Monday, April 29, 2024

चन्दगी राम निभोरिया -भाग 8

 

चन्दगी चला डान बनने की राह पर                   

डिपो में बाहर के देश, जर्मनी, इंग्लैंड इत्यादि से सामान बड़ी मात्रा में आना शुरू हो गया था | इसमें अधिकतर गाड़ियों के पूर्जे होते थे परन्तु उनकी आड़ में असला भी आ रहा था | इनमें पिस्तौल, बन्दूक, मैगजीन तथा गोलियां होती थी | जैसे जैसे वहां माल बढ़ता जा रहा था चन्दगी की कमाई करने की व्याग्रता भी बढ़ती जा रही थी | एक दिन वह चारपाई पर लेटे लेटे अचानक सोचने लगा कि इस संसार में कमाई करने के तो बहुत से रास्ते हैं | पहला, पढ़ लिख कर अच्छी नौकरी करना, पर मैं पढ़ा लिखा नहीं हूँ इसलिए इतनी कम तनखा की नौकरी मिली है | दूसरे बनियागिरी करना, परन्तु उसके लिए पैसे चाहिए जो मेरे पास है नहीं | तीसरे ब्याज बट्टे का काम करना, मैं बिना पैसों के वह भी नहीं कर सकता | चौथे, वह सोचकर थोड़ा ठिठका तथा मन ही मन हंसा, पहले जमाने में बड़े बड़े ॠषि मुनी यहाँ तक की भगवान कृष्ण ने भी भिक्षा माँगी थी और उन दिनों इसका मान किया जाता था परन्तु आजकल इसे घर्णा की नज़रों से देखा जाता है | जैसे पहले कोई भी विद्यार्थी ट्यूशन नहीं पढ़ता था अगर कोई पढ़ता भी था तो उसे निखिद माना जाता था परन्तु वर्त्तमान युग में यह प्रचलन बन गया है | हालांकि पैसों के अभाव में वह किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुँच पाया परन्तु इतना जरूर समझ गया कि सफलता के लिए आत्म विशवास अति आवश्यक है और आत्म विशवास को कायम रखने के लिए किसी काम को करने की तैयारी | इसी विचार से उसके दिमाग में जल्दी ही अमीर बनने की  एक बहुत ही शैतानी प्लान ने जन्म ले लिया | चन्दगी ने अपना लक्ष्य तय किया, उसे पूरा करने की योजना बनाई, एक समय निर्धारित किया और अपनी योजना को कार्यान्वित करने के लिए  उसने अपने जैसे विचार रखने वालों से संपर्क साधना शुरू कर दिया | वह जानता था कि साथी चुनने के लिए विनम्रता बहुत जरूरी है परन्तु इसके साथ यह भी ध्यान रखने योग्य है कि अंतरंगता  तथा विश्वास कुछ एक पर ही किया जा सकता है | बातों का सिलसिला उसने अपने साथ काम करने वाले से किया|

खजान क्या तू शादी शुदा है?

खजान आश्चर्य से, क्यों क्या बात है?

नहीं ऐसे ही |

चन्दगी कुछ तो बात है जो अचानक तुझे मेरी शादी का ख्याल आया है ?

चन्दगी ने सफाई देते हुए, मैं तो बस यह जानना चाहता था कि तेरा गुजारा इतनी कम तनखा में चल जाता है क्या?

खजान ने बुरा सा मुहं बनाकर, यार बस मुश्किल से खाने भर का गुजारा हो पाता है |

चन्दगी ने खजान की दुखती रग पर हाथ रखकर बोला, मैं यही तो कहना चाहता था कि मुझ अकेले का जब इस पगार में खर्चा पूरा नहीं हो पाता तो मियाँ बीबी का कैसे चलता होगा?      

अरे यार यही नहीं अब तो खर्चा बढाने वाला एक ओर आने वाला है |

ओ हो फिर तो बहुत मुश्किल हो जाएगी क्योंकि आने वाले का खर्चा तो एक व्यसक आदमी से भी ज्यादा हो जाता है | 

खजान बेबस तथा दुखी सा होकर, और मै कर भी क्या सकता हूँ?

चन्दगी एकदम लपक कर बोला, करने को तो बहुत कुछ कर सकते हो?

खजान जो चन्दगी की मंशा से अनजान था, क्या मतलब?

मतलब तो तब बताऊँ जब करने का हौसला तथा हिम्मत हो |

हौसले और हिम्मत दिखाने से कमाई होती हो तो मैं तैयार हूँ, खजान ने अपना निर्णय सूना दिया |

तो समझ ले कि हमारी किस्मत चमकने के दिन आने वाले हैं |

इसके बाद चन्दगी ने उसे अपना प्लान समझा दिया तथा अब एक गार्ड और एक ड्राईवर को अपने साथ मिलाने का मसौदा तैयार करने लगा | 

दो चार दिनों की मस्सकत के बाद चन्दगी एक अधेड़ उम्र के गार्ड से मिला और पूछा, चाचा आपको यहाँ काम करते कितने दिन हो गए हैं?

गार्ड चन्दगी पर नजरें गड़ाकर, क्यों क्या बात है?

कुछ नहीं बस आपकी उम्र देखकर ऐसे ही अंदाजा लगा रहा था कि 15-20 वर्ष तो हो ही गए होंगे |

नहीं मुझे यहाँ लगे मात्र 2 वर्ष हुए हैं |

चन्दगी ने सोचने का दिखावा करते हुए, पर र र आपकी उम्र तो.....|

हाँ मैं चालीस में चल रहा हूँ |

फिर |

गार्ड चन्दगी का भाव समझकर, मैंने 15 साल फ़ौज में नौकरी की है |

अच्छा, (कुछ सोचकर) फिर तो आपके बच्चे बड़े हो गए होंगें?

गार्ड कुछ मायूस होकर, लडकी शादी लायक होने जा रही है इसी लिए तो नौकरी करनी पड  रही है |           

शादी, तो क्या लड़की की शादी की तैयारी कर ली |

धीरे धीरे कर रहा हूँ क्योंकि इतना पैसा तो पल्ले है नहीं कि एकदम कर सकूं |

चन्दगी ने सहानुभूति दिखाई, हाँ हम गरीबों का हमेशा से यही रोना रहा है, पैसे की कमी |

गार्ड ने सहमति जताई, तुम बिलकुल ठीक कहते हो |

चन्दगी ने द्र्ड़ता दिखाते हुए कहा, हमारे में यही कमी है कि हम बस रोते रहते है | हमें इससे उबरने की कोशिश करनी चाहिए (फिर धीरे से) परन्तु इसे बदलने वाले भी तो चाहिएं | 

इतना कहकर चन्दगी ने अपनी नजरें गार्ड के चहरे पर गड़ा दी जिससे वह जान सके कि उस पर उसकी बातों का क्या असर हुआ है | थोड़ी देर तो गार्ड चुप रहा जैसे चन्दगी की बातों का विश्लेषण कर रहा हो फिर बोला, गरीबी किसे अच्छी लगती है | सभी चाहते हैं जीवन सुख से व्यतीत हो |

चन्दगी ने जब समझ लिया कि लोहा गरम है तो चोट कर देनी चाहिए बोला, अगर साथ निभा सको तो गरीबी से छुटकारा पाने के लिए मेरे पास एक युक्ति है |

गार्ड बन्दूक का बोझ उठाते उठाते परेशान हो चुका था फिर भी वह दो वक्त की रोटी के अलावा कुछ ख़ास बचा नहीं पाता था अत: बोला मैं तैयार हूँ |

अब चन्दगी ने अपने मिजाज वाले एक गाड़ी वाले को पकड़ा, अरे विक्की, तेरी यह गाड़ी तो बहुत पुराणी लगती है?

हाँ भाई चन्दगी तभी तो बीच रास्ते में अटकी पड़ी है |

इसे निकाल कर नई क्यों नहीं ले लेता |

विक्की मजाक सा करता हुआ, चन्दगी तूने यह बात तो सुनी होगी के घर में नहीं दाने अम्मा चली भुनाने’|

समझ गया समझ गया| सीधे क्यों नहीं कहता कि अंटी खाली है |

विक्की ने बुरा सा मुंह बनाकर, तू ठीक समझा |

चन्दगी ने उचित समय समझ वार किया, अगर नई गाड़ी का प्रबंध चाहता है तो मिला हाथ |

चन्दगी के कहने से विक्की एक बार को किंकर्तव्यमूढ़ खड़ा उसका मुंह ताकता रह गया | चन्दगी ने दोबारा कहकर अपना हाथ आगे बढाया तो फिर भी विक्की की आँखों में सवाल साफ़ दिखाई दे रहा था | चन्दगी ने उसके कंधे पर हाथ रखकर उसे विशवास दिलाया कि वह जो कह रहा है सही कह रहा है | अगर उसने उसका साथ दिया तो वह दिन दूर नहीं जब विक्की एक नई गाड़ी का मालिक होगा | अंधा क्या चाहे, दो आँखें | विक्की तैयार हो गया | विक्की के कारण वह माल खपाने वाला भी मिल गया जहां से विक्की अपनी गाड़ी ठीक कराता था |             

अर्थात जल्दी ही चन्दगी को ऐसे आदमी मिल गए जो उसका साथ निभाने को तैयार थे | एक डिपो में काम करने वाला उसका साथी ,एक वहां का गार्ड, एक ड्राईवर तथा एक माल को ठिकाने लगाने वाला व्यक्ति |

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