अभिव्यक्ति
कोई भी छोटे से छोटे काम को सुचारू रूप से करने के लिए बहुत से लोगों की सहायता लेनी पड़ती है | इसी प्रकार लेखक को भी अपनी रचना की संजिदगी बनाने के लिए दूसरे लोगों का सहारा लेना आवशयक हो जाता है |
यह तो सर्व विदित है कि एक मनुष्य की सफलता में उसकी पत्नि का योगदान बहुत महत्व रखता है | मैं भी ऐसे योगदान से अछूता नहीं रहा | अपनी पत्नि, संतोष गुप्ता, के उकसाने से ही मैं भारतीय वायु सेना में रहते हुए भी जोधपुर यूनिवर्सिटी से स्नातकोत्तर की डिग्री हासिल करने में कामयाब हुआ | फिर भारतीय स्टेट बैंक में वहाँ हिन्दी दिवस प्रतियोगिता के लिए अपनी पत्नि के साथ घटित घटना पर आधारित लिखा लेख प्रथम घोषित होने से मेरे अन्दर और कहानियाँ लिखने की जागृति पैदा हुई | अब पाठकों द्वारा मेरी पहली पुस्तक ‘मन की उड़ान’ में रूचि को भाँपकर मैं अपनी लघु कहानियों की यह दूसरी पुस्तक "मन की उड़ान -2” छपवाने में कामयाब हो रहा हूँ |
मैं अपनी पौत्री चक्षु मंगल का भी ऋणि एवं आभारी रहूँगा क्योंकि इस ने अपनी सूजबूझ से, मेरी लिखी कहानियों के सन्दर्भ में, स्कैच बनाकर उन्हें जीवन्तता प्रदान की है |
मैं अपनी कहानियों के पात्रों का भी आभार प्रकट करना चाहूंगा जिनका प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप में सहयोग मिलने से ही मैं उनकी मनोदशा को काल्पनिक तथ्यों में पिरोकर कहानियों का रूप दे पाया हूँ |
औम शांतिः
पुत्र
प्रवीण कुमार मंगल
पवन कुमार मंगल
पुत्र वधुएँ
चेतना मंगल अंजू मंगल
चक्षु, नयन, गर्व, यश
एवम
मंगल परिवार के सभी सदस्यों को समर्पित
सृजन
इस संसार में असंख्य प्रजाती के अनगिनत प्राणी वास करते हैं | अर्थात इनमें तरह तरह के जीव तथा भिन्न प्रकार की जातियाँ हैं | कहीं मनुष्यों का मेला है, कहीं पशु-पक्षियों का जमघट, कहीं पेड़ पौधों का जंगल है तो कहीं कीड़े मकौडों का झुंड, कहीं कलकल बहता जल है तो कहीं समुन्द्र की लहरों का प्रचंड | यहाँ प्राणियों की अत्यधिक भरमार है परन्तु इनमें से कई जीव सदभावना से प्रेरित है तो कई विकारों से युक्त है | सदभावना मनुष्य के आतंरिक सौंदर्य, प्रेम, करूणा, सदाचार, तथा परोपकार को दर्शाता है वहीं विकारों के वशीभूत मनुष्य मान मर्यादा, इंसानियत, समबन्ध, रिस्ते नाते, सब कुछ भूल कर उनको दरकिनार कर देता है |
मेरी इस पुस्तक की कहानियां मनुष्यों में व्याप्त विकारों और सदभावनाओं के मिश्रण को दर्शाती है |
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