Thursday, December 12, 2024

मस्तानी भाग 9

 

बढ़ते कदम

होटल से वापसी में देवेन्द्र, “कल का क्या प्रोग्राम है ?”

‘कल तो मेरी छुट्टी है’ |

‘तुम्हारे घर वालों को तो नहीं पता ?

’नहीं |”

‘तो फिर कहाँ मिलोगी’

‘रोजाना जरूरी है?’

‘कल एक बहुत ख़ास व्यक्ति से तुम्हें मिलवाऊंगा |’

‘मस्तानी माथे पर बल लाकर, “मुझे नहीं मिलना किसी ख़ास व्यक्ति से |”

देवेन्द्र मस्तानी का हाथ अपने हाथों में लेकर तथा मस्तानी की आखों में आँखे डालकर, “यह वह ख़ास व्यक्ति है जिसके साथ तुम्हें जिन्दगी बितानी है |”

मस्तानी देवेन्द्र की बातों का कुछ सर-पैर न समझ, “ये क्या पहेलियाँ बुझा रहे हो, भला तुम्हारे सिवाय वह कौन होगा जिसके साथ तुम जीवन बिताने का कह रहे हो ?”

देवेन्द्र ने मस्तानी का हाथ धीरे से दबाया और कहा, “बस तुम कल आ जाना “ और विदा ली |

हालांकि मस्तानी बहुत दिनों के बाद जी भरकर नाचने के बाद पूरी तरह से थक चुकी थी तथा उसकी आँखे नींद से भरी हुई थी परन्तु देवेन्द्र की ख़ास व्यक्ति से मुलाक़ात का रहस्य उसे सोने नहीं दे रहा था | उसकी पूरी रात करवटें बदलने में ही गुज़री |

सुबह उसका पूरा शरीर बुरी तरह से दर्द कर रहा था फिर भी उसने कोई सुस्ती नहीं दिखाई और तय समय पर देवेन्द्र से जा मिली | उसने उतावलेपन में चारों और देखा और पूछा, “कहाँ है वह आपका ख़ास व्यक्ति?”

‘थोड़ा धीरज रखो | चलो मेरे साथ |’

‘कहाँ ?’

‘जहां वह खास व्यक्ति रहता है |’

ज्यों ही देवेन्द्र ने अपने कदम बढाए मस्तानी एक समर्पित औरत की तरह उसका अनुशरण करने लगी | थोड़ी देर में वे एक दो मंजिला मकान के सामने थे |

देवेन्द्र ने मकान को ऊपर से नीचे तक देखा और साथ  खड़ी मस्तानी से कहा, “चलो अन्दर चलते हैं |”

इस बार मकान को ऊपर से नीचे देखने की बारी मस्तानी की थी | वह सोच में पड़ गई कि वह मुझे अन्दर क्यों ले जाना चाहता है | क्या उसकी नीयत खराब हो गई है | अन्दर कोई और भी हो सकता है | वहां मुझे अकेली जान मेरे साथ धोखे से जबरदस्ती भी हो सकती है | उसकी दुविधा को समझ देवेन्द्र ने  घर के दरवाजे को अन्दर धकेल कर आवाज लगाई, मम्मी जान, और चोर नजरों से मस्तानी की तरफ देखा कि कहीं उसके ‘मम्मी जान’ कहने से उसे कुछ शक तो नहीं हुआ  |

अन्दर से आवाज आई, “हाँ दनी |”

अन्दर से किसी औरत की आवाज सुनकर मस्तानी की जान में जान आई और उसके कदम आगे बढ़ गए |

अपने लड़के के साथ एक अजनबी लडकी को देख माँ ने पूछा, “ये कौन है ?”

मम्मी जी (इस बार देवेन्द्र ने सजग होकर मम्मी जान नहीं कहा) यह मेरे आफिस में काम करती है |

मम्मी ने मस्तानी को ऊपर से नीचे तक निहारा, “लडकी तो सुन्दर है |”

देवेन्द्र ने पूछा,पसंद है” और जोर से हंस दिया |

मम्मी ने दोनों की और प्रशन वाचक दृष्टि से देखा तो देवेन्द्र तो मुस्करा रहा था परन्तु मस्तानी ने शर्मा कर अपनी नजरें झुका ली थी | परन्तु वह कनखियों से देवेन्द्र को ताक रही थी तथा आँखों ही आँखों में जैसे कह रही हो मैं कितने दिनों से तुम्हारे मुंह से ऐसा कुछ सुनने को बेताब थी | जो आज आपने मेरे मन की बात अपनी मम्मी जी के सामने रख दी है |     

अचानक मम्मी जी ने अपना हाथ मस्तानी के सिर पर रख कर उसे आशीर्वाद दिया और कहा, “ऐसी सुन्दर लडकी को कौन पसंद नहीं करेगा” | उसने उसका हाथ पकड कर अन्दर ले जाकर कुर्सी पर बैठा दिया | फिर पानी का गिलास थमाते हुए बोली, “बेटी तुम्हारा नाम क्या है?’

‘मस्तानी’

अरे वाह ! तुम्हारा नाम तो तुम्हारी कद-काठी, निडरता तथा रूप लावण्य पर खूब फबता है | वैसे तुम्हारा वंश क्या है ?

मस्तानी प्रशन सुनकर कुछ झेंपी परन्तु साहस बटोर कर बताया – गुप्ता |

मस्तानी का उत्तर जानकार देवेन्द्र की माँ अचानक असमंजस में पड़ गयी तथा उसने एक-एक करके दोनों पर प्रशनवाचक दृष्टि डाली |

माँ की उलझन समझ देवेन्द्र ने धीरे से उसका हाथ दबाते हुए कहा, “माँ अभी ऐसा कुछ नहीं है जैसा आप समझ रही हो |”

अपने बेटे के बात सुनकर माँ कुछ आश्वस्त हुई और मस्तानी से और बहुत सी बातें की मसलन !

कितनी पढी-लिखी हो ?

क्या काम करती हो ?

कौन से आफिस में हो ?

अब्बा क्या करते हैं ?

कितने भाई बहन हो ?

अम्मी क्या करती हैं ? इत्यादि |

वह पूछती तो जा रही थी परन्तु देवेन्द्र को ऐसा महसूस हो रहा था जैसे उसकी माँ के मन में मस्तानी के वंश को लेकर एक डर बैठा हुआ था | इसलिए उसने अपनी माँ को रोकने के लिए कहा, “मम्मी क्या सारी बातें आज ही दरियाफ्त कर लोगी | अगली मुलाक़ात के लिए भी कुछ छोड़ दो |”

देवेन्द्र की बात से उन दोनों को बहुत राहत मिली और थोड़ी देर बाद वे दोनों वहां से निकल गए | रास्ते में देवेन्द्र ने जानना चाहा कि उसे उसका घर कैसा लगा तो मस्तानी यह कहते हुए उसे अकेला छोड़ कर चली गयी कि अगली मुलाक़ात में बताऊँगी |

‘अगली मुलाक़ात’ के शब्द ने दोनों के चेहरे पर एक लम्बी मुस्कान फैला दी थी | 

 

        

 

 

Saturday, December 7, 2024

मस्तानी - भाग 8

 

लव जिहाद (2)-8

देवेन्द्र :- तुम्हारी हॉबी क्या है ?

मुझे संगीत से बहुत लगाव है |

देवेन्द्र :- तो क्या तुम्हें गाना भी पसंद है ?

नहीं – नहीं केवल सुनना |

देवेन्द्र :- केवल सुनना या ठुमके भी लगाना |

इस पर मस्तानी मुस्कराकर तथा शर्माते हुए बोली, “कभी-कभी |”

मस्तानी की कभी-कभी सुनकर देवेन्द्र की रूह अन्दर तक आनंदमयी हो गई || मन ही मन उसने अल्लाह का शुक्र अदा किया कि आगे चलकर उसको अधिक मेहनत नहीं करनी पड़ेगी क्योंकि मस्तानी की रुचि तो पहले से ही उसके मन मुताबिक़ थी |

देवेन्द्र को विचारों में खोया देख मस्तानी ने पूछा, “क्यों कहाँ खो गए |”

कुछ नहीं कुछ नहीं बस भगवान् का शुक्र अदा कर रहा था |

किस बात का ?

यही कि हमारी क्या खूब जोड़ी बनेगी |

वो कैसे ?

तुम्हें अभी तक पता नहीं कि मैं भी संगीत में बहुत रूची रखता हूँ |

वो कैसे ? 

मेरा काम डी.जे. का है |

मस्तानी बुरा सा मुंह बनाकर, “तो क्या तुम शादी विवाह में डी.जे. का काम करते हो ?

अरे नहीं मैं इन छोटी-मोटी शादियों में यह काम नहीं करता |

“फिर”

मेरा बड़े बड़े होटलों से करार है | वहां बड़ी –बड़ी हस्तियाँ थिरकती हैं |

मैं तो डर गई थी |

अपना विशवास कायम करने के लिए देवेन्द्र बोला, “अच्छा सा मौक़ा देखकर मैं किसी दिन तुम्हें अपने साथ ले जाऊंगा |”

देवेन्द्र की बात सुनकर मस्तानी का मन बल्लियों उछलने लगा फिर भी अपनी खुशी छिपाते हुए पूछा, “मैं वहां जाकर क्या करूंगी ?”

देवेन्द्र, मस्तानी की आँखों में अपनी नजरें गडाते हुए, “अपनी दबी इच्छाओं को साकार कर लेना और क्या |”

‘आपका मतलब’

‘यही कि चाहो तो तुम भी थिरक लेना’

‘बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना कहकर मस्तानी जोर से खिलखिलाकर हंस दी |

‘अरे वहां ऐसा बेगानापन नहीं दिखता वहां तो अपनी खुद की शादी जैसा माहौल दिखाई देता है’ |

एक दिन देवेन्द्र मस्तानी को अपने साथ होटल में ले गया | यह पांच सितारा होटल था वहां की सजावट देखकर मस्तानी दंग रह गई | ज्यों –ज्यों रात गहराने लगी एक से बढ़कर एक संभ्रात व्यक्ति डी. जे. पर आकर थिरकने लगा | धीरे –धीरे समा बंधने लगा तो मस्तानी के पैर तथा जिस्म हरकत में आने लगा | देवेन्द्र ने मस्तानी के उतावलेपन को भांपकर आखों ही आँखों में उसे नाचती हुई जनता में शामिल होने का इशारा किया | थोड़ी सकुचाते हुए मस्तानी चली गयी और फिर जमकर नाची | देवेन्द्र को प्रसन्नता थी कि उसके अपने मन की मुराद पूरी होने वाली थी |  

 

 

Monday, December 2, 2024

मस्तानी भाग 7(1)

 

लव जिहाद

लव जिहाद दो शब्दों से मिलकर बना है. अंग्रेजी भाषा का शब्द लव यानी प्यार, मोहब्बत, इश्क और अरबी भाषा का शब्द जिहाद. जिसका मतलब होता है किसी मकसद को पूरा करने के लिए अपनी पूरी ताकत लगा देना. यानी जब एक धर्म विशेष को मानने वाले दूसरे धर्म की लड़कियों को अपने प्यार के जाल में फंसाकर उस लड़की का धर्म परिवर्तन करवा देते हैं तो इस पूरी प्रक्रिया को लव जिहाद कहा जाता है.

लव जिहाद कथित रूप से मुस्लिम पुरुषों द्वारा गैर-मुस्लिम समुदायों से जुड़ी महिलाओं को इस्लाम में धर्म परिवर्तन के लिए लक्षित करके प्रेम का ढोंग रचना है। यह अवधारणा 2009 में भारत में राष्ट्रीय स्तर पर पहली बार केरल और उसके बाद कर्नाटक में राष्ट्रीय ध्यानाकर्षण की ओर बढ़ी। यह शब्द भारत के सन्दर्भ में प्रयोग किया जाता है किन्तु कथित रूप से इसी तरह की गतिविधियाँ दूसरे देशों में भी हुई हैं। केरल हाईकोर्ट के द्वारा दिए एक फैसले में लव जेहाद को सत्य पाया है। 

अबतक लव जेहाद शब्द को कानूनी मान्यता प्राप्त नहीं थी. लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने मान लिया है कि लव जिहाद होता है और मुस्लिम युवक हिंदू लड़कियों को अपने प्यार के जाल में फंसाकर उनका धर्म परिवर्तन करवाकर लव जेहाद करते हैं.

अब सुप्रीम कोर्ट ने मान लिया है कि लव जिहाद होता है और मुस्लिम युवक हिंदू लड़कियों को अपने प्यार के जाल में फंसाकर उनका धर्म परिवर्तन करवाकर लव जेहाद करते हैं आजकल किसी को भी खास मकसद के लिए राजी करना आसान हो गया है'.

लड़कियाँ बहुत कम मामलों में शिकायत करती है क्योंकि शादी के बाद जब वो पति का घर और नाम स्वीकार कर लेती है तो थोड़ी सी आनाकानी करने के बाद धर्म भी स्वीकार कर लेती है। लव जिहाद पर ज्यादा हल्ला तब मचाया जाता है जब लड़का अपना धर्म छुपाकर लड़की से शादी कर लेता है और बाद में अपना सच बताकर लड़की को धर्मपरिवर्तन के लिये मजबूर करता है। ऐसे कम ही मामले सामने आये हैं। ज्यादातर मामलों में लड़कियों को लड़को का धर्म पता होता है।

लव जिहाद का मुद्दा चर्चा में बना ही रहता है क्योंकि यह किसी राज्य, क्षेत्र या देश का मामला नहीं है बल्कि यह एक विश्वव्यापी मुद्दा है। जहाँ पर भी मुस्लिम समाज अल्पसंख्यक है वहाँ की बहुसंख्यक आबादी अक्सर यह आरोप लगाती रहती है कि मुस्लिम युवक हमारी बेटियों को बहकाकर विवाह कर लेते हैं, फिर उनका धर्मपरिवर्तन करके उन्हें अपने धर्म में शामिल कर लेते हैं । जहाँ मुस्लिम बहुसंख्यक है वहाँ लव-जिहाद  के मुद्दे को उठाने की हिम्मत कोई कर ही नहीं सकता इसलिये यह मुद्दा मुस्लिम अल्पसंख्यक आबादी वाले देशों का ही है। 

एक आधुनिक सोच वाली लड़की का इस तरह से बुरके में छुप जाना किसी को अच्छा नहीं लगता तथा बाद में लड़की किसी भी अपने पारिवारिक समारोह में शामिल नहीं हो पाती | न ही उसे अकेला मायके में आने दिया जाता है । देखा जाये तो शादी के बाद न केवल धर्म बल्कि उससे उसका पूरा परिवार और समाज ही छीन लिया जाता है । बड़ा अजीब लगता है यह सोचकर कि उस लड़की के पास नया परिवार तो होता है लेकिन पुराने सारे सम्बन्ध लगभग तोड़ दिये जाते हैं  । शादी के तुरन्त बाद लड़की का धर्म परिवर्तन करा दिया जाता है। चाहे यह धर्म परिवर्तन दबाव डालकर कराया जाता है लेकिन जब तक लड़की शिकायत नहीं करती, तब तक इसे कैसे साबित किया जा सकता है कि यह जबरन धर्म परिवर्तन का मामला है। लड़कियाँ बहुत कम मामलों में शिकायत करती है क्योंकि शादी के बाद जब वो पति का घर और नाम स्वीकार कर लेती है तो थोड़ी सी आनाकानी करने के बाद धर्म भी स्वीकार कर लेती है। लव जिहाद पर ज्यादा हल्ला तब मचाया जाता है जब लड़का अपना धर्म छुपाकर लड़की से शादी कर लेता है और बाद में अपना सच बताकर लड़की को धर्मपरिवर्तन के लिये मजबूर करता है।

लव जिहाद की प्रतिकिर्या में काला जादू तथा सम्मोहन जैसी धारणाओं का बहुत बड़ा योगदान माना जाता है | मस्तानी भी इसके चंगुल में फंस चुकी थी | तभी तो वह देवेन्द्र की हर बात मानने लगी थी |