ठूंठ
(एक उपन्यास)
धर्मपत्नी
श्री मति संतोष कुमारी गुप्ता
को
समर्पित
मेरी पत्नी में मेहमान नवाजी, सदभावना एवम रिश्तों को जोड़े रखने की प्रवर्ति रग-रग में समाई हुई है | वास्तविकता में तो यही है कि उनकी इसी प्रवर्ति के कारण ही मेरे इस उपन्यास ‘ठूँठ’ का जन्म हुआ है | मैं अपनी पत्नी का आभार व्यक्त करता हूँ क्योंकि मुझे उनके निश्छल व्यवहार एव निस्वार्थ भाव के विचारों तथा कार्यों से प्रभावित होकर उनके कारनामों को सांचे में ढालने की सामग्री एवं प्रोत्साहन मिलता रहा | अत: यह उपन्यास उनको समर्पित है |
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