Tuesday, October 17, 2023

उपन्यास - भगवती (11)

 

गर्मी का प्रकोप दिन--दिन बढ़ रहा था | सुबह से ही गर्म हवा चलनी शुरू हो जाती थी अत; घर से बाहर का काम लोग जितना जल्दी हो सके निपटाना चाहते थे जिससे उन्हें दोपहर की लू के थपेड़े न सहने पड़ें | 24 मई 1998 का दिन रविवार था | नौकरी पेशा लोगों का अमूमन यह छुट्टी का दिन होता है | अत: सभी आराम से सोकर उठते हैं तथा नाश्ता पानी भी देर से ही होता है | इन दिनों मां तुल्या राकेश की बड़ी बहन इन्द्रा भी राकेश के यहाँ आई हुई थी | सुबह के 09-30 बजे होंगे | अभी नाश्ते पानी की बातें हो ही रही थी कि नजफगढ से श्याम लाल जी एवम उनकी पत्नी ने घर में प्रवेश किया |

इतनी सुबह वह भी बिना कोई सूचना दिए दोनों को अपने सामने देख राकेश क्या सभी को बहुत आश्चर्य हुआ | हैरत की कोई प्रतिक्रया न दिखाते हुए राकेश ने कहा, आओ जी बैठो |

श्याम लाल की पत्नी ने बुरा सा मुहं बनाकर कहा, बैठना क्या है | चाँदनी से मिल लें |

हालाँकि राकेश चाँदनी की मम्मी कमला की भाषा में बेरूखी तो लगी फिर भी संयम रखते हुए ऊपर की और इशारा करके कहा, हाँ हाँ क्यों नहीं | चाँदनी ऊपर कमरे में है जाकर मिल लो |

लगभग आधा घंटा चाँदनी से बात करने के बाद दोनों नीचे आ गए जहां राकेश का पूरा परिवार बैठा था | उन्हें देखकर बैठने की जगह देते हुए चाँदनी की मम्मी जी से राकेश ने पूछा, क्यों जी बातें कर ली ?

कमला ने बड़े ही नीरसता से जवाब दिया, चाँदनी का चेहरा बता रहा है कि उसे दुःख: है |

कमला के ऐसा कहने से राकेश कुछ देर के लिए सकते में आ गया फिर संभलते हुए पूछा, दुःख:है ! उसे किस बात का दुःख है ! वैसे चाँदनी को अगर कोई दुःख है तो उसने बताया भी होगा कि उसे किस बात का दुःख: है |फिर चाँदनी को आवाज देकर, चाँदनी,बेटा, ज़रा नीचे आओ |  

जी पापा जी कहते हुए जब चाँदनी नीचे उतर आई तो राकेश ने उससे पूछा, बेटा तुम्हारी मम्मी जी कह रही हैं कि तुम यहाँ दुखी हो क्या यह सच है ?            

आश्चर्य से अपनी मम्मी की तरफ देख कर चाँदनी ने जवाब दिया, नहीं पापा जी कौन कहता है कि मुझे यहाँ किसी प्रकार का दुःख या तकलीफ है ?

तुम्हारी मम्मी जी ही ऐसी बेतुकी बातें कर रही हैं कि उनकी बेटी यहाँ दुखी है |

कमला उत्तेजित होकर बोली, परसों मेरी बड़ी लडकी यहाँ आई थी उसने फोन पर हमें बताया कि चाँदनी यहाँ रोती  रहती है |

राकेश अब चाँदनी की मम्मी की उलजलूल बातों को बर्दास्त न करने की स्थिति में आ चुका था अत: थोड़ा गर्म होकर बोला, चाँदनी यहाँ के दुःख के कारण नहीं रोती वह रोती है आपके कर्मों के कारण |

हमारे कर्मों के कारण, श्याम लाल ने अपने तेवर दिखाए |

मैंने उसी आवाज में जवाब दिया, हाँ आपके कर्मों के कारण |

वह कैसे ?

वैसे तो आप अपनी लड़की का इतना हेज दिखा रहे हो तथा कह रहे हो कि अभी लिवाकर ले जाएंगे | वैसे पिछले एक वर्ष में आपने उसे लिवाकर ले जाने की कई बार कही परन्तु आए एक बार भी नहीं | शुरू के दिनों में तो बच्चे का अपने घर वालों से मिलने को मन मचलता ही है परन्तु आपने अपने लालच के लिए उसका मन नहीं रखा और दोष हम पर मंढ रहे हो |

राकेश लड़का आया तो था छूछक लेकर |

उसे आप आना कहते हो | इससे अच्छा तो वह न आता | क्योंकि तुम्हारे किसी के पास इतना समय ही नहीं है कि अपनों की दुःख तकलीफ की खबर ले सको | अस्पताल में मिलने जाना तो दूर तुम्हारें पास इतनी भी फुर्सत नहीं कि इन छूछक जैसे चोचलों में समय बर्बाद करें | हाँ कान भराई कराके बेफिजूल लड़ने के लिए आपके पास बहुत समय है |

कमला ने वास्तव में ही कान भराई का उदाहरण पेश करके कहा, सुना है प्रभात कह रहा था कि वह चाँदनी को नजफगढ से लिवाकर नहीं लाएगा |  

इसके उत्तर में प्रभात ने एक प्रश्न कर दिया, मम्मी जी मैनें ऐसा कहा है या नहीं आपको कैसे पता चला ?

श्याम लाल आपे से बाहर होकर बिना किसी लिहाज शर्म के अपने दामाद पर चिल्लाया, अरे तू अपने को ज्यादा होशियार समझता है | तू इतना कुछ कह दे और हम चुपचाप सुनते रहें |

कमला भी अपने पति से पीछे नहीं रही और दादागिरी दिखाते हुए गर्जी, हम भी देखते हैं कि तू कैसे लेने नहीं आएगा |

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