Tuesday, September 26, 2023

उपन्यास -भगवती (6)

 

प्रभात के रिश्ते के बाद तो मुकेश जी के परिवार का अधिकतर समय ससुराल में ही व्यतीत होने लगा | रोजाना रात के डेढ़ दो बजे तक अगले दिन के कार्यक्रम का प्रोग्राम बनाया जाता | उसी अनुसार अगला सारा दिन बाजार में बितता | इससे सबसे ज्यादा थकावट प्रभात एवं पंकज को होती थी | क्योंकि प्रभात की दिनचर्या तो सुबह छ: बजे दुकान खोलने से होनी ही होनी थी | पंकज को अपनी कम्प्यूटर ट्रेनिंग पर जाने के लिए उठना ही पड़ता था | केवल मुकेश जी सुबह आराम से उठते थे क्योंकि उन्हें अपने स्कूल जाने की कोई जल्दी नहीं होती थी | राकेश का आफिस भी देर से खुलता था | अत: मुकेश जी के सुबह उठने के बाद राकेश तथा उनके बीच कुछ इस तरह की बातें होती थी |

() पिता जी, आपने प्रभा की शादी के लिए कपड़ा कहाँ से खरीदा था ?

चांदनी चौक बाजार के मेन रोड़ पर एक अप्सरा साड़ी सेंटर है, वहीं से |

सारा कपड़ा वहीं से खरीदा था ?

सारे का मतलब है कि साडियां-ब्लाऊज वगैरह सारा वहीं से खरीदा था | बाकी पैंट-कमीज इत्यादि का कहीं और से लिया था |

कपड़ा खरीदने कौन कौन गया था |

अपने घर के ही लोग जाते हैं और कौन जाएगा ?

नहीं, नहीं फिर भी |

मेरे बड़े भाई साहब और भाभी जी साथ गए थे |

आपको अप्सरा के रेट कैसे लगे थे ?

मैनें और जगह मोल भाव नहीं पता किया | परन्तु इतना जरूर रहा कि वहाँ से खरीदा हुआ सारा सामान बहुत उम्दा निकला क्योंकि अभी तक किसी भी वस्तु की कहीं से भी कोई शिकायत नहीं आई |

तो क्या इस बार भी वहीं से खरीदने का इरादा है ?

राकेश तो इसमें कोई बुराई नजर नहीं आ रही |

मुकेश जी इस बार, हंसकर, ऐसे बोले जैसे राकेश को किसी बात की समझ ही नहीं थी | उन्होंने कहा, पिता जी आप भी |

इस बात पर राकेश को मुकेश की तरफ आश्चर्य चकित होकर तो देखना ही था | राकेश को समझ नहीं आया कि उसने ऐसी क्या बात कह दी जो उन्होंने ऐसे शब्द कहे | फिर भी बात को ज्यादा तूल न देकर राकेश ने पूछा, क्यों क्या बात हो गई |

कुछ नहीं | वैसे आप जानते नहीं कि पूरी चांदनी चौक की मार्किट में अप्सरा वाले सबसे महँगा बेचते हैं | पता नहीं आपने कैसे सहन कर लिया |

संतोष चाय के दो कप ट्रे में रखकर अंदर दाखिल होते हुए उनकी बात सुनकर मुकेश जी से बोली, अजी क्या सहन करवा रहे हो ?

मम्मी जी आपको पता है पिता जी ने प्रतिभा की शादी में सारी साडियां जहां से खरीदी थी वह अप्सरा का शोरूम सबसे महँगा सामान बेचता है |

तो आपकी नजर में कोई सस्ता, सुन्दर और टिकाऊ दुकान है क्या ?

मुकेश जी को जैसे अपने मन की सी बात सुनने को मिल गई अत: वे तपाक से बोले, मम्मी जी यही तो मैं पिता जी को इतनी देर से समझाने की कोशिश कर रहा हूँ | चांदनी चौक की परांठे वाली गली में एक सूरज मल-संत राम की फर्म है | मेरी जान पहचान वाला एक व्यक्ति उसमें काम करता है | १५-२०% तो हम अपनी तरफ से कम करा लेंगे बाकी ५-% उससे कहकर कम करा लेंगे |

हाँ में हाँ मिलाते हुए राकेश ने भी कह दिया, ठीक है बाजार जाएंगे तो देख लेंगे | अप्सरा के यहाँ हमने कोई नाल तो गाड़ नहीं रखी जो वहीं से खरीदना जरूरी है | जहां से अच्छा लगेगा वहीं से खरीदेंगे |

अचानक जैसे राकेश को कुछ याद आया | राकेश उठा और मुकेश से कहा, आप शादी के कार्ड का मजबून बना लो तब तक मैं पंडित बुधराम से शादी की तिथियाँ सुजवा लाता हूँ |

() मनोज:पिताजी चीज-बस्त गहने खरीदने के लिए मैंने एक बहुत बढ़िया थोक की दुकान ढूंढ ली है |

कैसे तथा कहाँ ?

मेरी बहन महरौली वाली के लड़के की जब शादी थी तो उनको वहीं से सारे गहने दिलवाए थे |

ठीक है पर यह दुकान है कहाँ ?

मालिक का शोरूम चांदनी चौक की मुख्य सड़क पर स्थित है | आपने हल्दी राम वाले की दुकान तो देखी होगी ? बस उससे तीन चार दुकाने छोड़कर घंटा घर की तरफ है |

संतोष:अगर सामान सही रेट तथा मन पसंद मिलता है तो हमें वहाँ से खरीदने में क्या एतराज हो सकता है | वहीं से ले लेंगे |     

राकेश ने भी अपनी पत्नी की हाँ में हाँ मिलाई, ठीक है वहीं से ले लेंगे |

मुकेश: सबसे बड़ी बात है कि वह हमें ७% स्पेशल छूट देगा जो किसी को नहीं मिलती |

संतोष:गहनों पर ७% तो काफी है |

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