Tuesday, April 29, 2025

समझाने की कोशिश -25

 समझाने की कोशिश (25)

राम राम जी |

आपके कहे अनुसार मैंने आपके आपसी मन मुटाव का सारा माजरा जानने की कोशिश की इसमें मैत्री ने तो सहयोग किया परन्तु आपने अपनी प्रतिकिर्या नहीं दी अत: एकतरफा बात सुनकर मैं इस निष्कर्ष पर पहुंचा हूँ कि आप वर्तमान युग के एक शिक्षित नौजवान होते हुए भी एक कुँए के मेढक की तरह अपने घर की चार दिवारी में रहकर इंसानियत के संस्कार भूलकर रूढ़िवादी विचारों से भी निचले स्तर का व्यवहार करने लगते हैं | उदाहरण के तौर पर:

1.    वैसे तो हनीमून पर आप पत्नी को निक्कर तक पहनाना पसंद करते हो परन्तु घर पर उसको सलवार जम्फर पहनने पर पाबंदी के खिलाफ उसका साथ न देकर चुप्पी साध लेते हो |

2.    अधिकतर बातों में पत्नी को झूठा साबित करने के लिए अपने बाप के सामने उसे मुजरिम की तरह पेश करते हो और ससुर भी सामाजिक मान मर्यादा भूलकर पुत्रवधू से सवाल जवाब करने लगता है |

3.    अपने को बहुत अकल्मन्द तथा जासूस साबित करने के लिए आधी अधूरी बातें टेप करके अपने रिश्तेदारों को बदनाम करने का प्रयत्न करते हो |

4.    घर में पत्नी को पैर की जूती एवं दासी समझ कर उसके हर कदम पर अंकुश लगाते हो तथा उसके हर काम में कमी निकालते हो |

5.    अगर पत्नी घर से, घर के बुजूर्ग से कहकर,10 मिनट के लिए भी बाहर चली जाए तो पूरा कुटुम्ब आपे से बाहर हो जाता है तथा भिन्न-भिन्न प्रकार के लांछन लगाने लगता है |

6.    पत्नी को यह भी पूछने का हक़ नहीं कि आप तीन दिनों के लिए अचानक कहाँ जा रहे हैं | अगर पूछ लिया तो बखेड़ा खड़ा कर देना और मरने मारने पर उतारू हो थाना कचहरी की नौबत आ जाना |

7.    अपनी पत्नी पर हर प्रकार की शक्की निगाह रखना आपको मिले संस्कारों में शामिल है | माना आदमी दूध का जला छाछ को फूंक-फूंक कर पीता है इसका मतलब यह तो नहीं कि अपने घर के गोरख धंधे को ढांपने के लिए अपनी पत्नी पर भी शक की सुई गडा दी जाए |

8.    जैसा आपका परिवार आपको तथा शादी के बाद पत्नी को भी प्यारा हो जाता है उसी प्रकार आपका दायित्व बनता है कि आप पत्नी के परिवार का भी उतना ही सम्मान करें |

9.    मैं यह नहीं कहता कि सभी दूध के धुले होते हैं परन्तु शादी के बाद पुराणी बातों को भूलकर पति पत्नी को एक दूसरे पर विशवास बांधकर समर्पित हो जाना चाहिए |

10.               पत्नी की कमाई का हिसाब मांगना आपका हक़ है परन्तु बेवजह तथा बिना सबूत के उस पर फालतू खर्च करने का इलजाम लगाना गलत है |

11.               विष्णु रूप की शालीनता के बजाय अहंकार वश अपने को महान समझ पत्नी के भाई को अबे तू होता कौन हैसे संबोधित करना तथा छोटी बहन पर बेवजह लांछन लगाने से पद की महत्ता धूलधूसरित हो जाती है |

मेरी बातों पर गुस्सा होने की बजाय इन पर चिंतन मनन करना बेहतर होगा | वर्तमान युग के नौजवान अपने बुजर्गों की बातों को तो अहमियत देते नहीं और अक्सर युवा जोश में होश खो बैठते हैं | रही मिलकर बात करने की तो यह आपको सुनिश्चित करना है कि कब और किसके यहाँ करनी है |वर्तनाम समय में मेरी तो बस इतनी तमन्ना है कि:

रिश्ते बनते रहें,सब हंसते रहें, बस इतना ही बहुत है |

एक दूसरे को, कभी-कभी मिलते रहें, बस इतना ही बहुत है

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