Thursday, September 14, 2017

मेरी आत्मकथा-3 (जीवन के रंग मेरे संग) युद्ध में जीवन



मेरी आत्मकथा-3 (जीवन के रंग मेरे संग) युद्ध में जीवन 
खैर पाकिस्तान के इस अचानक हमले ने मेरी आगे की पढ़ाई पर रोक लगा दी | पाकिस्तान के जंगी जहाजों ने जिनमें आधुनिक  ऍफ़ -१६ साबरे तथा केनबेरा जहाज प्रसिद्द थे के बेड़ों ने जम्मू इलाके पर बम वर्षा करके कहर बरसाना शुरू कर दिया | हालांकि हमारे छोटे आकार के पुराने, हंटर, वैम्पायर, मिग-२१ तथा   नेट जहाजो को उनके ऍफ़-१६ जहाजों की तुलना में बेदम माना जाता  था परन्तु हमारे पायलटो  की बहादुरी और साहस ने पासा पलट दिया और पाकिस्तान के जहाजों को उनका मुहं तोड़ जवाब दिया |  इसी प्रकार पाकिस्तान के पास अत्याधुनिक अमरीकन पेटन टैंक तथा एम-  टैंक थे | जिनके सामने भारतीय सेना के सरमन, सैन्चुरियां तथा विजयंत टैंक बहुत बौने माने जाते थे | परन्तु जैसे भारतीय वायु सेना के लड़ाकु जहाज़ों ने  पकिस्तान के छक्के  छुडा दिए थे उसी प्रकार अजेय पेटन टैंक का भारतीय जवानों ने अपने बेदम कहे जाने वाले टैंकों की सहायता से उनके आधुनिक टैंकों का शमशान घाट तैयार कर दिया था | इस युद्ध में भारतीय जल सेना ने भी पूरा योग दान दिया था |  
लड़ाई के दौरान पाकिस्तान अपने लाहौर, कराची, सरगोधा तथा सियालकोट हवाई अड्डो  का इस्तमाल करके हमारे बारामूला, पूंछ, राजौरी, साम्भा, कठुआ,  पठानकोट तथा जम्मू  इलाकों पर भारी बम्बबारी कर रहा था | इसी के दौरान पाकिस्तान ने वह सड़क जो हमारे जम्मू हवाई अड्डे के समानांतर बनी हुई थी उसी को हवाई पट्टी समझ कर पूरा तहस नहस कर दिया थाबम्बबारी के कारण उस सड़क पर चल रहे यातायात के साधनों को भारी नुकसान हुआ था | नजारा यह था की कई ट्रको के पहिए पेड़ पर टंगे देखे गए | सारी सड़क का किनारा मांस के लोथड़ो  से भर गया था | इसके बाद पाकिस्तान के जंगी बेड़े ने जम्मू में स्थित रडार यूनिट को अपना निशाना बनाया तथा वहां भारी बम्बबारी की | इस हमले के दौरान मैं रडार यूनिट में ड्यूटी पर था |       
एक साथ कई जहाजों ने हमारी रडार यूनिट  पर बम्बबारी करनी शुरू कर दी | गनीमत यह रही कि उनके द्वारा गिराए गए बम्ब रडार यूनिट को तो निशाना बना सके |  परन्तु उसके चारों और जहां वे बम्ब गिरे थे गहरी खाईयां बन गयी थी | बम्बो के फटने की आवाज इतनी तेज थी कि रडार यूनिट के कमरे के अन्दर भी उसे सुनकर कान फटने से लगे थे तथा पूरी कैबिन काँप कर रह गयी थी |
अचानक  रडार की ट्यूब पर सब कुछ साफ़ हो गया था | बिजली भी बंद हो गयी थीयह देखकर मैं यह जानने के लिए बाहर आया कि क्या माजरा है | बाहर घुप्प अन्धेरा छाया था | जैसे ही मैंने अपने कदम बाहर रखे  तो आसमान से बरसती मिट्टी से एकदम ढक गया | हडबडाकर मैं सामने वाले टैंट में घुस गया | अँधेरे में हाथ को हाथ नहीं दिख रहा थाटैंट पर मिट्टी बारिश की तरह गिर रही थी | धीरे धीरे फिसल कर मिट्टी ने टैंट से बाहर जाने के सभी रास्ते बंद कर दिए थे | मुझे सांस लेने में भी तकलीफ हो जाती अगर टैंट के ऊपर हवा आने का रास्ता होतामेरी कुछ समझ नहीं रहा कि क्या हो रहा था |  
अचानक फिर कई धमाके एक साथ हुए | आवाज इतनी भयानक थी जिसे सुनकर  मेरा सिर  चकरा गया | मैंने जायजा लेने के लिए अपनी आँखे ऊपर टैंट के झरोखे की तरफ उठाई ही थी की मिट्टी से भरा झोंका आया और मुझे अंधा बना गया | सिर तो पहले से ही घूम रहा था अत: यह दूसरा वार बर्दास्त  कर सका और बेहोश हो गया | इसके बाद मुझे कुछ नहीं पता की मेरी जान कैसे बची |( मेरे उपन्यास आत्म तृप्ती में पूरा विवरण )  
ऐसा नहीं था कि पाकिस्तान ही हमारी भूमि पर आक्रमण कर रहा था और हमारी फौज अपने बचाव में लगी थी | हमारी थल तथा वायु सेना आपस में तालमेल बिठाकर  पाकिस्तान के अन्दर तक हमला करने में कामयाब हो रही थी | हमारी वायु सेना के लड़ाकू जंगी जहाजों ने जालंधर, आदमपुर, पठानकोट तथा अम्बाला इत्यादि हवाई अड्डों का प्रयोग करके आकाश से पाकिस्तान पर कहर बरसाकर अपनी थल सेना को उनकी भूमि के अन्दर तक पहुँचने में कामयाबी दिलाई | अगर दूसरे देशों ने हस्तक्षेप न किया होता तो हमारी सेना के लिए लाहौर कुछ दूर न था | दोनों देशों के बीच युद्ध विराम की घोषणा कर दी गई  
जब मैं स्वस्थ हो गया तो मुझे पता चला की मेरे जीवन में बहुत बड़ा बदलाव  चुका थामेरे आने का कोई कितना इंतज़ार करता जबकि मेरा  कुछ अता पता ही था |  मेरे कसमें वादे सब चूर चूर हो चुके थे | मैं मन मसोस कर हाथ मलता रह गया | इसके लिए मुझे अपनी भाभी जी पर रोष भी आया परंतु यही सोच कर कि एक अबला नारी सब जानते हुए भी अपना मुहँ नहीं खोल सकती मैनें सब कुछ चुपके से सह लिया | किसी ने ठीक ही कहा है कि अब पछताए क्या होत है जब चिड़िया चुग गई खेत | वास्तव में ही मेरा खेत चुग लिया गया था |
अब मैं देवलाली में कार्यरत था | देवलाली देहली से बम्बई के रास्ते पर नासिक में एक रमणीक स्थान है | यहाँ का मौसम पूरे वर्ष बहुत ही सुहावना रहता है | हमारे निवास स्थान के थोड़ी दूर पर ही अमरूद, अंगूर तथा आम के बगीचे थे | पपीते के पेड़ तो हर सैनिक के घरों में ही लगे थे जिनमें खूब फल लगते थे
उन दिनों बंबई की एक डिपो से भारी संख्या में हमारी देवलाली डिपो में सामान स्थानान्तरित किया जा रहा था | काम इतना अधिक था की आने वाले सामान को पहचान कर उसे कब्जे में लेने के लिए इन्सपैक्टरों की  कमी को देखते हुए मुझे वह भार सौंप दिया गया | इस काम को अंजाम देने में इतनी धान्धले बाजी थी की कभी कभी मन बगावत करने को उतारू हो जाता था | परन्तु मजबूर था | मैं ऐसा कोई कदम उठा नहीं सकता था |  मन को मार कर मैं अपना काम करता रहा | वहां चल रही धान्धले बाजी को देखते हुए तीन चार युवक सैनिकों का मन मचल गया और उन्होंने भी अपनी किस्मत में चार चाँद लगाने का मन बना लिया |
देवलाली डिपो के गेट के सामने से डिपो की तीन तरफ की सीमा से लगती हुए एक सड़क बंबई को जाती थी | डिपो के चारों और केवल तारों की बाढ़ बनी थी | बैरकों को छोड़कर डिपो में सभी जगह ऊंची ऊंची घास उगी हुई थी | डिपो में माल असबाब इतना अधिक रहा था की उसे संभाल कर रखना मुस्किल हो रहा था | इसी का फ़ायदा उठाते हुए जल्दी ही धनवान बनने की चाह रखने वाले युवकों के दल ने आए हुए असबाब की हेराफेरी करने की चाल बना ली | ताम्बे के तारों के सात बण्डल आए थे | सैनिकों ने उन्हें अन्दर स्टोर में रखने की बजाय डिपो की कटीली तारों से बनी बाढ़ के पास घनी घास में छिपा दिया | उनकी बदकिस्मती से अगले दिन घास काटने का ठेका भी दे दिया गया | घास काटने वाले मजदूरों ने खबर दी कि डिपो की पिछली बाढ़ के पास तारों के कुछ बण्डल पड़े हैं | डिपो का कमांडर बहुत ही चालाक एवं धूर्त  किस्म का व्यक्ति था | उसने अंदाजा लगा लिया की हो हो यह किसी साजिस का मामला निकलेगा | उसने मजदूरों को दूसरी जगह घास काटने की सलाह देते हुए हिदायत दी कि वे किसी और को इस बारे में कुछ बताएं |
देवलाली डिपो के चारों ओर छोटी छोटी पहाड़ियां हैं | वहां के कमांडर ने उन पहाडियों की चोटियों से डिपो की परिधि पर नजर रखने के लिए सैनिको को तैनात कर दियादो दिनों तक कोई घटना नहीं घटी | तीसरे दिन सुबह सुबह हल्की हल्की बारिश हो रही थी | एक ट्रक आकर डिपो की पिछली बाढ़ के पास आकर लग गया | युवक सैनिकों के दल ने ताम्बे के तारों के बण्डल उसमें रखने शुरू कर दिए | अभी दो ही बण्डल रख पाए थे कि निगरानी रखने वाले सैनिकों ने हवाई फायर कर दिया | सभी अपराधी युवक सैनिक रंगे हाथों पकडे गए |
मुझे याद है कि एक दिन मैं नारायणा-नई देहली सब्जी मंडी के पास रिंग रोड पर खड़ा था | वहां एक बस आकर खड़ी हुई | उसमें से कुछ आदमी उतरे | उनमें से दो चेहरे मुझे कुछ जाने  पहचाने से लगे | मैं अभी सोच ही रहा था कि उनसे जाकर पूछू इतने में वहां एक और बस आकर रूकी और उसमें से चार पांच आदमी उतरते ही पहले खड़े लोगों से भीड़ गए | उन्होंने पल भर में ही वहां का वातावरण भयावह बना दिया | वहां पर गड़े हुए लट्ठो  को उखाड़ कर उन्होंने एक दूसरों पर बरसाने शुरू कर दिएथोड़ी देर में ही खून खराबे के बाद दोनों तरफ के लोग अलग अलग बसों में सवार हो वहां से कूंच कर गए | मैं अवाक खड़ा देखता ही रह गया | निष्कर्ष यही निकला कि वे देवलाली में अपराध की शुरूआत करने वाले युवक पूरी तरह अपराधों में लिप्त हो चुके थे |
देवलाली के कमांडर के बारे में मैंने जो शब्द इस्तेमाल किए हैं वे मेरी आप बीती  बात से भी साबित होते हैं | उसने मेरे लाख निवेदन करने पर भी मुझे मेरे माता-पिता की आख़िरी  ख्वाहिस पूरी करने में कोई मदद नहीं की जबकि उसमें कोई अड़चन भी नहीं थी | मुझे मजबूर होकर उसकी आज्ञा की अवहेलना करनी पड़ी  और बाद में कमान्डर को मजबूर होकर मुझे मेरी शादी के साथ साथ अपने परिवार को साथ रखने की अनुमती भी देनी पड़ी

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