी में एक दूसरे पर कितना अथाह विशवास तथा भरोसा होना
चाहिए |
थोड़े दिनों बाद फोन पर जब
पूछा गया कि क्या वह अंश पढ़ा तो जवाब मिला कि पढ़ने का समय नहीं मिला |
होली के पर्व के बाद जब
नाना जी को पता चला कि मदन को निमंत्रण देने के बावजूद वह होली खेलने अपनी ससुराल
नहीं पहुँचा था तो उन्होंने मदन से फोन पर कुशलक्षेम पूछने के बाद पूछा, “आप होली
पर ससुराल नहीं गए?”
“कौन सी ससुराल, कैसी
ससुराल”
“मैं मस्तानी के घर जाने
की बात कर रहा हूँ “
‘जहां किसी के साथ बेवजह
हाथापाई हो वहां भला कौन जाएगा?’
आप क्या कह रहे हो !
हमारे यहाँ दामाद को विष्णु का रूप समझा जाता है |
विष्णु की बात तो दूर
मुझे वहां एक साधारण इंसान भी समझ लिया जाए तो बहुत है |
आप ऐसा किस बिना पर कह
रहे हैं?
वहां मुझे पकड़ कर पीटने
की कोशिश की गयी थी |
ऐसा कभी हो नहीं सकता |
आपको ..........
अगर आप को यकीन नहीं है
तो ठीक है और फोन कट गया |
पूजा से सारी बातों का
पता करके कुछ दिनों बाद नाना जी ने फोन मिलाया, “मदन जी आपकी पिटाई की कोशिश के माजरे के बारे में मैंने पता किया था |
आपको क्या बताया गया ?
यही कि आप मस्तानी को
लेने गए थे | आपने जाते ही उस पर चलने का दबाव डालना शुरू कर दिया | गर्मी के दिन
थे आप पसीने-पसीने हो रहे थे | आपकी सास ने आप को बैठने के लिए कहा | आप नहीं बैठे
| आपको पानी का गिलास पकडाना चाहा तो आपने वह भी नहीं लिया | मस्तानी ने समझाने की
कोशिश की परन्तु आपकी एक ही रट रही कि जल्दी चलो अन्यथा मैं चला जाऊंगा | इस पर
आपकी सास ने ममता दर्शाते हुए आपको बाहों में भरकर बैठाने की कोशिश की | आपने इस
पर अपना सिर दीवार पर मारना चाहा तो उन्होंने आपको छोड़ दिया | फिर आप भनभनाते हुए
बाहर निकल गए | जीने पर आपको ससुर मिले | उनके पूछने पर बिना जवाब दिए आप चले गए |
इसका मतलब मैं झूठा हूँ ?
मैं तो आपको झूठा नहीं मान
सकता परन्तु मेरा इतना विशवास भी है कि मेरी बेटी में ऐसे संस्कार नहीं हो सकते जो
अपने दामाद पर हाथ उठाने का साहस कर सके |
नाना जी, मैंने वही बया
किया है जो मेरे साथ घटित हुआ था |
बिलकुल, परन्तु आपकी सास
ने भी वहीं बया किया है जो उस दिन घटित हुआ था | अब असल में क्या हुआ वह तो आपके,
मस्तानी और पूजा के आमने सामने बैठकर ही पता चल सकता है |
मुझे किसी के सामने नहीं
बैठना तथा न ही इस बारे में कोइ और बात करनी है |
मदन जी गलत फहमी तो दूर
होनी ही चाहिए |
नाना जी अगर आप इसे गलत
फहमी समझते हैं तो ठीक है | समय आने पर आपको भी असलियत का पता चल जाएगा |
बहस को आगे न बढाते हुए नाना
जी ने यही सोचकर कि कभी मिल-बैठकर बात को सुलझा लिया जाएगा मैंने विराम देना ही
उचित समझा |
अंतराष्ट्रीय महिला
समानता दिवस के अवसर पर नाना जी ने मदन को सन्देश भेजा:
वर्तमान में बहस करने का
मन नहीं करता।
आप सही मैं ग़लत बात
ख़त्म।
आज अंतराष्ट्रीय महिला
समानता दिवस पर,
जब जिंदगी थम-सी गई है,
तो मुस्कुरा कर उसे
दोबारा शुरू कर लो।
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