Sunday, December 24, 2023

उपन्यास - भगवती (26)

 राकेश ने सफेदपोश को बताया |

"सर, मैं पिछले साल तक यहीं जोधपुर में कार्यरत था |"

" हूँ |"

"मैने यहाँ रहकर पिछले वर्ष एम.. प्रथम वर्ष की परीक्षा उतीर्ण कर ली थी |"

" अच्छा |"

"अब कल से मेरे एम.. फाईनल के पेपर शुरू हो रहे हैं |"

"तो आप उसके लिए आए हैं ?"

"सर, आया तो हूँ परंतु परीक्षा नहीं दे पाऊँगा |"

सफेदपोश मेरी बात नहीं समझ्ता था अतः बोला, "क्या अटपटी बातें कर रहे हो | परीक्षा के लिए आए हो और कह रहे हो कि परीक्षा नहीं दे सकता |"

"मैं ठीक कह रहा हूँ सर |"

"कैसे ?"

"क्योंकि परीक्षा के लिए मुझे छुट्टियाँ नहीं मिल पाई हैं |"

"तुम भारतीय वायु सेना में हो ?"

"हाँ सर |"

"तुम्हारी युनिट कौन सी है ?"

"सर, देहली में 60 स्कवैड्रन |"

मेरे छुट्टियाँ मिलने की कहने से शायद सफेदपोश के मन में कुछ संशय उपजा इसलिए उसने कई प्रशन एक साथ पूछे, "छुट्टियाँ क्यों नहीं मिली ? और हाँ अगर छुट्टियाँ नहीं मिली तो तुम यहाँ कैसे आए हो तथा क्या करने आए हो ?"

सफेदपोश के संशय का निवारण करते हुए मैने बताया, "सर, मुझे तीन दिनों की छुट्टियाँ प्रदान की गई हैं |" मैने वह पत्र जो मुझे अपनी यूनिट के कमांडर ने यूनिवर्सिटी में जमा कराने के लिए दिया था, सफेदपोश की तरफ बढ़ाते हुए कहना जारी रखा, "जिससे मैं यह पत्र यहाँ की युनिवर्सिटी में जमा कर आऊँ |"

सफेदपोश मेरा पत्र थाम लेता है तथा खोलकर उसे पढ़ने लगता है | पत्र को पढ़कर उसके चेहरे पर एक कटू मुस्कान बिखर जाती है | थोड़ी देर में ही शायद उसने अपना निर्णय ले लिया था  | तभी तो सफेदपोश ने मेरे से दबंग आव| में पूछा, "क्या तैयारी पक्की है ?"

"हाँ सर |"

"कौनसी डिविजन की उम्मीद है ?"

मैनें आत्म विशवास के साथ कहा, "प्रथम अन्यथा द्वितीय तो कहीं नहीं गई |"

सफेदपोश ने एक बार फिर मुझे मेरे विशवास की परीक्षा लेने के लिए पूछा, "पक्का ?"

मैने भी बड़े आत्मविशवास से कहा, "सोलह आने सर |"

मतलब आजकल का 100 परसैंट कहकर सफेदपोश ने एक जोर का ठहाका लगाया और कहा, "कल सुबह यहाँ जाना और पूछना मि.त्यागी |"

इससे पहले कि मैं आगे कुछ पूछता वह सफेदपोश, .के. तुम्हें तुम्हारी परिक्षाओं के लिए शुभ कामनाएँ कहता हुआ, अस्पताल के अन्दर चला गया | और मैं किंकर्तव्यमूढ उसे जाता देखता रह गया |  

अगली सुबह अस्पताल में जाकर पता करने पर मुझे बताया गया कि मि. त्यागी एक डाक्टर हैं तथा कमरा नम्बर 10 में बैठते हैं | मैने कमरे के सामने जाकर अन्दर झाँका तो पाया कि वही रात वाला सफेदपोश नौजवान था परंतु अब वह भारतीय वायु सेना की वर्दी धारण किए हुए था |

मैने उसके कमरे का दरवाजा खटखटा कर अन्दर दाखिल होने की आज्ञा माँगी, "क्या मैं अन्दर सकता हूँ श्रीमान ?"

अपने काम में मशगूल आफिसर बिना अपनी गर्दन ऊपर उठाए बोला, "हाँ हाँ आईये |"    

इसके साथ ही उसने उसी अवस्था में रहकर मुझे बैठने के कहने के अन्दाज में एक कुर्सी की तरफ इशारा कर दिया | जब उसके हाथ का काम समाप्त हो गया तो वह मेरी और मुखातिब होकर बोला, " हा आप हो रात वाले ?"

"हाँ श्रीमान जी |"

उसने मेरी तैयारियों के लिए अपने को आशवस्त करने के लिहाज से पूछा, "तो तुम्हारी पूरी तैयारी हैं ?"

"हाँ जी |"

"आशा है मुझे निराश नहीं करोगे ?"

मैनें विशवास दिलाकर कहा, "नहीं सर, कभी नहीं |"

"100 % ", कहकर आफिसर जोर से हँस पड़ा तथा मैं भी उसकी हँसी में शामिल होए बिना रह सका |

.के. आज से आप मेरे अस्पताल में भर्ती हो तथा आपको परीक्षा में बैठने की छूट है | फिर कुछ सोचकर बोला, "शायद आज आपकी पहली परीक्षा है | जाओ खुशी खुशी पर्चा दो | मेरी शुभ कामनाएँ आपके साथ हैं |"

आफिसर को धन्यवाद कहता हुआ मैं कमरे से बाहर आया तथा पेपर देने के लिए जोधपुर विशव विद्यालय की और उड़ चला | 

जोधपुर के मिलिट्री अस्पताल में भर्ती रहकर मैनें बड़े इत्मीनान से अपनी परिक्षाएँ समाप्त की तथा त्यागी जी का तहे दिल से शुक्रिया अदा करके अपनी यूनिट को वापिस चल दिया |

 

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