Tuesday, September 19, 2023

उपन्यास - भगवती (2)

 

राकेश ने उसे चुप कराते हुए उससे पूछा, आपका नाम क्या है ?

उसने छोटा सा जवाब दिया, भगवती |

मैं आगे उसके घर वालों के बारे में कुछ पूछना ही चाहता था कि आवाज उठी राम नाम सत्य है.....’ औरराकेश जनाजे के साथ हो लिया |

लगभग पाँच वर्ष बाद राकेश एक बार फिर कार्यवश ढांसा जाना पड़ा | इस बार वहाँ पहुचने में इतनी कठिनाई नहीं हुई क्योंकि नजफगढ से आधे रास्ते तक पतली सी पक्की सड़क बना दी गई थी | बाकी आधा रास्ता भी बन रहा था | अपना वाहन होने की वजह से बिना किसी सवारी का इंतज़ार किएराकेश आराम से ढांसा पहुँच गया था | गाँव के बाहर स्कूल की चार दीवारी बना दी गई थी | स्कूल का एक गेट भी था | जबराकेश वहाँ पहुंचा तो स्कूल का गेट बंद था तथा एक लड़की उसके बाहर खड़ी थी | मैनें चारों तरफ नजर दौडाई परन्तु उस लड़की के अलावा वहाँ कोई दिखाई नहीं दिया | गेट पर लगे ताले से मैनें अंदाजा लगाया कि स्कूल के अंदर भी कोई नहीं होगा | अपनी पढने की किताब में खोई और अपने आसपास के वातावरण से बेखर, मै आश्चर्य में था कि इस सुनसान सी जगह में यह अकेली वहाँ क्यों खड़ी है | राकेश यह भी आभाष हुआ कि वह लड़की बार बार उस पगडंडी की तरफ नजर दौड़ा लेती थी जो स्कूल को मुख्य सड़क से जोड़ती थी | जब राकेश कुछ नहीं सूझा तो मैनें उसके पास जाकर उस लड़की से पूछा, बेटा आप यहाँ क्यों खड़ी हैं ?

मैं स्कूल खुलने का इंतज़ार कर रही हूँ |

आपका स्कूल कितने बजे खुलता है ?

नौ बजे |

राकेश नें अपनी घड़ी देखी और उससे कहा, अभी तो साढ़े आठ ही बजे हैं |

हाँ मुझे पता है |

फिर आप क्यों इतनी जल्दी आ गई ?

मैं अपनी टीचर जी का इंतज़ार कर रही हूँ क्योंकि वे इस समय तक यहाँ आ जाती हैं |

लड़की के यह कहने मात्र से कि वह अपनी टीचर जी के आने का इंतज़ार कर रही है, राकेश के मन में आशंका ने जन्म ले लिया कि हो न हो इस स्कूल की टीचर गाँव के भोले भाले बच्चों की मासूमियत का नाजायज फायदा उठा कर अपने सारे काम इनसे करवाती होगी | अत: अपनी जिज्ञासा को शांत करने की इच्छा से राकेश नें पूछा, क्या आपकी टीचर ने आपको कह रखा है कि आप उनके आने से पहले यहाँ आ जाया करो ?

नहीं |

फिर आप क्यों इतनी जल्दी यहाँ आ जाती हैं

अपनी टीचर जी को दूर से आते देखकर राकेश बहुत अच्छा लगता है |

क्या तुम्हें पढ़ने-लिखने में बहुत रुचि है ?

हाँ मुझे बहुत अच्छा लगता है |

पढकर क्या बनने की इच्छा है ?

लड़की ने तपाक से उत्तर दिया, टीचर | और उसका चेहरा खिल उठा |

राकेश ने आगे प्रशन किया, अभी कौन सी क्लास में हो ?

चौथी में |

टीचर बनने के लिए तो आपको काफी पढकर टीचर ट्रेनिंग भी करनी पड़ेगी |

वो तो है |

परन्तु तुम्हारा यह स्कूल्तो केवल पाँचवी तक का है ?

राकेश की बात को सुनकर लड़की के चेहरे पर विषाद की रेखाएं उभर आई परन्तु थोड़ी देर में ही निराशा से निकलकर वह आशावान बनते हुए बोली, अंकल जहां चाह वहाँ राह |

राकेश उसके चेहरे पर उभरती संतुष्टी की रौनक तथा आँखों की चमक को भांपकर आश्चर्य चकित रह गया | इतने में दूर से आती हुई उसे उसकी टीचर जी दिखाई दी | उसकी चंचलता बढ़ गई | उसने झट से अपने को सम्भाला और अच्छा अंकल जी मैं चलती हूँ कहते हुए दौड़ पड़ी अपनी टीचर जी की सहायतार्थ |

उसके दौडने के बाद राकेश की ऊंची आवाज ने उसका पीछा किया, आपका नाम क्या है ?

बिना पीछे देखे उसने भी चिल्लाया, भगवती |

 

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