Friday, September 4, 2020

उपन्यास 'आत्म तृप्ति' (भाग-XX)

 XX

आदमपुर हवाई अड्डा

दो हेलिकोप्टर उतरते हैं | हवाई पट्टी के एक तरफ तीन चार एम्बुलैंस खड़ी हैं जिनके बाहर नर्सिंग असिस्टैंट स्टैचरों को लेकर इंतजार में हैं कि कब जहाज का दरवाजा खुले और वे जख्मी जवानों को लेने आगे बढें | हेलिकोप्टरों से जख्मी लोगों को जल्दी -2 उतारा जाता है तथा उन्हें एम्बुलैंस से अस्पताल की ओर ले जाया जाता है | डाक्टर सभी जख्मी लोगों का मुआईना करते हैं | 

डाक्टर लैफ्टीनैंट डाक्टर विंग कमांडर से, “सर यह व्यक्ति जो तीसरे नम्बर बैड पर है काफी गम्भीर हालत में दिखता है |”

विंग कमांडर:- उसके साथ क्या खास बात है ?

लैफ्टीनैंट :- सर एक तो वह बेहोश है | दूसरे उसकी आंखो में धूल मिट्टी भरी है | मुझे अन्देशा है कि कहीं उसकी आंखे न चली.....|

विंग कमांडर:- (हाथ का इशारा करके रोकते हुए) चलो चलकर देखते हैं | 

सभी तीसरे नम्बर बैड पर जाते हैं तथा लैफ्टीनैंट जख्मी के उपर से चादर उठाता है | 

विंग कमांडर :- माई गॉड ! इसकी हालत तो बहुत नाजुक लगती है | जल्दी से आंखो के डाक्टर को सन्देशा भिजवाकर फौरन आने के लिये कहो |

लैफ्टीनैंट :- ओ के सर (एक अर्दली को आंखो के डाक्टर को बुला लाने के लिये भेज देता है)

विंग कमांडर :- जब तक आंखो का डाक्टर आए आप इसकी आंखो से मिट्टी धूल साफ कराओ | देखो बड़ी सावधानी बरतने की जरूरत है | फिर गुलाब के सारे शरीर का मुआईना करके शास्वत होते हुए कहता है कि भगवान का शुक्र है कि कहीं कोई हड्डी नहीं टूटी केवल पीठ पर चोट है | अच्छा लैफ्टीनैंट इसकी पीठ पर टांके लगा देना कहते हुए प्रस्थान कर जाता है | 

लैफ्टीनैंट गुलाब की पीठ पर टांके लगा देता है | इतने में आंखो का स्पेस्लिस्ट आकर गुलाब की आंखो का मुआईना करके कहता है, "इसकी आंखो के बारे में अभी कुछ कहा नहीं जा सकता | क्योंकि मरीज बेहोश है अतः अपनी स्थिति बयाँ नहीं कर सकता |”

लैफ्टीनैंट:-सर,  फिर क्या किया जाए ?

स्पेस्लिस्ट:- अब तो इसके होश में आने का इंतजार करना पड़ेगा | वैसे मैं दवाई डाल देता हूँ | 

लैफ्टीनैंट:- परंतु इसके बारे में भी तो कुछ नहीं कहा जा सकता कि यह कितने दिनों में होश में आएगा | अगर यह जल्दी होश में नहीं आया तो कही इसकी आंखो पर इसका प्रतिकूल असर तो नहीं पड़ेगा ?

स्पेस्लिस्ट :- आंखो पर कुप्रभाव तो पड़ सकता है | वैसे इस हालत में आंख जाँचने के लिए बेस अस्पताल में एक मशीन आई है | आप उसे मंगवा लो |

लैफ्टीनैंट:- क्या ऐसा सम्भव है | 

स्पेस्लिस्ट:- हाँ हाँ क्यों नहीं | आप टेलिफोन आपरेटर से कहो कि वह अस्पताल में डाक्टर कुमार का नम्बर मिला कर मेरी बात कराए | 

आपरेटर :-सर देहली कैंट से डाक्टर कुमार लाईन पर हैं |

स्पेस्लिस्ट:- हैलो डाक्टर कुमार मैं डा.कोहली आदमपुर से बोल रहा हूँ |

कुमार:- गुड मार्निग डा.कोहली | कहिये क्या समाचार हैं ?

स्पेस्लिस्ट:- सर मेरे पास एक मरीज आया है | वह बेहोश है परंतु उसकी आखो में धूल मिट्टी भरी हुई थी | इस हालत में उसकी आंखो की जाँच करने के लिये हमारे पास एक्यूट टैस्टर नहीं है अतः आप से सहायता चाहता हूँ | 

कुमार:- कहिये मैं क्या मदद कर सकता हूँ ?

स्पेस्लिस्ट:- वह मशीन हमें तुरंत चाहिए | 

कुमार:- ठीक है मैं इसका इंतजाम करता हूँ तथा इसको इसके आपरेटर के साथ आदमपुर भेज देता हूँ |

स्पेस्लिस्ट:- धन्यवाद सर |  परंतु एक गुजारिश और थी कि अगर इस केस  में आपकी राय भी मिल जाती तो हमारे लिए सोने में सुहागे का काम हो जाता |

कुमार:-क्या मतलब ?

स्पेस्लिस्ट:- यही कि आप भी एक बार मरीज का मुआईना करके हमें कुछ गाईडैंस दे  देते |

कुमार:- समय मिला तो आपसे सीखने जरूर आऊंगा | बाय-बाय |

गुलाब की माता जी बिस्तर पर लेटी हैं | साथ वाली मेज पर दवाईयाँ रखी हैं | उनकी लड़की कविता हाथ में खाने की थाली लिये खड़ी है तथा बार बार अपनी माँ से कुछ खा लेने के लिए आग्रह कर रही है | 

“नहीं बेटी मेरा दिल नहीं करता |”

“कुछ खा लो फिर आपको दवाई देनी है |” 

“बेटी मेरी इच्छा खाने को बिलकुल नहीं हो रही | मैं क्या करूँ |(आंखो में आंसू छलछला आते हैं) आज दस दिन बीत गए हैं मेरे गुलाब का कोई सन्देशा नहीं आया है |” 

“माँ ऐसा कब तक चलेगा | भगवान से प्रार्थना करो कि मेरे भाई को वह सही सलामत रखे |” 

“बेटी वह तो मैं कर ही रही हूँ क्योंकि वह ही सब की भली करने वाला है परंतु मैं अपने मन को कैसे समझाऊं |”

इसी समय लाला नारायण अन्दर प्रवेश करते हैं | उन्हें देख कर, "क्या कुछ खैर खबर लगी हमारे गुलाब की ?”

“अभी तो कुछ पता नहीं चला | एयरफोर्स हैड क्वार्टर के जरिए जम्मू टेलिफोन कराने की कोशिश की थी परंतु पता चला कि वहाँ की टेलिफोन व्यवस्था अभी ठप्प पड़ी है | वायरलैस द्वारा केवल इतना तो संतोष जनक समाचार मिला है कि उस बमबारी में कोई हताहत नहीं हुआ था |” 

“क्या जख्मी लोगों की कोई सूची उन्होने जारी की है |” 

“अभी नहीं | अलबत्ता जख्मी लोगों को वहाँ से जल्दी-2 हिलिकोपटरों द्वारा आवश्यकतानुसार नजदीकी अस्पतालों में भेज दिया गया था |”    

“तो पता कैसे चलेगा कि कौन जख्मी कहाँ गया तथा कौन कौन जख्मी हुआ था | (रोते हुए) पता नहीं मेरा गुलाब कहाँ तथा किस हाल म्रें होगा |” 

“अरे भई रोने से क्या फायदा | तुम थोडा धैर्य रखो तथा अपना भी ख्याल रखो | भगवान की लीला के सामने किसी का क्या बस चल सकता है | मैं हर सम्भव प्रयत्न  कर रहा हूँ कि जल्दी से जल्दी पता चल जाए कि हमारा गुलाब कहाँ है |”

(प्रस्थान)

कविता चम्मच से माँ को खिलाने का प्रकरण करते हुए, "लो माँ यह थोड़ा सा दलिया खा लो |”

“बेटी तू मुझे क्यों परेशान कर रही है | मेरा कुछ भी खाने को दिल नहीं कर रहा |” 

अनीता तथा कविता प्रवेश करते हुए, “माँ ऐसे कैसे चलेगा | बाहर पिता जी भी उदासीन तथा गमगीन बैठे हैं | वे बार बार हर तरह के प्रयत्न कर रहे हैं कि किसी तरह भाई के कुछ समाचार मिलें | परंतु माँ अभी अभी पक्का समाचार मिला है तथा यह सच है कि जम्मू में उस दिन कोई भी हताहत नहीं हुआ था |  जितने जख्मी लोग बाहर भेजे गए थे उनको मिलाकर वहाँ के लोगों की नफरी पूरी हो जाती है | अब केवल यह खबर और आनी है कि कौन जख्मी कहाँ है |” 

“यह तो मेरा मन भी मानता है कि मेरा लाल इस दुनिया में है परंतु जब तक उसका पता नहीं चल जाता कि वह कहाँ है तथा किस हाल में है मेरे दिल को चैन नहीं मिलेगा |”(रोने लगती है)

उनकी तीनों लडकियाँ अनीता,कविता एवं करूणा उनको ढांढस दिलाने का प्रयत्न करती हैं |    

स्पेस्लिस्ट डा.कोहली डा. कुमार से हाथ मिलाते हुए, "गुड मार्निंग सर | आपने यह बहुत अच्छा किया कि मशीन के साथ आप खुद भी आ गए |”

“मैनें सोचा कि शायद केस कोई पेचीदा ही होगा जो आप जैसे काबिल डाक्टर ने हमें याद किया है | अतः आपसे कुछ सीखने की इच्छा से चला आया |” 

“सर, क्यों शर्मिन्दा कर रहे हो | आपके तजूर्बे के सामने हमारी क्या औकात |”

कुमार हंसते हुए, "ओ के, ओ के..चलो मरीज को देख लिया जाए |”

डा. कुमार गुलाब की आंखो का मुआईना करके अर्दली को कुछ हिदायतें देकर उसकी आंखे साफ करने को कहकर आगे बढ जाते हैं तथा चार पाँच मरीजों को देखकर फिर वापिस आकर, "क्या आंखे साफ कर दी ?”  

“हाँ सर |”

“मशीन को सैट करो तथा चैकिंग लैंस मुझे दो |”

अर्दली डाक्टर कुमार के कहे अनुसार मशीन को सैट करके लैंस उनके हाथ में थमा देता है | उन्होने थोड़ी देर तक गुलाब की आंखो का बहुत बारीकी से निरीक्षण करने के बाद कहा, "डा.कोहली मरीज की आंखो को काफी नुकसान पहुंचा है परंतु ऐसा नहीं कि ठीक नहीं हो सकती |”

“सर कितने पर्सैंट उम्मीद की आशा है |”

“65-35%  |”

“अर्थात 65 % ठीक होने के आसार हैं |” 

“हाँ | परंतु इसके लिए बहुत एतियात बरतनी पड़ेगी |”

“सर, हम अपनी तरफ से कोई कसर नहीं छोडेंगे | वैसे गुलाब की आंखे अन्दाजन कितने दिनों में स्वस्थ हो सकती हैं ?”

“देखने से तो ऐसा लगता है कि इसमें काफी समय लगेगा | अगर मरीज होश में होता तो हमें काफी मदद मिल जाती क्योंकि इसकी शिकायतों से हमें जल्दी ही इलाज करने का सही रास्ता मिल जाता | अब यह होश में तो है नही अतः हमें अपने तजूर्बे तथा अन्दाजे से ही इलाज करना पड़ेगा | इसलिये समय कुछ ज्यादा ही लगने की उम्मीद है |”           

             


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