Sunday, September 10, 2023

उपन्यास - भगवती (भूमिका)

 

उपन्यास- भगवती

सारांश

बच्चे भगवान का रूप माने जाते हैं | उनके आचरण में छल कपट का अंश लेश मात्र भी नहीं होता | लड़कों को बचपन से ही उदंड एवम शरारती माना जाता है तो लड़कियों को कोमलता सहनशीलता की देवी | परन्तु शादी होने के बाद एक आदर्श नारी अपने पति के किसी पर स्त्री के साथ संदेहास्पद सम्बन्ध को भी बर्दास्त नहीं कर सकती | ऐसी स्थिति में पति पत्नी के बीच प्राय प्रेमभाव समाप्त हो जाता है और हर कदम पर अविश्वास तथा कलह का वातावरण उपज जाता है | ऐसे समय में अगर उसका साथ देने वाला कोई हो तो वह अपने पति को ऐसी दलदल से निकालने का बीड़ा खुद ही उठा लेती है | इसके लिए एक पत्नी शक्ति का रूप धारण कर लेती है और  साहस के साथ परदे के पीछे छिपे रहस्य को उजागर करके ही दम लेती है |

 

 

 

 

भूमिका भगवती

ब्रह्मा इस ब्रम्हांड के रचियता अर्थात जीवों को इस पृथ्वी पर अवतरित करने वाले या जन्म दाता कहलाते हैं | विष्णु पृथ्वी लोक पर विचरण करने वालों का पालन पोषण करने का दायित्व निभाते हैं और जब प्राणियों का सफर पूरा हो जाता है तो महेश उनको अपनी शरण में ले लेते हैं |

इस पृथ्वी लोक पर अवतरित होने से पहले एक अद्रश्य, निराकार शक्ति प्रत्येक प्राणी का भाग्य तय कर देती है कि वह पृथ्वी लोक पर जाकर कैसा सुख, दुःख, ईर्षा, सम्मान, मुश्किलें और स्वास्थ्य इत्यादी को भोगेगा | इसे ही विधी का विधान कहते हैं |

हर प्राणी सुख शांति चाहता है | बिना किसी को कष्ट दिए जो सुख की अनुभूति होती है वह शास्वत रहती है | जब हम स्वार्थ भाव को छोड़कर परमार्थ सेवा भाव में जीते हैं तो हमारे भीतर उदारता, एकता, करूणा, प्रेम और सेवा का विकास होने लगता है | मन को बहुत शकुन तथा संतुष्टी मिलती है जिससे सदाचार, परोपकार, रचनात्मक व सकारात्मक विचार, शर्त हीन प्रेम, उदारता और निर्मलता की भावना के साथ सुख की अनुभूति होती है | परन्तु कुछ लोग जीवन के सब ऐश्वर्य प्राप्त करने के बाद भी सामाजिक बुराईयों में लिप्त हो जाते हैं जिन्हें अगर सही रास्ते पर लाने वाला न मिले तो उनका परिवार टूटने और बिखरने के कगार पर आ जाता है |

चाँदनी एक इकहरे बदन वाली सुन्दर, सुशील, गुणवंती, शिक्षित, म्रदुभाषी, निष्ठावान, अपने पति को समर्पित और धार्मिक विचारों वाली कुशल ग्रहणी थी | उसे अपने पति के चरित्र पर पूर्ण विश्वास था परन्तु एक दिन अपने पति को फोन पर किसी से संदेहास्पद स्थिति में बात करते हुए सुनकर उसके मन में उथल पुथल मचा दी | चाँदनी को संदेह का दंश हर पल चुभने लगा | उसका चैन खत्म हो गया और वह अंदर ही अंदर आक्रान्त और दुखी रहने लगी | संदेह ने उसके मन और मष्तिष्क को संकुचित बना दिया और उनके आपसी रिश्तों में दरार पडनी शुरू हो गई |

एक परिवार की धुरी एक औरत होती है | ऐसी स्थिति से उभरने के लिए अबला, सहनशीलता की मूर्ति, ममतामयी, कोमल हरदया, पतिवर्ता कही जाने वाली नारी कुछ भी करने को तैयार हो जाती है तथा रानी झांसी या शक्ति की देवी भगवती का रूप धारण करने से भी नहीं चूकती | फिर वह नारी अपना लक्ष्य निर्धारित कर उस पर अग्रसर हो जाती है |

संदेह मात्र से उपजा लक्ष्य प्राप्ति का संकल्प या प्रण भी एक ऐसा बीज है जो पड़ते ही अंकुरित होने लगता है और समस्त परिस्थितियों को अपने अनुरूप परीवर्तित कर लेता है | संकल्प निर्धारीत करता है कि हमें करना क्या है ? कैसे करना है | पाना क्या है ? अंत में संकल्प ही जीवन को निर्दिष्ट लक्ष्य तक पहुंचाता है | इस उपन्यास में ऐसा ही कुछ चाँदनी के मन के संदेह ओर द्रद्द विश्वास ने परदे के पीछे छिपे रहस्यमय सत्य को प्रकट करने का साहस करके अपने बचपन के नाम भगवतीको सार्थक किया है |

 

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