Monday, August 10, 2020

उपन्यास 'आत्म तृप्ति' भाग -II

 II

लाला राम रतन गुप्ता एक मध्य वर्गीय श्रेणी के व्यक्ती थे | वे सैंट्रल बैंक आफ इंडिया-ग्वालियर की शाखा में रोकडिया के पद पर कार्यरत थे | लाला जी पुराने ख्यालात के शरीफ, ईमानदार एवं भगवान में आस्था रखने वाले व्यक्ती थे | चाहे गर्मी हो या बरसात या फिर सर्दी उनके हाथ में छतरी तथा सिर पर टोपी अवशय देखी जा सकती थी | उनका पहनावा भी धोती कुर्ता ही था | एक दिन जब वे बैंक से घर आए तो पसीने से तरबतर हो रहे थे | वे धम्म से बिस्तर पर बैठ गये तथा पसीना पोंछते हुए आवाज लगाई, "संतो की माँ, एक गिलास ठंडा पानी तो लाना |"

पानी का गिलास हाथ में पकडाते हुए, लो जी |

लाला जी पानी पीकर थोडी राहत महसूस करते हैं फिर कहते हैं आज बहुत गर्मी है | एक गिलास शिकंजी का पिला दो तो बहुत कृपा होगी | लाला जी की फरमाईस सुनकर उनकी पत्नि, रामकली, जाने को होती है तभी लाला जी ने कहा, और सुनो मेरी अटैची में एक जोडी कपडॆ रख देना | इतनी देर मैं थोडा सुस्ता लेता हूँ |

रामकली आशचर्य से, क्यों भला ?

लाला जी ने लेटते हुए बताया, आज अपनी लड़की संतो के लिये एक लड़का देखने जाना है |

कहाँ ?

कासगंज, सुना है लड़का रेलवे में ईंजन ड्राईवर है |  

कासगंज स्टेशन पर लाला राम रतन ने जब ड्यूटी रूम में जाकर पता किया कि बाबू राम नाम का ड्राईवर कहाँ मिलेगा तो ड्यूटी रूम ईंचार्ज ने अपनी याददाश्त पर जोर डालते हुए कहा, "भाई साहब शायद आप गल्त नाम से पूछ रहे हैं |

मुझे तो यही नाम बताया गया था |  

ईंचार्ज ने अपनी याददास्त पर जोर देकर कहा, माफ करना लाला जी, यहाँ इस नाम का कोई ईंजन ड्राईवर नहीं है |

लाला राम रतन कुछ मायूस से होकर ड्यूटी रूम से बाहर आ जाते हैं | एक कोने में प्लेट फार्म पर पडे बैंच पर बैठकर, हाथ मुहँ धोकर वे पहले नाश्ता करते हैं | थके होने के कारण वे कुछ देर आराम करते हैं | तरोताजा होने के बाद अचानक उनको ख्याल आता है कि क्यों न किसी और व्यक्ति से भी पूछ लिया जाए बल्कि यहाँ के किसी ईंजन ड्राईवर से ही पूछना बेहतर रहेगा |

लाला जी एक ड्राईवर से, क्यों भाई साहब क्या आप बता सकते हैं कि बाबू राम नाम का ड्राईवर कहाँ मिलेगा ?

ड्राईवर कुछ सोचते हुए, लाला जी इस नाम का ड्राईवर तो यहाँ कोई नहीं है अलबत्ता ईंजन का एक खलासी अवशय है |

राम रतन जो नहीं जानते थे कि खलासी क्या होता है पूछा, खलासी का मतलब ?

ड्राईवर ने जानकारी दी, ईंजन में कोयला झोंकने वाला |

राम रतन ने उत्सुकता से पूछा, क्या आप जानते हैं कि उसके बाप का नाम श्री ईशवर प्रशाद है ?

ड्राईवर ने हामी भरकर कहा, आपने बिलकुल ठीक फर्माया |

वह कहाँ मिल सकता है ?

ड्राईवर ने अपनी उंगली का इशारा करके कहा, वह सामने देखो ईंजन के दरवाजे में खड़ा  है |

लाला राम रतन का माथा खलासी का नाम एवं काम सुनकर ही ठनक गया था फिर भी वे इतनी दूर से आए थे अतः बाबू राम से मिलना ही उचित समझा | बात करने पर पता चला कि उसका वेतन तो कुछ खास नहीं था परंतु कोयला बचाकर बेचने पर ऊपर से काफी अच्छी कमाई हो जाती है | बाबू राम का काला बदन एवं शक्ल देखकर राम रतन को वह अपनी लड़की के लिये बिलकुल भी नहीं जंचा | इसलिए लाला राम रतन उल्टे पावँ अपने घर लौट आए

दूसरी बार लाला राम रतन एक ऐसे लड़के को देखने गए जो इंकमटैक्स के महकमे में काम करता था | वे लड़के के बाप रघुवर से मिले और तहकीकात की, आपका लड़का किस आफिस में काम करता है ?

रघुवर ने बड़े रौब से बताया, वह इंकम्टैक्स के दफतर में क्लर्क है | 

आपके लड़के को महीने की पगार क्या मिलती होगी ?

रघुवर ने बड़े घमंड से बताया, अजी पगार तो नाम के लिए है | बस चार हजार के लगभग है | वैसे यह तो उसकी नाम की तनखा है और इससे तो उसका जेब खर्च भी पूरा नही होता |

राम रतन आश्चर्य से, तो फिर |

रघुवर आगे बताने के लिए उतावला था, मेरे लड़के को ऊपर से जो पड़ता है वह इसको चालिस हजार बना देता है |

राम रतन रघुवर की बात सुनकर उठ खडे हुए तथा यह कहते हुए चले गये कि अभी आपका लड़का तो है नहीं जब उसे देखने आऊँगा तो आगे बात बढाऊँगा |

तीसरी बार जब राम रतन लड़का देखने गये तो वह सैल टैक्स में काम करने वाला मिला | वहाँ भी पहले की तरह बातें हुई कि वैसे तो मासिक वेतन कम है परंतु ऊपर से 1000-1200 रूपये रोज के कहीं नहीं गए | लाला जी यहाँ से भी पहले की तरह कि घर जाकर सलाह बना कर जवाब दूंगा वापिस घर आ गये |

असल में लाला जी उस घर की तलाश में थे जिस घर में ईमानदारी ने घर कर रखा हो अभी तक उन्हें इसमें सफलता नहीं मिल पाई थी तभी तो बडे मायूस होकर उन्होने अपनी पत्नि से कहा था, संतो की माँ जमाना कितना खराब आ गया है | ईमानदारी तथा मेहनत की कमाई पर तो कोई जीना ही नहीं चाहता | घूसखोरी ओर भ्रष्टाचार तो इस कदर बढ गया है कि जिससे बात करो ऊपर की कमाई के ढोल पीटता है | पता नहीं मेरी बिटिया को कैसा वर तथा घर मिलेगा | मैं तो बहुत परेशान हो गया हूँ | कितने ही लड़के देख चुका हूँ अभी तक कोई ढंग का लड़का ही नहीं मिला |

लाला जी की पत्नी ढांढस बढ़ाकर हर बार कहती, आप अधिक चिंता मत करो | जब हमारी लड़की को भगवान ने इस धरती पर भेजा है तो उसकी जोडी भी बनाई ही होगी |

राम रतन अपनी चिंता जाहिर करते, वह तो ठीक है परंतु दूसरी लड़की भी तो तैयार हो गई है शादी करने को | चाहे दोनों की एक साथ कर दो |

उसका भी सब हो जाएगा |

राम रतन जैसे दौड़-धूप करते करते बहुत निराश हो चुके थे, हो तो जाएगा, परंतु पहले इसका तो हो | 

रामकली ने बड़े संयम से कहा, अच्छा अब सब सोच विचार छोड्कर आराम से सो जाओ | रात काफी हो चुकी है | सुबह डिबाई शादी में भी जाना है |          

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