Thursday, October 15, 2020

लघु कहानी (उजाड़)

 उजाड़

शिवम देहली से बस में सवार हुआ | उसने फरीदाबाद से आगे बल्लभगढ़ का टिकट लिया था | बल्लभगढ़ पर उतर कर उसने एक फल वाले से पूछा, "क्यों भाई साहब क्या आप बता सकते हैं कि तिगाँव को कौन सा रास्ता जाता है ?”

फल वाला अपनी उंगली का इशारा करते हुए, “उस चौराहे से बाँए हाथ को जो सड़क कट रही है वह सीधे तिगाँव जाती है |”

“यहाँ से तिगाँव कितना दूर होगा ?”

“यही कोई तीन कोस |” 

शिवम अपना हिसाब लगाकर, “लगभग पाँच किलोमीटर होगा ?”

“साहब हमें तो देशी हिसाब ही आता है उसी अनुसार आपको बता दिया | अब आप जानो कि कितना दूर होगा |” 

“अच्छा वहाँ जाने के लिये कोई सवारी मिल जाएगी या नहीं ?”

फलवाला आसमान की और देखकर, “साहब सूरज सिर पर है | कोई डेढ़ बजा होगा | तीन 

बजे से पहले आपको कोई सवारी नहीं मिलेगी |” 

“क्या कोई बस भी जाती है ?”

“न साहब न | आपको तांगा मिल जाए वही गनीमत समझो |”

“तिगाँव के रास्ते में और भी तो गाँव पड़ते होंगे ?”

“हाँ साहब रास्ते में पाँच छः गाँव पड़ते हैं |” 

“तो क्या उस रास्ते पर जाने वाली सवारियाँ कम आती है ?”

“ऐसी भी कोई बात नहीं है साहब |”

“तो फिर क्या बात है जो यात्रियों को यहीं दो-दो घंटे इंतजार करना पड़ता है ?”

“साहब समय समय की बात है | पहले यहाँ से तांगे तथा टम्पू खूब मिलते थे |” 

“फिर ऐसी क्या बात हो गई जो अब नहीं मिलते ?”

“साहब इसका श्रेय हमारे चीफ मिनिस्टर को जाता है |”

शिवम आश्चर्य से, “चीफ मिनिस्टर ! भला चीफ मिनिस्टर ने इस बारे में क्या किया होगा ?”

“साहब उसने किया कुछ नहीं परंतु उनकी नीतियों के कारण यह हो गया |”

फल वाले की बात बडी दिलचस्प लग रही थी अतः शिवम की उत्सुक्ता पूरा किस्सा जानने के लिए बढ़ गई | इसलिए उसने कहा, "अभी मुझे यहाँ एक घंटा और इंतजार करना है | दोपहर की गर्मी होने की वजह से आपके पास भी ग्राहक नहीं हैं | मैं तुम्हारी पहेली ठीक से समझ नहीं पा रहा | अतः मुझे विस्तार से बताओ कि यहाँ से आने जाने के साधन मिलने इतने कम क्यों हो गए ?” 

 फलवाले ने कहना शुरू किया तो शिवम बड़े ध्यान से सुनने लगा, “साहब जी बात यह है कि चीफ मिनिस्टर जी ने शराब निषेद्ध कानून के तहत हरियाणा राज्य के सारे शराब के ठेके बन्द करवा दिये हैं |” 

“भाई, शराब के ठेके बन्द होने से सवारी के साधनों के कम होने का क्या सम्बंध?” शिवम ने बहुत ही आश्चर्य से पूछा |

फलवाला अपनी बात पर जोर देते हुए तपाक से बोला, “सम्बंध है | देखो न घोड़े तांगे वाले या टम्पू वाले सारा दिन अपना गला फाड़-फाड़कर सवारियों को बुलाते हैं |”

शिवम ने फल वाले की बात से सहमती जताई, “यह तो दूरूस्त है |” 

“साहब जी एक आदमी कितनी देर चीख सकता है | अपनी आवाज को दुरूस्त रखने के लिये वे इन शराब के ठेकों का सहारा लिया करते थे | शाम को जब गला सूख जाता था तो शराब से अपना गला तर कर लिया करते थे | ऐसा करने से गला ठीक होने के साथ साथ उनके शरीर में स्फूर्ती भी आ जाती थी |”

शिवम जो फल वाले के इस तर्क से शायद सहमत नहीं था बोला, “परंतु अपने अन्दर स्फूर्ती लाने के और भी तो कई तरीके हैं जो अपनाए जा सकते थे |”

“अपनाए जा सकते थे परंतु यहाँ के लोगों की मनोदशा तथा कार्य शैली के अनुसार शराब के सेवन से कारगर तरीका और कोई नहीं है साहब |”

शिवम तांगा स्टैंड की तरफ नजर दौड़ाकर, “अच्छा भाई अब चलता हूँ | लगता है कोई तांगा आया है | कहीं निकल न जाए | वापिस भी आना है | बाकी की बातें तांगे में बैठकर सफर के दौरान ही पता कर लूंगा |”     

शिवम तांगे के पास आकर खड़ा हो जाता है | वहाँ एक औरत भी खड़ी थी | और किसी को नजदीक न देख शिवम ने उस औरत से ही पूछा," क्या यह तांगा तिगाँव भी जाएगा ?”

“हाँ बाबू जी जाएगा, “फिर औरत ने बड़े विशवास से जैसे उस इलाके के सभी व्यक्तियों को जानती हो प्रशन किया, “इस इलाके में नये आए हो ?”

“हाँ जी | बस तिगाँव तक जाकर वापिस आना है |” 

“क्यों वहाँ क्या बात है ?,” फिर जैसे उस औरत को अपनी भूल याद आई हो उसने झट से दूसरा प्रशन किया, "वैसे आपको किसके यहाँ जाना है ?”

“मुझे सेठ धर्मदास जी के यहाँ जाना है |” 

“साहब, क्या आप उनके कोई रिस्तेदार लगते हैं ?” 

“नहीं | उनका लड़का मेरे साथ एयरफोर्स में नौकरी करता है | उसने थोड़ा सा सामान भेजा है | वह देना है तथा उनके घर की खैर खबर भी लानी है |” 

“हाँ उनके घर तो मर्द लोग मिल ही जाएँगे, ”कहकर औरत एक लम्बी सांस लेकर छोड़ती है तत्पशचात उसके कंठ से एक आह सी निकलती है | 

इतनी देर में और कई सवारियाँ आ जाती हैं | इनमें सभी औरतें व बच्चे ही थे | तांगा भर जाता है | परंतु विनोद को यह देखकर आश्चर्य होता है कि वही औरत जिसके साथ वह अभी तक बातें कर रहा था, तांगा चालक की सीट पर आकर बैठ गई और चाबुक उठाकर तथा घोड़े की लगाम पकड़कर जोर से बोली, "चल मेरी रानी |”

एक औरत को ताँगा हाँकते देख शिवम विस्मय से भर गया, “अरे तो क्या आप ही...?”

“क्यों आश्चर्य हो रहा है न एक औरत को तांगा हाँकते देखकर ?” 

“हाँ जी बात तो कुछ ऐसी ही है | फिल्मों में तो हमने ऐसी बातें देखी थी |” 

“हाँ बाबू आपने ‘शोले’ पिक्चर देखी होगी | उसमें हेमा मालिनी (बसंती) तांगा हाँकते हुए कहती है ‘चल मेरी धन्नो’ और उसकी धन्नो तांगा लेकर सरपट दौड़ने लगती है |”

तांगे में बैठे सभी लोग मुस्कराने लगते हैं तथा वह औरत एक जोर का ठहाका लगा कर हँसने लगती है | परंतु शिवम ने भाँप लिया कि उस औरत के हँसी के ठहाके के पीछे एक वेदना छिपी महसूस हो रही थी क्योंकि तभी तो हँसी के साथ साथ उस औरत की आंखों में पानी छलछला आया था | जिसको उसने अपने आंचल से बडी खूब सूरती से छिपा कर पौंछ लिया था तथा किसी को पता भी न चला था | 

तांगा आगे बढ़ता रहा | रास्ते में दो गाँव पड़े जहाँ एक दो सवारी उतर गई | शिवम ने देखा कि सारा रास्ता सुनसान पड़ा था | कभी कभी कोई एक-आद व्यक्ति दूर जाता हुआ दिखाई दे जाता था अन्यथा गावों के बाहर भी विरानापन महसूस होता था | अचानक शिवम के जहन में एक बात का विचार आया |  

शिवम तांगे वाली की और देखकर, “आपने बड़े बैठे हुए दिल से अभी थोडी देर पहले यह कहा था कि ‘हाँ उनके घर तो कोई न कोई मर्द मिल ही जाएगा’ उसका क्या तात्पर्य  था ?”

“साहब अभी तक आपने भी अन्दाजा लगा लिया होगा कि इस इलाके में मर्द बहुत कम दिखाई दिये होंगे |” 

“सो तो है | परंतु इसका कारण समझ नहीं आया |” 

“देखो साहब जहाँ आप जा रहे हो वह बनियों का घर है | और बनिये लोग इस पीने पिलाने से दूर ही रहते हैं | अतः अधिकतर अपने घर ही रहते है जब तक उन्हें बाहर कोई काम न हो |” 

“अच्छा-अच्छा यह बात है |” 

तांगे वाली एक गाँव के बाहर तांगा रोककर, “आप यह जगह देख रहे हो ? कभी यहाँ शराब का ठेका हुआ करता था | शाम को यहाँ लोगों का जमघट लग जाता था | लोग शराब का जाम लगाते लगाते खूब हंसी मजाक करते रहते थे जिसकी गूंज दूर तक सुनाई देती रहती थी | उनका यही हंसी मजाक गाँव के छोटे-छोटे बच्चों तथा औरतों का कभी कभी मन बहलाने का अच्छा साधन बन जाता था | शराब पिये हुए लोगों की कभी कभी हाथापाई भी हो जाया करती थी | (उसने हाथ की अंगूली से थोडी दूर इशारा किया) वह देख रहे हो न, वह मेरा मकान है | मेरा मकान थोड़ा उंचाई पर होने की वजह से यहाँ का नजारा वहाँ से साफ नजर आता है | जब यहाँ मर्दों का जमघट लगा होता था तो वहाँ गाँव की औरतों का जमाव हो जाया करता था | वहाँ से शराबियों की हंसी ठिठोलियों का वे सब सम्पूर्ण आनन्द लिया करती थी |  मर्द लोगों में से कोई पीकर लुढ़क जाता तो कोई लड़खड़ाते कदमों से अपने घर पहुँच जाता | जो लुढ़क जाता था उसके घर वाले उसे सहारा देकर अपने घर ले जाते थे | इस तरह जितने भी मर्द वहाँ होते थे रात होते होते अपने अपने  घर पहुँच जाया करते थे | इसलिये गाँव आबाद से दिखाई दिया करते थे | 

यही नहीं, वह देखो हमारे यहाँ की चौपाल का क्या खस्ता हाल हो गया है | कभी यह सजी संवरी आने वाले हर पथिक का ध्यान अपनी और खिंच लेती थी परंतु अब इसमें झाडू लगना भी नसीब नहीं है |” 

फिर तांगे वाली ने तांगा हांकते हुए कहा,"चल रानी देर हो रही है | साहब को छोड्कर वापिस भी आना है |”

“क्या आप वहाँ मेरे लिये थोड़ा इंतजार कर सकती हो ? क्योंकि मुझे वहाँ अधिक समय नहीं लगेगा |”

“मैं वहाँ अपनी घोडी को चारा-पानी दूंगी जिससे उसकी थकावट उतर जाए | इसमें आधा घंटा तो लग ही जाएगा | अगर इतने समय में आप आ गये तो मैं आपको वापिस भी ले जा सकती हूँ |” 

“वैसे तो मैं पूरी कोशिश करूंगा की समय पर पहुँच जाऊं परंतु फिर भी आप मेरा इंतजार कर लेना | वैसे अभी आपकी उस बात के रहस्य से पर्दा नहीं उठा है कि यहाँ के शराब के ठेके बन्द होने से गाँव के मर्द लोग कहाँ चले गये | यह भी कि यहाँ की धर्मशालाओं या चौपालों पर इसका कुप्रभाव कैसे पड़ा |  अतः वापिसी में इनका भी आपको खुलासा करना है |”

शिवम की बात सुनकर औरत मुस्करा दी तथा उसका इंतजार करने की हामी भरने के  लहजे में अपनी गर्दन हिला दी |

(तिगाँव से वापिसी पर)

तांगे में बैठते ही अपनी जिज्ञासा का निवारण करने हेतू शिवम ने पूछा, “हाँ तो पहले वह पहेली सुलझाईये कि यहाँ की चौपालें क्यों सुनसान तथा विरान सी रहने लगी है |”

तांगेवाली भी जवाब देने को तैयार थी, ”बाबू जी आप आजकल के ब्याह शादियों में प्रचलन के बारे में तो अच्छी तरह जानते होंगे |  नौजवानों का उसमें नाचना एक प्रथा सी बन गई है | और इस नाच के लिये उनके पैरों का ठुमका तभी लगता है जब उनके पेट में दो पैग शराब के जा चुके होते हैं | यहाँ हरियाणा में  आप न तो शराब ला सकते हैं तथा न पी सकते हैं | अगर ऐसा करते पकड़े गये तो सीधी जेल की हवा खानी पड़ेगी | इसलिये नौजवानों का यह शौक तो तभी पूरा हो सकता है जब शादी ब्याह हरियाणा की सीमा से बाहर हो | दिल्ली की सीमा यहाँ से ज्यादा दूर नहीं है अतः आजकल सारे शादी ब्याह वहीं बार्डर पर फार्म हाऊसों में निपटा लिये जाते हैं | इसलिये यहाँ की चौपालों तथा धर्मशालाओं में धूल जमी है |”

“चलो यह बात तो साफ हो गई कि यहाँ कि चौपालों में रौनक क्यों नहीं रही परंतु यह तो मेरे लिये अभी तक पहेली ही बनी हुई है कि यहाँ शराब के ठेके बन्द होने से यहाँ के मर्द लोग कहाँ चले गये ?”

“साहब मर्द लोग चले कहीं भी नहीं गये | सब के घर यहीं हैं परंतु अब उनकी रातें अधिकतर बाहर ही कटती हैं |” 

शिवम आश्चर्य से, ”रातें  बाहर कटती हैं ?”

तांगेवाली ने अपनी बात साफ करते हुए कहा, “हाँ बाबू जी | सुबह से दोपहर तक तो  मर्द लोग यहाँ दिख जाते हैं | वे थोड़ा बहुत काम भी करते हैं | परंतु दोपहर बाद ज्यों-ज्यों शाम होने लगती है उनका पलायन शुरू हो जाता है | वे हरियाणा-देहली के बार्डर पर पहुँच जाते हैं | जैसा कि मैनें पहले भी बताया था कि वहाँ शराब पर कोई पाबन्दी नहीं | अतः वहाँ जाकर वे अपनी लत की पूर्ति करते करते शराब के नशे में धूत हो जाते हैं | फिर किसको खबर रहती है घर की, बीवी की तथा बच्चों की | अगर खबर रहे भी तो वापिस घर पहुँचना मुशकिल हो जाता है | इसलिये सभी इकट्ठा होकर वहीं रैन बसेरों में रात गुजारते हैं |” 

अब आई बात समझ में कि चीफ मिनिस्टर के मदिरा निषेद्धाज्ञा कानून लागू करने के कारण ही कैसे यहाँ के घर विरान, सूने एवं गाँव दिखने लगे हैं उजाड़ |  


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