XIX
इसी समय दरवाजे की घंटी टनटनाने लगती है | वरूण उठकर दरवाजा खोलता है |
आगंतुक का नमस्कार स्वीकार करते हुए वह अन्दर दूसरे कमरे में चला जाता है | वरूण के चेहरे पर उड़ती हवाईयाँ, संतोष का काँपता शरीर, रात का सन्नाटा तथा कमरे में अकेले जवान नन्देऊ तथा सलेज, माहौल ऐसा था कि गुलाब के स्थान पर कोई और होता तो शंका, भ्रम तथा अविशवास का घरौन्दा बन जाता | हालाँकि गुलाब के मन में भी इनके अंकुर फुटने शुरू हुए थे परंतु उसके दिल ने अपनी संगिनी पर ये लांछन लगाने गँवारा नहीं किए | गुलाब ने सोचा कि उसने भी तो संतोष की बुआ को गर्त के गड्ढे में गिरने से बचाया था जब की वे अपनी तरफ से आत्म समर्पण कर चुकी थी | इसके फल स्वरूप गुलाब को भगवान पर पूर्ण विशवास था कि उसने संतोष के साथ ऐसी वैसी घटना घटित होने से पहले ही उसे वहाँ भेज दिया था | वैसे गुलाब को अपनी पत्नि संतोष पर भी अटूट विशवास था कि वह कभी भी विशवासघात नहीं कर सकती | इसीलिए वह अपनी पत्नि को चुपचाप उस परिस्थिति से उभरते हुए देखता रहा | पहले तो संतोष कुछ विचलित सी नजर आती है परंतु वह जल्दी ही अपने को सम्भाल लेती है |
अचानक गुलाब को अपने सामने देखकर उसे अपनी आंखो पर विशवास नहीं हो पाया तथा जब वह आशवस्त हो गई तो आगे बढकर उसकी छाती पर अपना सिर टिका दिया | गुलाब ने भी उसे अपनी बाहों में समेट लिया | संतोष का दिल जो कुछ देर पहले बड़े जोरों से धड़क रहा था अब शांत होने लगा | उसे लगा जैसे कुछ क्षण पहले इस घर में जो तूफान आने को था और जिससे दो गृहस्थियाँ बरबाद हो सकती थी गुलाब के आने से सब कुछ बच गया है | संतोष को बहुत राहत मिली | अगली सुबह गुलाब संतोष को लेकर अपने घर आ जाता है |
रात का समय है | जैसे नारायणा की गलियाँ सुनसान पड़ी हैं वैसे ही अन्दर भी सन्नाटा छाया है | गली में कभी कभी एक दो कुत्तों के भौकने की आवाज आ जाती है | गुलाब अपनी पत्नि संतोष के साथ गली में लगती बैठक में लेटा हुआ है क्योंकि अभी उसके लिये घर में ऐसी उठने बैठने की कोई जगह नहीं थी जिसे वह अपना कमरा कह सकता था | संतोष गुलाब की छाती पर अपना सिर रखे आधी लेटी सी है | संतोष निःस्तब्धता तोडती है, "अब कितने दिनों की छुट्टियाँ आए हो ?”
“कुछ कह नहीं सकता |”
“फिर भी कुछ तो अन्दाजा होगा |”
“शायद एक सप्ताह ही रूक पाऊंगा |”
“अबकी बार मुझे भी साथ ले चलो |”
“तोषी (संतोष) मैं तुम्हें अभी साथ नहीं ले जा सकता क्योंकि अभी तो मेरे सर्विस रिकार्ड में ही नही है कि मैं शादी शुदा हूँ |”
संतोष उठकर सीधी बैठते हुए, “तो क्या इसकी इजाजत लेनी पड़ती है कि तुम शादी कर रहे हो ?”
“हाँ | मेरी उम्र अभी 25 वर्ष नहीं हुई है तथा मिलिट्री में अगर आप पहले से शादी शुदा नहीं हैं तो आपको शादी करने की मंजूरी लेनी आवशयक है |”
“तो ले लो मंजूरी, इसमें क्या अड़चन है ?”
“मैनें अर्जी डाल रखी है | अबकी बार जब आऊंगा तो तुम्हें शायद साथ ले जा पाऊँ |”
“अच्छा एक बात बताओ, अब लडाई तो नहीं चल रही ?”
“नहीं तो |”
“क्या आपको युद्ध के समय आगे जाकर दुशमनों से आमने सामने लड़ना पड़ता है ?”
“नहीं तोषी, हम तो लड़ाई के मैदान से कई किलोमीटर दूर अन्दर अपनी सीमा के अंदर रहते हैं |”
“फिर तो आपको कोई खतरा नहीं रहता होगा ?”
“खतरा तो आजकल हर जगह तथा हर पल रहता है | हालाँकि हम लड़ाई के मैदान से इतना दूर रहते हैं फिर भी खतरा सबसे ज्यादा रहता है |”
“वह कैसे ?”
“मेरा काम राडार का है | यह हवाई जहाजों की पोजिशन बताता है | अतः दुशमनों के लड़ाकू जहाजों का काम सबसे पहले राडार को उड़ाने का होता है | जिससे वे बे रोक-टोक किसी भी इलाके पर बमबारी कर सकें |”
“तो क्या पिछली पाकिस्तान के साथ लड़ाई के दौरान आप के राडार पर ऐसा घातक हमला हुआ था ?”
“हाँ 1965 की बात है | मैं जम्मू में था | पाकिस्तान युद्ध के समय मैं राडार ड्यूटी पर था | अचानक राडार टयूब पर मुझे पाँच तेज गति वाले हवाई जहाज दिखाई दिये........ |” (बीती यादे)
पलोटींग बोर्ड पर स्थिति जांचने के बाद उनकी सन्देहास्पद उड़ान को देखकर कमांडर ने इंटर कॉम पर गुलाब को हिदायत दी कि उन पाचों हवाई जहाजों का तत्परता से मुआईना करता रहे |
अतः गुलाब उन जहाजों का खास ख्याल रखते हुए उनकी ताजा स्थिति देता रहा | उसने महसूस किया वे पाचों जहाज बड़ी तेजी से उसके खुद के राडार की तरफ बढे चले आ रहे हैं | परंतु न जाने क्यों अभी तक उनको मार गिराने के लिये अपने लड़ाकू जहाजों का कहीं अता-पता नहीं था |
गुलाब अन्दर केबिन में राडार टयूब पर बैठा झुंझला उठा कि न जाने कमांडर क्या कर रहा है जो अभी तक अपने लड़ाकू विमानों को दुशमनों के जहाजों को खदेड़ने की आज्ञा नहीं दी | यह उसके दायरे से बाहर था कि वह अपने कमांडर से पूछ सके कि वह ऐसा क्यों कर रहा है | उसने अपनी बात की एमर्जैंसी दिखाने के लिये माईक पर चिल्लाकर कहा, "सन्दिग्ध जहाज सिर के ऊपर आ गए हैं |”
तभी गुलाब को अपने कमरे (राडार कैबिन) की खिड़कियों के जोर से खड़कने की आवाज आई | पलक झपकते ही बिल्डिंग का आधा हिस्सा तेज आवाज करता हुआ जमीन पर लुढक गया | जमीन से उठी मिट्टी और धूल तथा बम के फटने से निकले धुएँ के कारण चारों ओर अंधकार छा गया | बम वर्षक जहाज दिखाई तो नहीं दिये परंतु दूर क्षितिज में विलीन होती उनकी आवाज जरूर सुनाई दी | अभी तक कोई अन्दाजा भी नहीं लगा पाया था कि कितना नुकसान हुआ होगा कि एक और बम फटा तथा गुलाब मलबे के नीचे दब गया | उसके बाद गुलाब को कुछ पता नहीं कि क्या हुआ |
गुलाब का घर
गुलाब के पिताजी ने अपनी बेटी कविता को आवाज लगाई, "बेटा कविता, जरा इधर आना |”
कविता अन्दर आकर, "क्या बात है पिता जी ?”
“क्या समय हो गया है ?”
“पिता जी बारह बजने को हैं |”
इतने में गुलाब की माताजी जिनके चेहरे पर उदासीनता साफ झलकती नजर आ रही थी अन्दर आकर, "आज तो मेरा मन बहुत उदास हो रहा है | ऐसा लगता है कि यह कुछ ही क्षणों में बन्द हो जाएगा |”
गुलाब के पिता जी अपनी पत्नि को समझते हुए, "अरी तू इतनी क्यों चिंता करती है | उपर वाला सब ठीक करेगा | उस पर भरोसा रख |”
“एक सप्ताह से ज्यादा हो गया है | गुलाब की कोई खबर नहीं | (अपनी आंखों में अश्रु भर लाती हैं) दिन रात मुझे उसकी चिंता लगी रहती है कि न जाने कैसे रहता होगा | खाने पीने को ठीक से मिलता भी होगा या नहीं |”
“माँ, भाई को वहाँ सब तरह के आराम हैं | बस तुम उसकी चिंता छोड़कर अपनी सेहत का ख्याल रखो |”
नारायण ने कविता का समर्थन करते हुए कहा, “तेरी माँ को तो उठते बैठते बस गुलाब का ही ख्याल आता रहता है | इसे कितनी बार समझा दिया है कि भारतीय वायु सेना में किसी प्रकार का कोई कष्ट नहीं उठाना पड़ता परंतु इसकी समझ में नहीं आता | गुलाब की तरफ से दिन में बीसियों बार आखें भर लाती है |”
अपने पति की बातों को सुना अनसुना करते हुए, "आज सुबह से मेरी बाँई आंख फड़क रही है | न जाने क्या होने वाला है ?”
नारायण को जैसे कुछ याद आया, “बेटा कविता, देख बारह बज गए होंगे | रेडियो आन कर दे | समाचार आ रहे होंगे |”
“पिता जी विविध भारती पर हिन्दी में खबरें तो शायद 12.30 पर आती हैं |”
“हाँ बेटे | परंतु अब 1200 बजे रेडियो पाकिस्तान से खबरें आती हैं | हालाँकि उनकी खबरों में सच्चाई कम और अफवाह ज्यादा होती हैं फिर भी सुने तो सही कि वे लड़ाई के बारे में क्या कह रहे हैं |”
“पिता जी वे तो हमेशा अपनी बढा-चढा कर ही कहते हैं | इस समय मेरा भाई जम्मू सैक्टर में है | कहीं पाकिस्तान रेडियो ने वहाँ के बारे में अगर कोई उल्टी सीधी खबर दे दी तो माँ को सम्भालना मुशकिल हो जाएगा |”
“बेटा यह तो मैं भी जानता हूँ परंतु इतना तो अवश्य कहा जा सकता है कि उनकी खबरों में एक दो प्रतिशत सच्चाई तो होगी ही |”
“ठीक है पिता जी आप वहाँ की खबरें अकेले ही सुन लेना | मैं माँ को बाहर ले जाती हूँ तथा आपके लिये रेडियो को धीमी आवाज में चला देती हूँ |”
(माँ के साथ कविता का प्रस्थान)
यह रेडियो पाकिस्तान है | अभी आपने अहम खबरें सुनी | अब आप इनका खुलासा सुनिये | आज तड़के हमारे लडाकू विमानों ने हिन्दुस्तान के जम्मू इलाके में भारी बमबारी की | हमारी खुफिया एजैंसी के अनुसार हिन्दुस्तान में जम्मू इलाके के शाम्भा कस्बे से लेकर जम्मू तक की एकमात्र सड़क को पूरी तरह बरबाद कर दिया गया है | जम्मू शहर के निकट सतवारी क्षेत्र में स्थित हवाई अड्डे के साथ साथ वहाँ की राडार यूनिट को भी तहस नहस कर दिया है | हमारी खुफिया एजैंसी ने यह भी पक्का दावा किया है कि दुशमनों के कई हवाई जहाजों को उड़ा दिया गया है तथा राडार यूनिट के साथ उसमें तैनात सभी जवान हलाक हो गए हैं | हमारी ओर से कोई जान माल की हानि नहीं हुई है तथा हमारे सभी लड़ाकू विमान अपना काम निपटा कर सकुशल वापिस लौट आए हैं |
पाकिस्तान रेडियो से खबरें सुनने के बाद गुलाब के पिता जी का पूरा शरीर पसीनों से तर बतर हो गया | उन्हें बहुत बेचैनी महसूस होने लगी | उन्होने रेडियो बन्द कर दिया तथा कमरे में इधर उधर टहलते हुए 12.30 बजे का इंतजार करने लगे जब भारत अपने समाचार देगा |
यह ऑल इंडिया रेडियो है | आज के ताजा समाचार सुनिये | आज सवेरे पाकिस्तान के लड़ाकू विमानों ने जम्मू क्षेत्र में भारी बमबारी की | इससे हमारे कुछ मवेशियों के अलावा किसी व्यक्ति की जान का कोई नुकसान नहीं हुआ है | सम्पत्ति भी न के बराबर बर्बाद हुई है | पाकिस्तान का यह हमला अचानक होने के बावजूद हमारे लड़ाकू विमानों ने तेजी दिखाते हुए उनको अपने क्षेत्र में खदेड़ दिया |
अब सीमा पर चौकसी बढा दी गई है | राडार की यूनिट को भी ताकिद कर दी गई है कि वे निगरानी रखें कि कोई भी अनजान हवाई जहाज हमारी आज्ञा के बिना हमारे देश की सीमा का उल्लंघन न कर सके |
अपने देश की खबरें सुनकर गुलाब के पिता जी के मन को थोड़ी शांति तो अवश्य मिली परंतु वह पूरी तरह से संतुष्ट न हो पाए | एक अजीब प्रकार की दुविधा ने उनके मन में घर बना लिया था | वे कहीं से पता भी तो नहीं कर सकते थे कि उनके लड़के गुलाब का क्या हाल होगा |
गाँव के पनघट पर चार पाँच औरतें कुएँ से पानी भर रही हैं |
रेवती :- सुमन सुना तुमने | कल रात पाकिस्तान ने हमारे देश के जम्मू इलाके में भारी बमबारी की थी |
सुमन :- हाँ बहन वे बता तो रहे थे कि पाकिस्तान ने जम्मू क्षेत्र में भारी नुकसान पहुँचाया है |
लता :- उनकी खबरों के अनुसार तो हमारी तरफ से जान तथा माल दोनों का बहुत नुकसान हुआ है |
रेवती :- अरी सब चुप हो जाऔ | देखो ताई आ रही है | उनका लड़का फौज में है | उन्हें पूरी खबर होगी | उन्हीं से पूछ लेते हैं |
गुलाब की माँ नजदीक आ जाती है | पनघट पर की सभी औरतों ने उनका राम-राम ताई कह कर स्वागत किया | गुलाब की माँ ने भी उनको आशिर्वाद देते हुए कहा, "दूधो नहाओ पूतो फलो |”
अपने आने से पनघट पर छाए सन्नाटे को महसूस करते हुए गुलाब की माँ ने मौन तोड़ते हुए कहा, "मैने दूर से देखा था कि तुम सब आपस में खूब बातें कर रही थी परंतु मेरे आने से तुम सब को साँप सा क्यों सूंघ गया है ?”
सुमन :- आपके चेहरे पर छाए विषाद को समझ कर हम सब चुप हो गई हैं |
“हाँ बेटी तुम तो जानती ही हो कि तुम्हारा देवर फौज में है | लड़ाई छिड़ी हुई है | उसकी कोई खैर खबर ही नहीं मिलती | बस इसी वजह से चिंता सी लगी रहती है |”
लता :- ताई वह आजकल कहाँ है ?
“जम्मू में |”
ताई के जम्मू का नाम लेते ही सभी औरतों के मुहँ से आश्चर्य से एक साथ निकला जम्मू और वे एक दूसरे का मुहँ ताकने लगी | सभी को भौचक्की सी देखकर ताई सकते में आ गई | ताई अपनी उत्सुक्ता को दबा न सकी तथा पूछ ही लिया, "क्यों क्या हुआ जम्मू का नाम सुनकर तुम्हारे सभी के चेहरों पर हवाईयाँ क्यों उडने लगी ?”
सुमन अपने को सम्भालते हुए, “कुछ नहीं ताई कुछ नहीं |”
ताई :- नहीं सच सच बताओ |
रेवती :- ताई कोई खास बात नहीं है | बस यूँ ही |
ताई :- जरूर कोई खास बात है | तुम सब मुझसे कुछ छिपाना चाह रही हो | जम्मू का नाम सुनकर तुम्हारी सभी की दशा ऐसे हो गई थी जैसे तुम्हे साँप सूघ गया हो | सभी को झंझोड़ते हुए ताई पूछने लगी, “सच सच बताओ क्या बात है |”
सुमन ;- आपके बेटे बता रहे थे कि कल जम्मू के इलाके में पाकिस्तान के जहाजों ने भारी बमबारी की थी |
लता :- परंतु ताई घबराने की जरूरत नहीं है | खबर यह भी है कि हालाँकि माल हानि तो बहुत है परंतु जान कोई नहीं गई |
रेवती :- फिर यह भी तो नहीं पता कि बमबारी किस इलाके में हुई है |
सबकी बातें सुनते सुनते ताई का सिर चकराने लगा | और वे गिरने को हुई कि सुमन ने बढकर उन्हें सम्भाल लिया | सभी औरतों ने सहारा देकर ताई को उनके घर तक पहुंचा दिया |